मील के नए पत्थर स्थापित करती मेट्रो रेल सेवा
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: April 14, 2023 15:10 IST2023-04-14T15:09:36+5:302023-04-14T15:10:17+5:30
यातायात के वैकल्पिक साधन के रूप में पिछली सदी में ट्राम भी चलते रहे। बाद में पिछली सदी में साठ के दशक में मेट्रो ट्रेन का सपना साकार हुआ। भूमिगत मेट्रो ट्रेनें भी चलने लगीं। भारत में दशकों पहले भूमिगत मेट्रो ट्रेन का सपना साकार हो गया था लेकिन उसके बाद मेट्रो रेल सेवा का विस्तार थम सा गया था।

मील के नए पत्थर स्थापित करती मेट्रो रेल सेवा
भारत में विकसित तथा कई विकासशील देशों के मुकाबले मेट्रो रेल बहुत विलंब से शुरू हुई लेकिन उसने तेजी से पंख फैलाए और अब तो वह आधुनिकतम तकनीक की ऐसी राह पर चल रही है जिसकी हमारे देश में कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। मेट्रो ट्रेन का नदी के नीचे से सफर करने का सपना हमारे इंजीनियरों तथा टेक्नीशियनों ने साकार कर दिखाया है। बुधवार को पहली बार मेट्रो ट्रेन ने कोलकाता में गंगा नदी के नीचे बनी सुरंग में दौड़ लगाई। यह ट्रेन नदी के नीचे से बनी सुरंग से अपना मार्ग तय करती हुई कोलकाता से हावड़ा पहुंची। पानी के नीचे मेट्रो ट्रेन चलाने का बुधवार को ट्रायल जरूर हुआ लेकिन जल्दी ही न केवल कोलकाता बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में हम मेट्रो ट्रेनों को पानी के नीचे सफर तय करता हुआ देखेंगे। एक जमाना था जब सिर्फ पनडुब्बियों के ही पानी के नीचे चलने में सक्षम होने की धारणा प्रचलित थी। लोग सोच भी नहीं सकते थे कि ट्रेनें भी पानी के नीचे दौड़ सकती हैं। जापान, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, इटली, रूस जैसे कई देशों में मनुष्य ने अपनी क्षमता के बल पर तकनीक विकसित कर ली और पानी के नीचे ट्रेनें और मेट्रो ट्रेनें दौड़ने का सपना साकार हो गया।
भारत में मेट्रो रेल परियोजना बहुत पुरानी नहीं है। यह अभी भी शुरुआती दौर में ही है लेकिन पिछले पांच वर्षों में इसने जो रफ्तार पकड़ी है, उससे उम्मीद कर सकते हैं कि देश के महानगरों के साथ-साथ मध्यम श्रेणी के शहरों में भी अगले एक दशक में मेट्रो ट्रेन सेवा का जाल बिछ जाएगा। पानी के भीतर ट्रेन में सफर करने के रोमांच को बहुत जल्द नदी किनारे बसे शहरों के लोग भी महसूस कर सकेंगे। कोलकाता में नदी के नीचे 32 मीटर गहराई में सुरंग बनाई गई है। सतह से 33 मीटर नीचे पानी के भीतर ही स्टेशन भी बनाया गया है। इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है कि ट्रेन के भीतर पानी का रिसाव किसी भी हालत में न हो। यह ट्रेन पानी के नीचे 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी। जब यह ट्रेन मेट्रो रेल सेवा का नियमित हिस्सा बन जाएगी, तब कोलकाता तथा हावड़ा के बीच प्रतिदिन 10 लाख यात्रियों को पानी के भीतर यात्रा का रोमांच महसूस करवाएगी।
कहते हैं आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है। सार्वजनिक परिवहन के नए-नए साधन समय के साथ-साथ विकसित होते चले गए। ये साधन जमीन, हवा और पानी के ऊपर चलते रहे। सार्वजनिक परिवहन पर यातायात का बोझ जनसंख्या वृद्धि के साथ बढ़ता चला गया, तब ट्रेन, हवाई जहाज, पानी के जहाज, बस तथा अन्य तरह के वाहन कम पड़ने लगे। यातायात के वैकल्पिक साधन के रूप में पिछली सदी में ट्राम भी चलते रहे। बाद में पिछली सदी में साठ के दशक में मेट्रो ट्रेन का सपना साकार हुआ। भूमिगत मेट्रो ट्रेनें भी चलने लगीं। भारत में दशकों पहले भूमिगत मेट्रो ट्रेन का सपना साकार हो गया था लेकिन उसके बाद मेट्रो रेल सेवा का विस्तार थम सा गया था। जब मेट्रो ट्रेनों पर भी बोझ बढ़ने लगा तो पानी के भीतर परिवहन सेवा शुरू करने की संकल्पना विकसित हुई तथा उसने शीघ्र ही मूर्त रूप धारण कर लिया। भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश में सार्वजनिक परिवहन सेवा पर यात्रियों का बोझ भी बहुत है और उससे अपेक्षाएं भी बहुत हैं। मुंबई, कोलकाता तथा चेन्नई जैसे शहरों में लोकल ट्रेनों के माध्यम से सार्वजनिक परिवहन को ज्यादा सुगम बनाने का प्रयास किया गया लेकिन बढ़ती आबादी के कारण लोकल ट्रेन सेवा पर बहुत ज्यादा बोझ बढ़ गया। कोलकाता मेट्रो के बाद मेट्रो ट्रेन सेवा के विस्तार के थमे हुए पहियों को पिछले दो दशकों में रफ्तार मिली।
सन् 2014 में केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद मेट्रो ट्रेन सेवा के विस्तार को मानो पंख लग गए। आज देश के कई बड़े शहरों में मेट्रो ट्रेनें शुरू हो चुकी हैं और अगले एक दशक में मेट्रो ट्रेन का नेटवर्क भी हमारी रेल सेवा की तरह ही व्यापक रूप हासिल कर ले तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। केंद्र तथा राज्य सरकारें सार्वजनिक परिवहन को सुचारू बनाने की जरूरतों को गंभीरता से ले रही हैं। उसी का नतीजा है कि अब देश में नदी के नीचे मेट्रो ट्रेन चलाने का सपना साकार हो रहा है। देश में नदी के नीचे से लंबी तथा मध्यम दूरी की यात्री ट्रेनें चलाने की दिशा में भी मंथन हो रहा है। मुंबई तथा अहमदाबाद के बीच प्रस्तावित बुलेट ट्रेन परियोजना जब साकार होगी, तब यात्री समुद्र के नीचे ट्रेन में सफर करने का आनंद उठा सकेंगे।