लाइव न्यूज़ :

पीयूष पांडे का ब्लॉग: आराम के दौर में राम-राम का जाप

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: August 8, 2020 12:14 IST

मैंने ईश्वर को ‘बेनिफिट ऑफ डाउट’ दिया और सोचा कि शायद भगवान नहीं चाहता था कि मैं बचपन से ही प्यार-व्यार के चक्कर में पड़ पढ़ाई-लिखाई से दूर रहूं.

Open in App

ईश्वर की फिलॉसफी भगवान कसम अपन को कभी समझ में नहीं आई. बचपन में हाथ जोड़-जोड़कर गर्लफ्रेंड मांगता रहा लेकिन ईश्वर को कतई दया नहीं आई. हद ये कि मेरे जिगरी यार रमेश को बिना ईश्वर से सौदेबाजी किए दया नाम की कन्या से दोस्ती का प्रसाद मिल गया. मैंने इसे भगवान का पक्षपातपूर्ण रवैया मानते हुए उसी तरह उनका बायकॉट कर दिया, जिस तरह कई राज्यों के मुख्यमंत्री पर्याप्त धन न आवंटित होने पर प्रधानमंत्नी की बैठकों का कर देते हैं. 

लेकिन, जिस तरह पीएम से पंगेबाजी कर सीएम का काम नहीं चल सकता, उसी तरह मेरा भी ईश्वर के बगैर काम नहीं चला. नौकरी में पहुंचा तो मैं ईश्वर के दर मुंह उठाए फिर उसी तरह पहुंच गया, जैसे नेताजी पांच साल बाद मुंह उठाए वोटर के घर पहुंच जाते हैं. शर्म निरपेक्ष भाव से. 

मैंने ईश्वर को ‘बेनिफिट ऑफ डाउट’ दिया और सोचा कि शायद भगवान नहीं चाहता था कि मैं बचपन से ही प्यार-व्यार के चक्कर में पड़ पढ़ाई-लिखाई से दूर रहूं. तो मैंने नौकरी करते हुए अपनी खारिज हो चुकी मांग की फाइल को व्रत-मन्नत वगैरह की पर्चियां नत्थी कर एक परिपक्व ठेकेदार की भांति दोबारा आगे बढ़ाया. लेकिन मेरी फाइल उसी तरह सिरे से रिजेक्ट हुई, जैसे कांग्रेस की मतदाताओं से सत्ता देने की मांग सिरे से खारिज हुई. 

कभी-कभी मुझे लगता है कि जिस तरह ग्रह-नक्षत्नों का असर पृथ्वीवासियों पर होने की बात कही जाती है, उसी तरह शायद जमीनी घटनाओं का असर स्वर्गलोक तक होता हो. क्योंकि, जिस दौर में मैंने ईश्वर के समक्ष अपनी नौकरी की मांग दोबारा रखी, देश में अन्ना का आंदोलन परवान चढ़ रहा था. हर गली-मुहल्ले में दो-चार ईमानदार पान चबाते दिख जाते थे.

अन्ना आंदोलन के वक्त ईश्वर भी शायद बेईमानी बर्दाश्त करने के मूड में नहीं था. ईश्वर ने गर्लफ्रेंड से नहीं नवाजा तो नहीं ही नवाजा. फिर, मैंने एक बार प्रमोशन, एक बार बॉस की ठुकाई, एक बार मकान मालिक के हाथ टूटने, एक बार थ्री बेडरूम घर खरीदने जैसी मांगों को भगवान के सामने रखा लेकिन ईश्वर ने सारी मांगें पेंडिंग लिस्ट में डाल रखी हैं.  लेकिन, अभी चार महीने पहले मैंने ईश्वर से कहा- ‘‘हे भगवान, दफ्तर में बॉस ने आराम हराम कर रखा है. कुछ ऐसा जुगाड़ करो कि आराम से आराम कर सकूं.’’ ईश्वर को जाने क्या सूझी कि दो दिन बाद ही एक पिद्दी से वायरस के चक्कर में लॉकडाउन का ऐलान हो गया. ईश्वर के घर देर है अंधेर नहीं, ये बात मैं मान गया लेकिन आराम की मांग मैंने रखी थी और आराम का मौका सबको मिला!

आराम करते-करते राम-राम करने का वक्त आ गया. मैंने एक नेताजी से पूछा- लोग गरीबी, भुखमरी, बीमारी, लाचारी, बेरोजगारी से मरा-मरा कर रहे हैं और आप राम-राम कर रहे हैं? वे बोले, ‘हमें मरा-मरा में राम-राम ही सुनाई देता है. आप भी बोलिए और सुनिए.’  

टॅग्स :भगवान राम
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठVivah Panchami 2025: विवाह पंचमी 25 नवंबर को, वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ाने के लिए इस दिन करें ये 4 महाउपाय

पूजा पाठDussehra 2025: यूपी और महाराष्ट्र के इस गांव में 158 साल पुराना मंदिर, जहां होती है रावण की पूजा, जानिए क्यों

भारतराम नवमी के मौके पर रामेश्वरम जाएंगे पीएम मोदी, देशवासियों को दी बधाई

पूजा पाठAyodhya Deepotsav 2024: घर बैठे आप भी देख सकते हैं रामनगरी का दीपोत्सव, लाइव देखने को लिए बस करना होगा ये काम

पूजा पाठDussehra 2024: कितने बजे होगा रावण दहन, जानें दिल्ली, नोएडा, पटना और अयोध्या में रावण का पुतला जलाने का समय...

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत