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नारी शक्ति वंदन अधिनियम से आधी आबादी होगी सशक्त

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: September 22, 2023 10:17 IST

संसद के नए भवन में पहले ही दिन नारी शक्ति वंदन अधिनियम के रूप में महिला आरक्षण विधेयक प्रस्तुत होने से यह स्पष्ट हो गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किन कारणों से विशेष सत्र को ऐतिहासिक बता रहे थे।

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ठळक मुद्देसंसद की नई इमारत में लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पारित हो गया हैलोकसभा में इस बिल के पक्ष में 454 मत पड़े, जबकि दो सांसदों ने इसके विरोध में वोट दियाविधेयक में संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है

संसद के नए भवन में पहले ही दिन नारी शक्ति वंदन अधिनियम के रूप में महिला आरक्षण विधेयक प्रस्तुत होने से यह स्पष्ट हो गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किन कारणों से विशेष सत्र को ऐतिहासिक बता रहे थे। संसद की नई इमारत में लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पारित हो गया है।

लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 454 मत पड़े, जबकि दो सांसदों ने इसके विरोध में वोट दिया। विधेयक में संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है। आंकड़ों से पता चलता है कि लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 15 फीसदी से कम है, जबकि कई राज्य विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से कम है।

सरकार कह रही है कि इसके साथ ही महिला अधिकारों की एक लंबी लड़ाई का अंत हुआ है और प्रधानमंत्री का महिला नीत विकास का सपना साकार हो रहा है। वहीं कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी आरक्षण बिल का समर्थन करते हुए इसे पूर्व प्रधानमंत्री ‘राजीव गांधी का सपना’ बताया।

दरअसल, महिला आरक्षण बिल का मुद्दा कोई नया नहीं बल्कि दशकों पुराना है। महिला आरक्षण की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि भारत एक पितृसत्तात्मक समाज है और तमाम प्रगति के बाद भी महिलाओं को वह स्थान नहीं मिल सका है जो उन्हें मिलना चाहिए।

हमारे यहां महिलाएं देश की आबादी का लगभग आधा हिस्सा हैं। यह आधी आबादी कभी शोषण तो कभी अत्याचार के मामलों को लेकर अक्सर चर्चा में रहती है। जब भी हम महिलाओं की समानता की बात करते हैं तो यह भूल जाते हैं कि किसी भी वर्ग में समानता के लिए सबसे पहले अवसरों की समानता का होना बेहद जरूरी है।

यह भी किसी से छिपा नहीं है कि देश में आधी आबादी राजनीति में अभी भी हाशिये पर है। यह स्थिति तब है, जब महिलाओं को किसी भी क्षेत्र में, किसी भी पायदान पर जब और जैसा अवसर मिला, उन्होंने अपनी योग्यता और क्षमताओं का लोहा मनवाया है।

जब तक महिलाओं की आवाज नहीं सुनी जाएगी, जब तक उन्हें अवसर नहीं दिए जाएंगे, तब तक सच्चा लोकतंत्र नहीं आ सकता। वास्तव में भारत की आधी आबादी का एक बहुत बड़ा भाग अभी भी अपने मूलभूत अधिकारों से वंचित है। आज जरूरत इस बात की है कि इन्हें विकास की मुख्य धारा से जोड़ा जाए।

हमें इस बात को समझना होगा कि पुरुषों और महिलाओं की समान भागीदारी न केवल न्याय और लोकतंत्र के लिए अहम है, बल्कि यह मानव अस्तित्व के लिए भी अनिवार्य है। महिला सशक्तिकरण महिलाओं को निर्णय लेने की क्षमता देता है। उनकी प्रगति में सहायता करता है।

महिला सशक्तिकरण के लिए आरक्षण आवश्यक है, क्योंकि इससे उन्हें महिलाओं के हक में  नीति निर्माण में भाग लेने का अधिकार मिलता है। किसी भी समाज का पूर्ण विकास समाज के आधे सदस्यों को अलग-थलग करके नहीं किया जा सकता।

समय की मांग हैं कि समाज के समग्र विकास के लिए आधी आबादी को सहयोगी बनाया जाए और यह आरक्षण इस दिशा में एक सकारात्मक और सराहनीय कदम माना जाएगा।

टॅग्स :महिला आरक्षणलोकसभा संसद बिलनरेंद्र मोदी
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