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पवन के. वर्मा का ब्लॉग: नेताओं का निरंकुश आचरण चिंताजनक

By पवन के वर्मा | Updated: May 20, 2019 06:18 IST

जब लोग सार्वजनिक जीवन में आते हैं तो उन्हें लोगों की प्रतिक्रियाओं के लिए तैयार रहना होता है और अपनी आलोचना के प्रति उन्हें इतना उग्र नहीं होना चाहिए कि इस तरह के एक मीम को भी बर्दाश्त न कर सकें.

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पिछले दिनों दो ऐसी बातें हुईं जिन्होंने मुझे बहुत परेशान किया. पहली थी भाजपा कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा की गिरफ्तारी, जो ममता बनर्जी का मीम बनाकर सोशल मीडिया में डालने के लिए की गई. दूसरा वाकया था आतंकवाद की आरोपी प्रज्ञा ठाकुर का बयान, जो कि भोपाल से भाजपा की उम्मीदवार हैं. देश भर में गुस्से का उबाल पैदा करने वाले बयान में उन्होंने कहा : ‘‘नाथूराम गोडसे देशभक्त थे, देशभक्त हैं और देशभक्त रहेंगे. जो लोग उन्हें आतंकवादी कहते हैं उन्हें अपने अंदर झांक कर देखना चाहिए. ऐसे लोगों को इन चुनावों में लोग मुंहतोड़ जवाब देंगे.’’

पश्चिम बंगाल सरकार अपनी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लेकर बने मीम पर इतनी असहनशील क्यों है? आखिर युवा भाजपा कार्यकर्ता प्रियंका ने अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा के मेट गाला के फोटो पर मुख्यमंत्री का चेहरा ही तो चस्पां किया था. इस ‘गंभीर’ अपराध के लिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराएं लगाकर 14 दिनों के लिए जेल भेज दिया गया.

सच कहूं तो इस तरह की प्रतिक्रिया हास्यास्पद है. जब लोग सार्वजनिक जीवन में आते हैं तो उन्हें लोगों की प्रतिक्रियाओं के लिए तैयार रहना होता है और अपनी आलोचना के प्रति उन्हें इतना उग्र नहीं होना चाहिए कि इस तरह के एक मीम को भी बर्दाश्त न कर सकें.  आजादी के बाद से ही हमारे देश में कार्टूनिस्टों की एक गौरवशाली परंपरा रही है जो सत्ता में बैठे लोगों पर कटाक्ष करने से हिचकिचाते नहीं थे. वास्तव में इन लोगों में से कई के तीखे ‘हमलों’ का तो स्वागत भी किया जाता था. अच्छा हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रियंका की तत्काल रिहाई का आदेश दिया. 

प्रज्ञा सिंह ठाकुर का अपमानजनक बयान कई कारणों से बहुत ज्यादा परेशान करने वाला है. उनके इस तरह की बकवास करने का यह पहला मौका नहीं है. इसके पहले उन्होंने शेखी बघारते हुए कहा था कि बाबरी मस्जिद ढहाने वालों में वे पहली कतार में थीं. कानून हाथ में लेने की यह उनकी सार्वजनिक स्वीकृति आपराधिक आचरण के समान थी. उनका गोडसे की प्रशंसा करना सिर्फ इसी बात की पुष्टि करता है कि उनकी मानसिकता कितनी विकृत है.

भाजपा ने गोडसे के बारे में प्रज्ञा के बयान पर उनसे माफी मांगने को कहा, जो उन्होंने मांगी भी. लेकिन इस कटु प्रसंग के कुछ अन्य चिंताजनक पहलू भी हैं. प्रज्ञा का बयान किस हद तक भाजपा और आरएसएस के विचारों को प्रतिबिंबित करता है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि कम से कम तीन भाजपा नेताओं ने गोडसे के बारे में प्रज्ञा के बयान का अपने भाषणों या ट्वीट के जरिये समर्थन किया है. पूरा देश चाहता है कि भाजपा प्रज्ञा ठाकुर और उनका समर्थन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे.

चुनाव हमारे लोकतंत्र का महान त्यौहार है, लेकिन उसमें घुस आई कुछ विकृतियों को उजागर करने और जांचने की आवश्यकता है. प्रियंका शर्मा को एक हानिरहित काटरून के लिए जेल भेजना ऐसी ही एक विकृति है. प्रज्ञा सिंह ठाकुर का बयान एक और बहुत बड़ी चिंता का कारण है.

 

टॅग्स :लोकसभा चुनावसाध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुरममता बनर्जीभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)टीएमसी
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