संपादकीय: जरूरी है कि युवा जोश को अनुभव का साथ मिलता रहे

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 7, 2019 06:01 AM2019-04-07T06:01:36+5:302019-04-07T06:02:50+5:30

16वीं लोकसभा में ही 71 या उससे अधिक आयुवर्ग वालों की सहभागिता 8} रही, जो हमारे दृढ़ आधार का परिचायक है. वैसे भी संसद में ‘उच्च सदन’ की परिकल्पना को इस तरह गढ़ा गया है कि देश को प्रत्येक क्षेत्र के अनुभवों का लाभ मिल सके.

lok sabha election Editorial: It is essential that young Josh get together with experience | संपादकीय: जरूरी है कि युवा जोश को अनुभव का साथ मिलता रहे

संपादकीय: जरूरी है कि युवा जोश को अनुभव का साथ मिलता रहे

राजनीति से सेवानिवृत्ति के लिए 60 वर्ष की आयु को बेंच मार्क बनाने वाला राहुल गांधी का सुझाव काबिले तारीफ और स्वागत योग्य है. लेकिन, इस पर गंभीरता से मंथन किया जाना भी जरूरी है. युवाओं के पास जोश, नव ऊर्जा और शक्ति है लेकिन, होश उन अनुभवशील बुजुर्गो की जमा पूंजी है, जिसे उन्होंने आयु के हर पड़ाव के साथ एकत्रित किया है.

इसलिए जरूरी है कि युवा जोश को अनुभव का साथ मिलता रहे, ताकि दोनों का संतुलित तालमेल हर कार्य को सही अंजाम तक पहुंचा सके. यह गणित के कठिन सवालों को हल करनेवाले उस फामरूले की तरह है, जो परीक्षा में सफलता सुनिश्चित करता है. 135 करोड़ की आबादी वाला हमारा देश दुनियाभर में युवा शक्ति और नव ऊर्जा की पहचान रखता है.

राहुल गांधी का सुझाव काबिल-ए-गौर इसलिए भी है कि युवा बुद्धिमत्ता के पलायन को रोककर ही नवोन्मेष से भरपूर राष्ट्र के नवनिर्माण को गति दी जा सकती है और इसके लिए जरूरी है युवा नेतृत्व. लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में प्रौढ़ और बुजुर्गो के अनुभव को किंचित मात्र भी गौण नहीं किया जा सकता है.

राजनीति को सेवानिवृत्ति की आयु मर्यादा से बांधने का कदापि यह तात्पर्य नहीं लगाया जाना चाहिए कि किसी दल या पार्टी को वर्षो तक सींचने वाले उम्रदराज नेताओं को दरकिनार कर दिया जाए. इस सकारात्मक सुझाव के तहत वरिष्ठजनों के अनुभव का इस्तेमाल युवा ऊर्जा को सही दिशा देने में किया जा सकता है, जो विकास का लक्ष्य सुनिश्चित करे. 16वीं लोकसभा में 32 चुने हुए सांसद ऐसे हैं, जिनकी उम्र 35 वर्ष या उससे कम है, जो 15वीं और 14वीं लोकसभा में क्रमश: 21 और 23 थे. इस आयुवर्ग का नेतृत्व करने वालों का बढ़ता आंकड़ा राजनीति की ताकत है.

वहीं 16वीं लोकसभा में ही 71 या उससे अधिक आयुवर्ग वालों की सहभागिता 8} रही, जो हमारे दृढ़ आधार का परिचायक है. वैसे भी संसद में ‘उच्च सदन’ की परिकल्पना को इस तरह गढ़ा गया है कि देश को प्रत्येक क्षेत्र के अनुभवों का लाभ मिल सके. कुल मिलाकर ऊपर चढ़ने के लिए जिस तरह सीढ़ियां कारगर होती हैं. लेकिन, उत्तरोत्तर लक्ष्य की ओर बढ़ने के दौरान एक-एक कर सीढ़ी को पीछे छोड़ना भी जरूरी है. बावजूद इसके सीढ़ियों की महत्ता को कतई नजरंदाज नहीं किया जा सकता और न ही भावुकतावश उन्हें पकड़े रखा जा सकता है.

Web Title: lok sabha election Editorial: It is essential that young Josh get together with experience