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ब्लॉग: आशंका-अनुमान के बीच दस दिन की शांति

By अभिषेक श्रीवास्तव | Updated: May 25, 2024 11:51 IST

 लिहाजा चौंकाने वाले परिणामों की उम्मीदों के बीच जश्न मनाने की तैयारियों को तो जिंदा रखना होगा, लेकिन खुशी मनाने के अवसर की सच्चाई जानने तक सभी को दिल थामकर ही बैठना होगा। 

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महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के पांचवें दौर का मतदान 20 मई को पूरा हो गया। 19 अप्रैल से आरंभ हुआ नई सरकार चुनने का सिलसिला 48 सीटों पर मताधिकार व्यक्त करने के साथ समाप्त हो गया। इसके साथ ही कयासों का दौर आरंभ हो गया। कहीं नेता छुट्टियां मनाने चले गए हैं तो कहीं जमकर पूजा-अर्चना की जा रही है।

कुछ उम्मीदवार अभी से ही धन्यवाद यात्रा निकालने में जुटे हैं तो कुछ चुनावी गड़बड़ियों के पीछे लगे हैं। फिलहाल दस दिन चलने वाली आशंकाओं एवं अनुमानों के बीच मतदाता के लिए शांति है। किंतु शांत मन से व्यक्त जनमत से राजनीतिक दलों का मन जरूर अशांत है, जो उन्हें न ज्यादा खुश होने दे रहा है और न ही ज्यादा दु:खी होने दे रहा है।

लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के तहत राज्य की 13 लोकसभा सीटों पर मतदान खत्म होते ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कार्यकर्ताओं को भावनात्मक पत्र लिखा और चुनाव में कार्यकर्ताओं की मेहनत की प्रशंसा करते हुए चार जून को मिलकर जश्न मनाने की बात कही। इस बीच, केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने राज्य में 35 से 40 सीटें जीतने का दावा किया है, जो पार्टी की उम्मीदों से कम है।

भाजपा के पदाधिकारी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े सेवक 41 से अधिक सीटों पर विजय की उम्मीद लगा रहे हैं। हालांकि मराठवाड़ा में बीड़, पश्चिम महाराष्ट्र में बारामती और उत्तर महाराष्ट्र में अहमदनगर से मतदान में हुई गड़बड़ियों की शिकायत के बाद चुनाव आयोग सक्रिय है। वहीं मुंबई में धीमा मतदान अनेक सवालों को जन्म दे रहा है। उधर, चुनाव संपन्न होने के बाद महागठबंधन में आपसी आरोप-प्रत्यारोप के दौर भी आरंभ हो गए हैं।

मावल लोकसभा क्षेत्र से शिवसेना के शिंदे गुट के उम्मीदवार श्रीरंग बारणे ने आरोप लगाया है कि अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के कार्यकर्ताओं ने उनके लिए प्रचार नहीं किया, जिसके जवाब में राकांपा विधायक सुनील शेलके ने श्रीरंग बारणे से अपनी विफलता छिपाने के लिए राकांपा पदाधिकारियों पर आरोप या आलोचना नहीं करने के लिए कहा।

इसी तरह, मुंबई उत्तर-पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व सांसद गजानन कीर्तिकर का अपने पुत्र की जीत पर खुश होने की बात कहना और उनकी पत्नी का बेटे के पक्ष में मतदान करने का बयान नेताओं को नाराज कर रहा है। यहां तक कि शिवसेना के उपनेता शिशिर शिंदे ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पार्टी विरोधी बयान देने के लिए कीर्तिकर को शिवसेना से निष्कासित करने की मांग की है।

वहीं, महाविकास आघाड़ी के दावों के अनुसार शिवसेना ठाकरे गुट के प्रमुख उद्धव ठाकरे कहते हैं कि वह 48 में से 48 सीटें जीतेंगे, क्योंकि उन्होंने जीतने की तैयारी से चुनाव लड़ा है। वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद पवार गुट के अध्यक्ष शरद पवार का मानना है कि विपक्ष महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 30-35 सीटें जीतेगा।

जबकि महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नाना पटोले के अनुसार महाविकास आघाड़ी राज्य की 48 सीटों में से 42 पर चुनाव जीत सकती है। इनके अलावा राष्ट्रीय समाज पार्टी के नेता महादेव जानकर बारामती, बीड़ और परभणी तीनों लोकसभा सीटों पर जीत का दावा कर रहे हैं. प्रहार संगठन के प्रमुख अमरावती में भाजपा प्रत्याशी नवनीत राणा की पराजय निश्चित बताने में जुटे हुए हैं।

औरंगाबाद लोकसभा सीट पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सांसद इम्तियाज जलील ने दिल्ली की फ्लाइट का टिकट अभी से बुक कर लिया है। इन सब के बीच चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर का अनुमान है कि महाराष्ट्र में महागठबंधन 25 से 30 सीटें जीत रहा है। उनके अनुसार इस नुकसान का देश के चुनाव परिणामों पर अधिक असर नहीं पड़ेगा।

अब इन दावों-प्रति दावों के बीच भाजपा का अपना दु:ख यह है कि उसे 35 सीटों पर चुनाव लड़ने का अवसर नहीं मिला। उसने पिछली बार 25 सीटों पर चुनाव लड़कर 23 सीटें जीतीं थीं। इस बार उसे 28 सीटों पर चुनाव लड़कर संतोष करना पड़ रहा है। इसके एवज में दूसरे दलों को दी 20 सीटों पर कोई भरोसा नहीं बन पा रहा है। वहीं महाविकास आघाड़ी में शिवसेना का ठाकरे गुट 21 सीटों पर चुनाव लड़कर खुद को फायदे में बता रहा है। यहां तक कि कांग्रेस 17 सीटों पर मैदान में ताल ठोंक रही है।

वहीं दोनों तरफ के राकांपा के गुट 10 और चार सीटों पर समझौता कर अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैं। इस चुनाव से शिवसेना के ठाकरे गुट ने खुले और लचीले रूप से खेलना आरंभ किया है, जिससे उसके सभी दरवाजे खुल गए हैं। मगर शिवसेना का शिंदे गुट एकतरफा खेलकर चुनाव की हार-जीत से ही अपने भविष्य का आकलन कर पाएगा।

फिलहाल महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान के बाद सबको उम्मीदें बंधी हुई हैं। सत्ता पक्ष का मानना है कि मतदाता ने चुप रह कर उसके पक्ष में मतदान किया है, तो विपक्ष का दावा है कि जनमत स्पष्ट रूप से उसके साथ खड़ा दिखाई दे रहा था। इन दोनों स्थितियों में राजनीतिक अनुमानों को भी अधिक अवसर नहीं मिल पा रहा है। अक्सर माना जाता है कि अधिक मतदान सत्ता विरोधी लहर की ओर इशारा करता है।

किंतु इस बार मतदान अनेक कारणों से कम ही हुआ है।  इसके साथ ही भाजपा अक्सर दावा करती है कि अधिक मतदान उसके लिए लाभप्रद होता है, लेकिन काफी प्रयासों के बाद भी वह संभव नहीं हो पाया।  लिहाजा चौंकाने वाले परिणामों की उम्मीदों के बीच जश्न मनाने की तैयारियों को तो जिंदा रखना होगा, लेकिन खुशी मनाने के अवसर की सच्चाई जानने तक सभी को दिल थामकर ही बैठना होगा। 

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