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देश में 216 बड़े बांधों की सुरक्षा को लेकर गंभीर स्थिति?, गंभीर खामियां, तत्काल मरम्मत की जरूरत

By प्रमोद भार्गव | Updated: December 18, 2025 05:48 IST

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 24-24 बांध, तमिलनाडु में 19, तेलंगाना में 18, उत्तरप्रदेश में 12, झारखंड में 10, केरल में 9, आंध्रप्रदेश में 7 और गुजरात तथा मेघालय में छह-छह बांध क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिनमें तत्काल सुधार जरूरी है.

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ठळक मुद्देबांधों की मरम्मत पर अब तक ध्यान क्यों नहीं दिया गया.बांधों की पक्की दीवारों में क्षरण होने से पानी का रिसाव बढ़ गया.महाराष्ट्र में 50 ऐसे बांध पाए गए हैं, जिनकी तत्काल मरम्मत जरूरी है.

देश में बड़े बांधों की सुरक्षा को लेकर गंभीर स्थिति सामने आई है. संसद के चालू सत्र में जलशक्ति राज्य मंत्री राजभूषण चौधरी ने राज्यसभा में बताया कि देशभर में 216 बांध ऐसे हैं, जिनमें गंभीर खामियां पाई गई हैं और जिनकी तत्काल मरम्मत होना जरूरी है. इन बांधों को दूसरी श्रेणी में रखा गया है. इसका अर्थ है कि बांध में बड़ी संरचनात्मक या तकनीकी कमी है, जिसे नजरअंदाज करना भविष्य में बड़े खतरे को आमंत्रण देना होगा. सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 50 ऐसे बांध पाए गए हैं, जिनकी तत्काल मरम्मत जरूरी है.

इसके बाद मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 24-24 बांध, तमिलनाडु में 19, तेलंगाना में 18, उत्तरप्रदेश में 12, झारखंड में 10, केरल में 9, आंध्रप्रदेश में 7 और गुजरात तथा मेघालय में छह-छह बांध क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिनमें तत्काल सुधार जरूरी है. यह समझ से परे है कि ‘बांध सुरक्षा अधिनियम’ अस्तित्व में होने के बावजूद इन बांधों की मरम्मत पर अब तक ध्यान क्यों नहीं दिया गया.

नदियों पर बांध इस दृष्टि से बनाए गए थे, जिससे जल के इन अक्षुण्ण भंडारों से सिंचाई, बिजली और महानगरों के लिए पेयजल की आपूर्ति के साथ पानी की बर्बादी पर अंकुश लगे. लेकिन औसत आयु पूरी होने से पहले ही देश के ज्यादातर बांध एक तो गाद से भर गए, दूसरे बांधों की पक्की दीवारों में क्षरण होने से पानी का रिसाव बढ़ गया.

पुराने होने से कई बांध बरसात में ज्यादा पानी भर जाने पर टूटने भी लगे हैं. बांधों में गाद भर जाने से जलग्रहण क्षमता कम हुई है. नतीजतन ये जल्दी भर जाते हैं. ऐसे में बांधों से छोड़ा गया पानी तबाही का कारण बन रहा है. इस नाते बांधों की मरम्मत के लिए, समय रहते भारत सरकार ने देशभर के बांधों को सुरक्षित बनाए रखने की दृष्टि से 10,211 करोड़ रुपए का बजट भी आवंटित किया हुआ है.

यह धन बांध पुनर्वास और सुधार कार्यक्रम (डीआरआईपी) के अंतर्गत दिया गया है. भारत बांध संख्या के लिहाज से दुनिया में तीसरे स्थान पर है. देश में कुल बांध 5,745 हैं. इनमें से संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने 1115 बांधों की हालत खस्ता बताई है.  चीन पहले और अमेरिका दूसरे स्थान पर है.  देश में 973 बांधों की उम्र 50 से 100 वर्ष के बीच है, जो 18 प्रतिशत बैठती है.

973 यानी 56 फीसदी ऐसे बांध हैं, जिनकी आयु 25 से 50 वर्ष है. शेष 26 प्रतिशत बांध 25 वर्ष से कम आयु के हैं, जिन्हें मरम्मत की अतिरिक्त जरूरत नहीं है. दरअसल पुराने और ज्यादा जल दबाव वाले बांधों की मरम्मत इसलिए जरूरी है, क्योंकि अधिक मात्रा में बरसाती पानी भर जाने पर इनके टूटने का खतरा बढ़ जाता है. भारत में बांधों की मरम्मत अप्रैल 2021 से लेकर 2031 तक पूरी होनी है.

दरअसल नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा बांध सुरक्षा विधेयक-2018 पारित कर दिए जाने के बाद से ही यह उम्मीद थी कि जिन बांधों की उम्र 26 से 100 वर्ष की है उनकी मरम्मत की जाएगी. कई बांध इतनी जर्जर अवस्था में आ गए हैं कि बांध की दीवारों, मोरियों और द्वारों से निरंतर पानी रिसता रहता है. इस नजरिये से इस विधेयक का उद्देश्य बांधों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत और संस्थागत कार्ययोजना उपलब्ध कराना है.

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