ब्लॉग: मोदी की हैट्रिक या विपक्ष को संजीवनी!
By राजकुमार सिंह | Published: January 6, 2024 02:35 PM2024-01-06T14:35:17+5:302024-01-06T14:37:00+5:30
बीते साल में ही साफ हो गया कि भाजपा को लगातार दो बार अपने दम पर बहुमत मिल जाने के बावजूद अगला लोकसभा चुनाव दो गठबंधनों के बीच होगा। तीन दर्जन से भी अधिक दलोंवाले एनडीए की भाजपा घोषित अगुवा है तो ‘इंडिया’ नाम से बने 28 दलों के विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व अभी तय होना है।
नई दिल्ली: सरकार तो हर चुनाव से बनती-बिगड़ती है, पर कुछ चुनाव देश की दशा-दिशा भी तय करते हैं। 2024 का साल विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के लिए ऐसा ही साल साबित होने जा रहा है। वर्तमान लोकसभा का कार्यकाल 16 जून, 2024 तक है, पर अगली यानी 18 वीं लोकसभा के लिए चुनाव अप्रैल-मई में ही हो जाने के संकेत हैं।
बीते साल हुए विधानसभा चुनावों को केंद्रीय सत्ता का सेमीफाइनल बताया गया था। उनके नतीजों को पूरी तरह नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता। भाजपा ने हिंदी पट्टी के तीन बड़े राज्यों में जीत के साथ साल को अलविदा कहा, पर जिस कांग्रेस को चुका हुआ मान लिया गया था, उसने भी तीन राज्यों में जीत हासिल की। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में उसने भाजपा से सत्ता छीनी, तो तेलंगाना का ताज उन के. चंद्रशेखर राव से छीन लिया, जो पृथक राज्य तेलंगाना के संघर्ष के नायक रहे। शीतकालीन सत्र में विपक्षी सांसदों के रिकॉर्ड संख्या में निलंबन का संकेत यही है कि केंद्रीय सत्ता की जंग में समीकरण और मुद्दे ही नहीं, तेवर भी बदले नजर आएंगे।
बीते साल में ही साफ हो गया कि भाजपा को लगातार दो बार अपने दम पर बहुमत मिल जाने के बावजूद अगला लोकसभा चुनाव दो गठबंधनों के बीच होगा। तीन दर्जन से भी अधिक दलोंवाले एनडीए की भाजपा घोषित अगुवा है तो ‘इंडिया’ नाम से बने 28 दलों के विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व अभी तय होना है। एनडीए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ही चेहरे पर चुनाव लड़ेगा, जबकि विपक्ष को पीएम फेस घोषित करने या उसके बिना ही चुनाव में जाने पर फैसला अभी लेना है। तीन महीने बाद हुई विपक्षी गठबंधन की बैठक से यह संकेत अवश्य मिल गया कि विधानसभा चुनाव के दौरान परस्पर आई तल्खी को दूर कर रहना एक साथ ही है।
आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने जिस तरह तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी के कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पीएम फेस बनाने के सुझाव का समर्थन किया, उससे नेतृत्व के सवाल पर ज्यादा रार का संकेत भी नहीं मिलता। अब जबकि अगले लोकसभा चुनाव बमुश्किल तीन महीने दूर हैं, विपक्ष के पास संयोजक से लेकर सीट बंटवारा और न्यूनतम साझा कार्यक्रम तय करने के लिए ज्यादा समय नहीं है।
बहरहाल तीसरी बार लोकसभा चुनाव में अपने नेतृत्व में भाजपा को विजयश्री से नरेंद्र मोदी जहां इतिहास रचना चाहेंगे, वहीं विपक्ष लगातार तीसरी हार से इतिहास के गर्त में डूब जाने के खतरे से बचना चाहेगा। सबसे लंबे समय तक भारत का प्रधानमंत्री रहने का पंडित जवाहरलाल नेहरू का 6130 दिन का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए तो नरेंद्र मोदी को 2029 का लोकसभा चुनाव भी लड़ना और जीतना पड़ेगा, पर 18वीं लोकसभा का चुनाव जीत कर वह इंदिरा गांधी का 5829 दिन का रिकॉर्ड तोड़ने के रास्ते पर अवश्य आगे बढ़ना चाहेंगे।