एन. के. सिंह का ब्लॉगः मंदिर पर दबाव हल्का करना असली उद्देश्य था

By एनके सिंह | Published: January 4, 2019 08:13 AM2019-01-04T08:13:14+5:302019-01-04T08:13:14+5:30

देश में आम-चुनाव के मात्र तीन महीने बचे हैं. इसमें कोई दो राय नहीं कि पहली बार नरेंद्र मोदी ने कुछ मुद्दों पर बेबाकी दिखाई है, विपक्ष द्वारा हाल में उठाए गए आरोपों पर जवाब देना बनता था जो प्रधानमंत्री ने किया.

N. K. Singh's blog: The real aim was to lighten the pressure on the temple | एन. के. सिंह का ब्लॉगः मंदिर पर दबाव हल्का करना असली उद्देश्य था

फाइल फोटो

‘राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने पर फैसला न्यायिक प्रक्रिया के पूरा हो जाने के बाद ही लिया जाएगा’, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए साल में देश को यह जानकारी एक इलेक्ट्रॉनिक न्यूज एजेंसी को दिए साक्षात्कार में दी. यह वह समय है जब ‘मंदिर नहीं तो वोट नहीं’ के नारे लग रहे हैं और सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है. दरअसल इस 55 मिनट लंबे साक्षात्कार का मूल उद्देश्य ही राम मंदिर पर सरकार की मंशा बताना था.

प्रधानमंत्री के इस कथन का निहितार्थ भी समझना होगा. इस समाचार-पत्र के संपादकीय पृष्ठ पर विगत शनिवार को इस लेखक ने बड़े ही स्पष्ट रूप से सरकार की मजबूरी का जिक्र किया था और इस मामले में संवैधानिक स्थिति की विवेचना भी की थी. मोदी के कथन के कई आशय हैं. पहला : अगर अदालत चुनाव के पहले फैसला नहीं देती तो सरकार के इस कार्यकाल में मंदिर को लेकर यथास्थिति बरकरार रहेगी; दूसरा: अब दबाव सुप्रीम कोर्ट पर फैसला देने के लिए डाला जाएगा क्योंकि भाजपा यह बात जानती है कि अगर फैसला चुनाव से पहले आता है तो पार्टी के दोनों हाथों में लड्ड होगा. जीतने पर हर हिंदू घर से एक-एक पवित्र ईंट भव्य राम मंदिर के लिए लाना ताकि जो घर ईंट देगा वह वोट तो देगा ही और अगर हार गए तो आज के बदले माहौल में आक्रोशित धार्मिक समाज में स्व-स्फूर्त एकजुटता आ जाएगी.

देश में आम-चुनाव के मात्र तीन महीने बचे हैं. इसमें कोई दो राय नहीं कि पहली बार नरेंद्र मोदी ने कुछ मुद्दों पर बेबाकी दिखाई है, विपक्ष द्वारा हाल में उठाए गए आरोपों पर जवाब देना बनता था जो प्रधानमंत्री ने किया. लेकिन कुछ मुद्दे अनछुए रहे लिहाजा पूरा इंटरव्यू अर्ध-सत्य बयां करता लगा. इन सब से खास बात यह थी कि इस इंटरव्यू का आशय मोदी को अपनी स्थिति स्पष्ट करना था क्योंकि मंदिर बनाने के मामले में एक बड़े वर्ग द्वारा जिसमें भाजपा की मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शीर्ष नेतृत्व भी है, द्वारा सरकार से अध्यादेश या कानून लाने की मांग की जा रही है. बहुसंख्यक हिंदुओं के एक वर्ग, संघ में ही नीचे के वर्ग, विश्व हिंदू परिषद या साधु-संतों को संविधान के सिद्धांतों अथवा गंभीर पहलुओं से कुछ लेना-देना नहीं होता, लिहाजा मोदी की समस्या बढ़ती जा रही थी.

इंटरव्यू क्यों, प्रेस कांफ्रेंस क्यों नहीं. इंटरव्यू में एक ही व्यक्ति सवाल करता है और देश के तमाम पेचीदे आर्थिक, सामाजिक और गवर्नेस संबंधी सवाल कैसे हों यह उस साक्षात्कारकर्ता की समझ की व्यापकता पर निर्भर करते हैं. प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवालों पर ‘कंट्रोल’ बेहद मुश्किल होता है. रिपोर्टर राजनेता के आंकड़ों की सत्यता और उनकी कमियां भी जानते हैं इसलिए अगर साक्षात्कार देने वाले ने तथ्यों को सही परिप्रेक्ष्य में नहीं रखा तो अगला सवाल उनकी परेशानी बढ़ा सकता है. इसीलिए अधिकांश राजनेता चुनाव के दौरान इंटरव्यू देना पसंद करते हैं.

Web Title: N. K. Singh's blog: The real aim was to lighten the pressure on the temple

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