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पी2पी: निवेश का अच्छा विकल्प, पढ़ें प्रकाश बियाणी का ब्लॉग

By Prakash Biyani | Updated: February 15, 2020 09:02 IST

31 अक्तूबर 2019 को रिजर्व बैंक ने 20 डिजिटल प्लेटफार्म को ‘नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी पी2पी’ लाइसेंस जारी किए हैं. अब इन प्लेटफार्म के जरिए जमाकर्ता सीधे किसी व्यक्ति या कंपनी को कर्ज दे सकते हैं. जमाकर्ता की पूंजी की सुरक्षा के लिए रिजर्व बैंक ने इन प्लेटफार्म के लिए जो नियमावली बनाई है...

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भारतीय रिजर्व बैंक ने कर्ज की ब्याज दर घटाई तो बैंकों ने जमा की ब्याज दरें घटा दी हैं. कभी एक साल की फिक्स्ड डिपॉजिट पर जमाकर्ता को 8 से 9 फीसदी ब्याज मिलता था, अब 6 फीसदी. इससे ज्यादा रिटर्न शेयर मार्केट में निवेश से मिल जाता है पर वहां पूंजी डूब जाने का खतरा है. निवेश का नया विकल्प है पीयर टू पीयर (पी2पी) जिससे 15 से 20 फीसदी रिटर्न मिलता है.

31 अक्तूबर 2019 को रिजर्व बैंक ने 20 डिजिटल प्लेटफार्म को ‘नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी पी2पी’ लाइसेंस जारी किए हैं. अब इन प्लेटफार्म के जरिए जमाकर्ता सीधे किसी व्यक्ति या कंपनी को कर्ज दे सकते हैं. जमाकर्ता की पूंजी की सुरक्षा के लिए रिजर्व बैंक ने इन प्लेटफार्म के लिए जो नियमावली बनाई है, उसके अनुसार ये किसी एक व्यक्ति या संस्था से अधिकतम 50 लाख रुपये ही निवेश के लिए स्वीकार कर सकते हैं और किसी एक व्यक्ति या कंपनी को अधिकतम 50 हजार ही कर्ज दे सकते हैं.

कर्ज की अवधि 36 माह से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. कर्ज देने के पहले कर्जदार की कर्ज लौटने की क्षमता का आकलन करना और केवाईसी (नो योर कस्टमर) लेना जरूरी है.

पी2पी माध्यम से भी निवेश के डूबने का खतरा है हालांकि साहूकार और कर्जदार के बीच साइन किए गए लोन एग्रीमेंट के आधार पर पी2पी प्लेटफार्म वसूली के प्रयास करते हैं. ऐसे तीन प्लेटफार्म- लेनदेन क्लब, रूपी सर्कल और फेयरसेंट का दावा है कि उनकी डिफॉल्ट दर मात्न 1 से 4 फीसदी है. डिफॉल्ट से सेफ्टी का एक और उपाय है- जमाकर्ता एक व्यक्ति या कंपनी को कर्ज न दें.

यानी एक लाख रुपए कर्ज देना चाहते हैं तो यह राशि 5 कर्जदारों में बांट दें. यदि इनमें से कोई एक डिफॉल्टर हो जाता है यानी 20 हजार रुपए डूब जाते हैं तो भी जमाकर्ता को मिलनेवाला रिटर्न 15 फीसदी से ज्यादा ही होगा.

अपने निवेश पर यह रिटर्न जमाकर्ता मासिक या त्नैमासिक आधार पर ले सकते हैं. निवेश पर रिटर्न यानी क्रेडिट डिफॉल्ट का आकलन करने के बाद मिलनेवाला ब्याज और जमाकर्ता को दिए जाने वाले ब्याज का अंतर पी2पी प्लेटफार्म की कमाई है जो सामान्यत: कुल रिटर्न का एक फीसदी होता है.

पी2पी प्लेटफार्म की वेबसाइट्स पर उन व्यक्तियों या कंपनियों की सूची देखी जा सकती है जो कर्ज लेना चाहते हैं. जमाकर्ता इनमें से अपने कर्जदार को चुन सकते हैं.

टॅग्स :बैंकिंगभारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)लोकमत हिंदी समाचारबिज़नेस
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