पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: प्रदूषण से मरते प्रवासी पक्षी
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: December 27, 2019 11:36 IST2019-12-27T11:36:30+5:302019-12-27T11:36:30+5:30
देश की सबसे बड़ी खारे पानी की झील कही जाने वाली राजस्थान की सांभर झील में अभी तक 25 हजार से ज्यादा प्रवासी पक्षी मारे जा चुके हैं.

पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: प्रदूषण से मरते प्रवासी पक्षी
जो हजारों किलोमीटर दूर से जीवन की उम्मीद के साथ उड़ कर आने में नहीं थके, वे उनकी पुश्तों से आसरा रही झील में आ कर दो दिन नहीं जी पाए. भारत से कई हजार किमी दूर उनके मूल निवास स्थान को जैसे ही बर्फ की मोटी चादर ने ढंका, उन्होंने बीती सदियों के हर साल की तरह भारत का रुख किया लेकिन जिस खारे पानी की झील से उन्हें जीवन की आस थी, वहां आते ही उनकी लाशें बिछने लगीं.
देश की सबसे बड़ी खारे पानी की झील कही जाने वाली राजस्थान की सांभर झील में अभी तक 25 हजार से ज्यादा प्रवासी पक्षी मारे जा चुके हैं. शुरुआत में तो पक्षियों की मौत पर ध्यान ही नहीं गया, लेकिन जब हजारों लाशें दिखीं, दूर-दूर से पक्षी विशेषज्ञ आने लगे तो पता चला कि दूर देश से आए इन मेहमानों की जान का दुश्मन उनके प्राकृतिक पर्यावास में लगातार हो रही छेड़छाड़ व बहुत कुछ जलवायु परिवर्तन का असर भी है.
दीपावली बीती ही थी कि हर साल की तरह सांभर झील में विदेशी मेहमानों के झुंड आने शुरू हो गए. वे नए परिवेश में खुद को व्यवस्थित कर पाते, उससे पहले ही उनकी गर्दन लटकने लगी, उनके पंख बेदम हो गए, वे न तो चल पा रहे थे और न ही उड़ पा रहे थे. लकवा जैसी बीमारी से ग्रस्त पक्षी तेजी से मरने लगे.
यदि बारीकी से देखें तो पता चलेगा कि मेहमान पक्षियों की मौत के मूल में सांभर झील के पर्यावरण के साथ लंबे समय से की जा रही छेड़छाड़ भी है. एक तो सांभर साल्ट लिमिटेड ने नमक निकालने के ठेके कई कंपनियों को दे दिए जो मानकों की परवाह किए बगैर गहरे कुएं और झील के किनारे दूर तक नमकीन पानी एकत्र करने की खाई बना रहे हैं. फिर परिशोधन के बाद गंदगी को इसी में डाल दिया जाता है.
विशाल झील को छूने वाले किसी भी नगर कस्बे में घरों से निकलने वाले गंदे पानी को परिशोधित करने की व्यवस्था नहीं है और हजारों लीटर गंदा-रासायनिक पानी हर दिन इस झील में मिल रहा है. पर्यावरण के प्रति बेहद संवेदनशील पक्षी उनके प्राकृतिक पर्यावास में अत्यधिक मानव दखल, प्रदूषण, भोजन के अभाव से भी परेशान हैं. सनद रहे कि हमारे यहां साल-दर-साल प्रवासी पक्षियों की संख्या घटती जा रही है. प्राकृतिक संतुलन और जीवन-चक्र में प्रवासी पक्षियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. इनका इस तरह से मारा जाना अनिष्टकारी है.