पवन के. वर्मा का ब्लॉग: सुशासन छोड़ ध्रुवीकरण की ओर बढ़ती भाजपा

By पवन के वर्मा | Published: February 10, 2020 05:47 AM2020-02-10T05:47:13+5:302020-02-10T05:47:13+5:30

यह विशेष तौर पर उस पार्टी के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है जो सुशासन के वादे पर ही नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वर्ष 2014 में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई थी और विकास या आर्थिक उन्नति जिसका ध्येय था.

Pawan K. Varma blog: BJP moving towards polarization leaving good governance | पवन के. वर्मा का ब्लॉग: सुशासन छोड़ ध्रुवीकरण की ओर बढ़ती भाजपा

बीजेपी का झंडा। (फाइल फोटो)

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए इस बार जिस तरह का प्रचार हुआ, उससे मैं एक निश्चित लेकिन दुखद निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि भाजपा के पास लोगों को धार्मिक आधार पर विभाजित करने के अलावा और कोई एजेंडा नहीं है. चुनावों के दौरान इसके नेताओं ने लोगों को यह समझाने की कोई भी कोशिश नहीं की कि दिल्ली के लिए उनका खाका क्या है.

उन्होंने प्रशासन के मुद्दों पर बात नहीं की. यह नहीं बताया कि वे अपनी योजनाओं के माध्यम से दिल्ली के लोगों के जीवन में कैसे बदलाव ला सकते हैं. दिल्ली में लोगों को बेहतर प्रशासन देने की वे कोई वैकल्पिक योजना पेश नहीं कर सके. सुशासन पर चुप्पी दिखाई दी. विकास शब्द कहीं नजर नहीं आया और ‘सबका साथ’ तो पूरी तरह से अनुपस्थित था. शाहीन बाग को अपनी चुनावी रणनीति का केंद्रबिंदु बनाते हुए उन्होंने अपना पूरा जोर लोगों को बांटने पर रखा.

चुनाव परिणाम दिखाएगा कि पार्टी को अपनी इस रणनीति का कितना फायदा मिला. लेकिन इससे कुछ महत्वपूर्ण निष्कर्ष सामने आए हैं. सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा ने सुशासन संबंधी विचारों से किनारा कर लिया है. यह विशेष तौर पर उस पार्टी के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है जो सुशासन के वादे पर ही नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वर्ष 2014 में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई थी और विकास या आर्थिक उन्नति जिसका ध्येय था.

आज सुशासन का कोई संकेत नहीं है. अर्थव्यवस्था जजर्र हालत में है. बेरोजगारी सार्वकालिक उच्च स्तर पर है. जीडीपी लुढ़क रही है. औद्योगिक उत्पादन घट रहा है, निवेश का माहौल ठंडा है, निर्यात घट रहा है, महंगाई बढ़ रही है. जीएसटी संग्रह लक्ष्य से काफी नीचे है. राजकोषीय घाटा दबाव में है. मांग में गिरावट आई है. खपत खतरनाक रूप से कम है. स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए आवंटन पर्याप्त नहीं है तथा कृषि संकट मुंह बाये खड़ा है. सरकार है कि इस सच्चई से ही इंकार कर रही है. वह मानती है कि कोई आर्थिक संकट मौजूद नहीं है और यह राजनीतिक विरोधियों द्वारा किया गया दुष्प्रचार है. उसकी प्राथमिकताएं पूरी तरह से अलग प्रतीत होती हैं. वह वास्तविक समस्याओं के समाधान के बजाय विभाजनकारी सीएए-एनआरसी एजेंडे पर चल रही है.

दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम जो भी हों, ऐसा लगता है कि केवल एक ही कारक भाजपा के पक्ष में है और वह है अखिल भारतीय पैमाने पर प्रभावी विपक्ष की अनुपस्थिति. जब भी विपक्ष से एक प्रभावी नेता उभर कर सामने आ जाएगा, भाजपा को अपनी चुनावी मशीनरी और कैडर की पूरी ताकत के साथ वास्तविक चुनौती का सामना करना पड़ेगा.

Web Title: Pawan K. Varma blog: BJP moving towards polarization leaving good governance

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