निरंकार सिंह का ब्लॉग : नेशनल ग्रिड से कैंसर मरीजों के लिए जागीं नई उम्मीदें
By निरंकार सिंह | Published: February 4, 2022 09:30 AM2022-02-04T09:30:47+5:302022-02-04T09:32:11+5:30
रिपोर्ट में ये सामने आया है कि दिल्ली में बच्चों में कैंसर के मामले सामने आने की संख्या बढ़ गई है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने 18 अगस्त 2020 को भारत में कैंसर के बढ़ते मामलों पर अपनी रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट के आने के बाद मेडिकल क्षेत्र के विशेषज्ञों की चिंताएं बढ़ गई हैं.
कैंसर आज भी दुनिया की सबसे भयावह बीमारियों में से एक है. कैंसर पर लगाम लगाने के लिए जरूरी है कि समाज में जागरूकता पैदा की जाए. हमारे देश की बहुसंख्यक गरीब आबादी के पास कैंसर से समय पर सतर्क होने और जूझने की क्षमता नहीं है. कैंसर के अस्पतालों का अकाल तो है ही, बड़े अस्पतालों तक गरीबों की पहुंच बहुत मुश्किल है. इसलिए अस्पतालों में पहुंचने से पहले या आधे-अधूरे इलाज से तमाम लोगों की मौत हो जाती है. इसको ख्याल में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कैंसर के सस्ते इलाज के लिए कई कदम उठाए हैं.
प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) में शामिल देश के गरीब कैंसर मरीजों को अब घर बैठे विश्वस्तरीय डॉक्टरों से सलाह मिलेगी. इसके लिए एक नेशनल कैंसर ग्रिड बनाया गया है. इस ग्रिड में देश के 170 कैंसर अस्पताल शामिल हैं. इन अस्पतालों के डॉक्टरों ने विशेष तौर पर भारत के कैंसर मरीजों के लिए दिशानिर्देश तैयार किए हैं.
पीएमजेएवाई का संचालन करने वाली संस्था राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) कैंसर के इलाज के लिए टाटा मेमोरियल अस्पताल की ओर से विकसित नव्या एप की सेवाएं लेने की तैयारी में है. नव्या के संस्थापक और चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ नरेश रामाराजन का मानना है कि कैंसर से अर्थव्यवस्था पर दो तरह से प्रभाव पड़ता है. एक तो मरीज के परिवार पर और दूसरा भारत के स्वास्थ्य बजट पर. इस प्रभाव को कम करने के लिए एक नेशनल कैंसर ग्रिड (एनसीजी) बनाया गया है.
एनसीजी देशभर के सरकारी और गैरसरकारी अस्पतालों का समूह है, जिसने नव्या का गठन किया है जो मरीजों और उनके तीमारदारों के दरवाजों तक डॉक्टरों की राय और इलाज के तौर-तरीकों को पहुंचाने में मदद कर रहा है. डॉक्टर रामाराजन के अनुसार कई अध्ययन ये जानकारी देते हैं कि अगर परिवार का एक सदस्य भी कैंसर से पीड़ित हो जाता है तो उसके इलाज के लिए 40-50 फीसदी लोग कर्ज लेते या घर बेच देते हैं. साथ ही लांसेट में आई रिपोर्ट के अनुसार करीब तीन से पांच फीसदी लोग इलाज की वजह से गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं.
लेकिन अब डॉक्टरों को उम्मीद है कि केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की सूची में कैंसर की बीमारी को जोड़े जाने से लोगों को मदद मिलेगी. सरकार की तरफ से आयुष्मान योजना 2018 में शुरू हुई थी, जिसमें बीमारियों के इलाज के लिए दी जाने वाली सहायता में कैंसर का इलाज भी शामिल है. इस योजना के तहत लाभार्थी को पांच लाख रुपए तक की सहायता राशि देने का प्रावधान है. इसका लाभ भी गरीब मरीजों को मिल रहा है.
फिलहाल गरीबी रेखा से नीचे के लोगों के लिए नव्या की सेवाएं मुफ्त हैं. अन्य मरीजों के लिए 1500 रुपए से लेकर 8500 रुपए तक का शुल्क लिया जाता है. सरकार की ऐसी योजनाओं का अभी बहुत प्रचार-प्रसार नहीं हुआ है. जरूरत इस बात की है कि इन योजनाओं की जानकारी जनता तक पहुंचाई जाए ताकि गरीबों को कैंसर से राहत मिल सके.
आईसीएमआर की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत में अगले पांच वर्षो में कैंसर के मामलों की संख्या में 12 फीसदी की वृद्धि होगी. साल 2025 तक भारत में कैंसर के मरीजों की संख्या 15.69 लाख के पार निकल जाएगी जो कि इस समय 14 लाख से भी कम है. पिछले कुछ सालों में दिल्ली जैसे महानगरों में कम उम्र के लोगों में स्टेज फोर कैंसर की पुष्टि होने की खबरें सामने आई थीं.
इस रिपोर्ट में ये सामने आया है कि दिल्ली में बच्चों में कैंसर के मामले सामने आने की संख्या बढ़ गई है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने 18 अगस्त 2020 को भारत में कैंसर के बढ़ते मामलों पर अपनी रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट के आने के बाद मेडिकल क्षेत्र के विशेषज्ञों की चिंताएं बढ़ गई हैं. क्योंकि ये रिपोर्ट उन सभी आशंकाओं को पुष्ट करती है जो कि मेडिकल क्षेत्र के विशेषज्ञ पिछले पांच-छह सालों से ग्राउंड पर देख रहे हैं. ये रिपोर्ट दरअसल जमीनी स्थिति को दिखा रही है.
इस रिपोर्ट में यह सामने आया है कि साल 2020 में तंबाकू की वजह से कैंसर ङोल रहे लोगों की संख्या 3.7 लाख है जो कि कुल कैंसर मरीजों का 27.1 फीसदी है. ऐसे में तंबाकू वो सबसे बड़ा कारण बनकर उभरा है जिसकी वजह से लोग अलग-अलग तरह के कैंसर का सामना कर रहे हैं. विशेषज्ञों के अनुसार कैंसर से बचने के लिए तंबाकू का इस्तेमाल बिल्कुल बंद करना चाहिए.