शरद जोशी का ब्लॉग: दिल की बात उगलवाने की कला 

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 12, 2019 05:15 PM2019-01-12T17:15:08+5:302019-01-12T17:15:08+5:30

अब बम्बई में कांग्रेस जीती कैसे? नाइयों के ही कारण। एस।के। पाटिल ने सारे नाइयों  का आह्वान किया।

midsummer night's dream like indian politics and situation | शरद जोशी का ब्लॉग: दिल की बात उगलवाने की कला 

शरद जोशी का ब्लॉग: दिल की बात उगलवाने की कला 

एशिया के जागरूक रंगमंच पर मैं नए वर्ग को उभरता हुआ देख रहा हूं। लगता है जैसे शीघ्र ही यह राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक क्षेत्रों पर हावी हो जाएगा। ‘मिड समर नाइट्स ड्रीम’ का पात्र ‘बाटम’ गधे का मुंह लग जाने के बाद जिस प्रकार नाई के यहां जाने को तड़प रहा था, कल वैसी ही तीव्र इच्छा मुङो हो रही थी। बाल जाल काफी था। ‘कैसे उलझा दूं लोचन’ वाली समस्या थी। मैंने कभी राजाजी के समान क्षौर-कर्म नहीं सीखा, और न उनकी तरह कुछ लोगों की हजामतें बनाईं। मैं तो साधारण-सा लेखक हूं, फ्रांस के अंतिम ट्रेबेडोर कलाकार की तरह नाई नहीं हूं। प्रगतिशील दृष्टिकोण मजबूर करता है कि बालों के सौंदर्य  की ओर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए, क्योंकि ये फैशनें बुजरुआ संस्कृति की प्रतीक हैं और इससे सर्वहारा का आंदोलन कमजोर होता है।

नाई के यहां बैठे हुए मुङो उनकी क्षमता से बड़ा आश्चर्य हुआ। उनकी बातचीत और दिल से बात उगलवा लेने की कला देख मैं दंग रह गया। अब मुङो अंदाज हुआ कि राजनीतिक उद्देश्य से आया निक्सन पाकिस्तान के नाइयों द्वारा दिए गए मुफ्त कटिंग के निमंत्रण को अस्वीकार कैसे कर गया। पाकिस्तान के नाइयों की ख्याति अमेरिका पहुंच ही गई थी। लियाकत अली ने जब अपने मित्र नाई के लिए अमेरिका से उस्तरा खरीदा था- तभी वहां काफी आश्चर्य प्रकट किया गया होगा। एशिया का प्रथम बी।ए। नाई पाकिस्तान में है और अभी पाकिस्तानी नाइयों ने मनुष्य के बालों में गंधक तथा रसायन खोज, उद्योग धंधों को बढ़ाने की बात कही है- वह क्षौरिक-क्षमता की परिचायक है।

अब बम्बई में कांग्रेस जीती कैसे? नाइयों के ही कारण। एस।के। पाटिल ने सारे नाइयों  का आह्वान किया। पाटिल समझते हैं कि हजामत बनाते समय नाई जो गले उतार सकता है, वह कुर्सी पर बैठकर एक प्रोफेसर भी नहीं कर सकता। खैर, कांग्रेस जीत गई। नाइयों के हाथ में ही देश की चोटी है, यह सिद्ध हो गया। इन्हीं के हाथों में रही तो कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता।

अभी 26 जनवरी को सूरत के नाई ने मुफ्त  हजामत बनाकर हमारी श्रद्धा और भी इस वर्ष के प्रति बढ़ा दी। नाई बड़े उदारमना होते हैं। हर नाई की दुकान वाचनालय होती है। अपने पेशे के कारण जनता की समस्याओं को ज्यादा अच्छी तरह से समझते हैं। नेताओं की अपेक्षा ये लोगों के दिमाग के ज्यादा निकट हैं। भविष्य कहा नहीं जा सकता। बाल कितने? भई, सामने आवेंगे।

Web Title: midsummer night's dream like indian politics and situation

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