निरंकार सिंह का ब्लॉग: सांप्रदायिकता के खिलाफ थे सरदार पटेल
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 31, 2019 07:19 AM2019-10-31T07:19:38+5:302019-10-31T07:19:38+5:30
सरदार पटेल संविधान-सभा की अल्पसंख्यक उप-समिति के अध्यक्ष भी थे. उन्होंने सांप्रदायिक एकता लाने का भी प्रयत्न किया.उन्होंने विभिन्न समुदायों द्वारा भिन्न निर्वाचक-वर्ग स्थापित किए जाने के दावों को समाप्त कर देने का आग्रह किया.
सरदार वल्लभभाई पटेल देश के उन महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे जिन्होंने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया था. स्वराज प्राप्ति के बाद भारत में देशी राज्यों का विलय कराने में उनकी सबसे बड़ी भूमिका थी. देश के शासन तंत्र को स्थिर और सुदृढ़ बनाने में जो कार्यक्षमता उन्होंने दिखाई उसकी सभी लोग सराहना करते हैं.
सरदार पटेल संविधान-सभा की अल्पसंख्यक उप-समिति के अध्यक्ष भी थे. उन्होंने सांप्रदायिक एकता लाने का भी प्रयत्न किया.उन्होंने विभिन्न समुदायों द्वारा भिन्न निर्वाचक-वर्ग स्थापित किए जाने के दावों को समाप्त कर देने का आग्रह किया. पारसी समुदाय के प्रतिनिधि भी एक अलग निर्वाचन क्षेत्र चाहते थे परंतु वल्लभभाई ने ऐसे विचारों को हंसकर टाल दिया तथा इस विषय पर कभी चर्चा न हुई. पारसी बहुत कम, अल्पसंख्यक थे, परंतु मुसलमानों, सिखों तथा ईसाइयों की संख्या अधिक थी.
उस समय सिखों ने खालिस्तान राज्य की मांग रखी थी परंतु सरदार पटेल ने इस समस्या का अत्यंत सूझबूझ से समाधान कर दिया था. उन्होंने सिखों के प्रांत के अंदरूनी भागों में जाकर तथा अमृतसर में सिखों से वार्तालाप किया और उन्हें समझाया कि किस प्रकार हर एक को भाई-भाई के समान रहना है. सरदार पटेल की यह भावुक प्रार्थना प्रभावशाली रही.
अक्टूबर 1947 में पटियाला में दिए गए एक सशक्त भाषण में उन्होंने कहा कि हमें अंतहीन झगड़ों में नहीं उलझना चाहिए. सन 1947 में जब लोग स्वराज प्राप्त करने की खुशी पर जश्न मना रहे थे, तो दो व्यक्ति ऐसे थे जो इस जश्न से सहमत नहीं थे- महात्मा गांधी तथा सरदार पटेल. सन् 1947 में प्राप्त की गई स्वाधीनता के प्रति सरदार पटेल की प्रक्रिया स्मरणीय है- ‘हमें स्वराज नहीं, विदेशी शासन से मुक्ति प्राप्त हुई है. लोगों को आंतरिक स्वराज जीतना होगा. उन्हें जाति तथा संप्रदाय का भेदभाव मिटाना होगा, छुआछूत को हटाना होगा, भूखे लोगों का उद्घार करना होगा तथा एक संयुक्त परिवार की भांति रहना होगा. संक्षेप में एक नई जीवन की शैली का निर्माण तथा हृदय एवं दृष्टिकोण में परिवर्तन लाना होगा.’ सरदार पटेल के लिए भारत की एकता तथा अखंडता सर्वोपरि थी.