लाइव न्यूज़ :

ब्लॉग: जितनी अधिक सहूलियत, उतना कम मतदान

By पंकज चतुर्वेदी | Updated: June 8, 2024 14:28 IST

मारा लोकतंत्र भी एक ऐसे अपेक्षाकृत आदर्श चुनाव प्रणाली की बाट जोह रहा है, जिसमें कम से कम सभी मतदाताओं का पंजीयन हो और मतदान तो ठीक तरीके से होना सुनिश्चित हो सके।

Open in App

भारत की 18वीं लोकसभा के निर्वाचन की प्रक्रिया संपन्न होने के साथ ही एक सवाल फिर खड़ा हुआ कि आखिर बड़े शहरों में रहने वाले, खासकर संपन्न इलाकों के लोग वोट क्यों नहीं डालते जबकि उनके क्षेत्रों में जन सुविधा-सुंदरता और शिकायतों पर सुनवाई सरकारें प्राथमिकता से करती हैं।

गौर करने वाली बात है जो शहर जितना बड़ा है, जहां विकास और जनसुविधा के नाम पर सरकार बजट का अधिक हिस्सा खर्च होता है, जहां प्रति व्यक्ति आय आदि औसत से बेहतर है, जहां सड़क-बिजली–पानी-परिवहन अन्य स्थानों से बेहतर होते हैं। वहीं के लोग वोट डालने निकले नहीं।

हरियाणा की दस सीटों में जिन दो जगहों पर सबसे कम मतदान हुआ, वह हैं दिल्ली का विस्तार कहे जाने वाले-फरीदाबाद और गुरुग्राम हैं। फरीदाबाद में ग्रामीण अंचल की हथिन में 70 फीसदी, पलवल और पर्थला में 65 फीसदी पार वोट पड़े, सो वहां आंकड़ा 60.20 पर पहुंच पाया, वर्ना फरीदाबाद शहर की संभ्रांत बस्तियां कहलाने वाले इलाकों में मतदान 55 से नीचे रहा।

गुरुग्राम सीट पर भी नूहं, पुन्हाना, पटौदी, बादशाहपुर जैसे ग्रामीण अंचलों में 65 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ। यहां शहर में तो बमुश्किल 55 फीसदी ही वोट गिरे। गाजियाबाद और नोएडा में भी वोट प्रतिशत वहीं ठीक रहा जहां जरूरतमंद लोगों की घनी आबादी है, वरना भरे पेट के मुहल्लों ने तो निराश ही किया।

सवाल यह है कि क्या लोकतंत्र को सहेज कर रखने की जिम्मेदारी सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर लोगों पर ही है।

इसके बाद भी जब विकास, सौन्दर्यीकरण, नई सुविधा जुटाने की बात आती है तो प्राथमिकता उन्हीं क्षेत्रों को दी जाती है जहां के लोग कम मतदान करते हैं।

मतदान को अनिवार्य करना भले ही फिलहाल वैधानिक रूप से संभव न हो लेकिन यदि दिल्ली एनसीआर से यह शुरुआत की जाए कि विकास योजनाओं का पहला हक उन विधान सभा क्षेत्रों का होगा, जहां लोकसभा के लिए सर्वाधिक मतदान हुआ तो शायद अगली बार पॉश इलाकों के लोग मतदान की अनिवार्यता को महसूस कर सकें।राजनैतिक दल कभी नहीं चाहेंगे कि मतदान अधिक हो, क्योंकि इसमें उनके सीमित वोट-बैंक के अल्पमत होने का खतरा बढ़ जाता है।

कोई भी दल चुनाव के पहले घर-घर जा कर मतदाता सूची के नवीनीकरण का कार्य करता नहीं और बीएलओ पहले से ही कई जिम्मेदारियों में दबे सरकारी मास्टर होते हैं। हमारा लोकतंत्र भी एक ऐसे अपेक्षाकृत आदर्श चुनाव प्रणाली की बाट जोह रहा है, जिसमें कम से कम सभी मतदाताओं का पंजीयन हो और मतदान तो ठीक तरीके से होना सुनिश्चित हो सके।

टॅग्स :लोकसभा चुनाव 2024लोकसभा चुनावहरियाणा लोकसभा चुनाव २०२४बिहार लोकसभा चुनाव २०२४दिल्ली लोकसभा चुनाव २०२४
Open in App

संबंधित खबरें

भारतChhattisgarh Nikay Chunav Result 2025: भाजपा 10 और कांग्रेस 0?, नगरपालिका में 35 और नगर पंचायत में 81 सीट पर कब्जा, बीजेपी ने छत्तीसगढ़ निकाय चुनाव में किया क्लीन स्वीप!

भारतLok Sabha polls: एनडीए को अगले आम चुनाव में 400 सीट?, केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा-विपक्ष की सीट कम होंगी, सामाजिक न्याय देने वाला बजट

भारतसंसदीय समिति मार्क जुकरबर्ग की लोकसभा चुनाव संबंधी टिप्पणी पर मेटा को करेगी तलब

भारतManmohan Singh death: देशभक्ति, शौर्य और सेवा का मूल्य केवल 4 साल?, 2024 लोकसभा चुनाव में पत्र लिखकर पीएम मोदी की आलोचना...

भारतBihar Election Scam: चुनाव कर्मी ने रोजाना खाया 10 प्लेट खाना?, भोजन, नाश्ता, पानी और चाय पर 180000000 रुपए खर्च, पटना में एक और घोटाला!

भारत अधिक खबरें

भारतभवानीपुर विधानसभा क्षेत्रः 45,000 मतदाताओं के नाम काटे?, सीएम ममता बनर्जी लड़ती हैं चुनाव, घर-घर जाएगी TMC

भारत3 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों की मसौदा मतदाता सूची में 12.32 करोड़ मतदाताओं के नाम, 27 अक्टूबर को 13.36 करोड़ लोग थे शामिल, 1 करोड़ से अधिक बाहर

भारतदिल्ली में 17 दिसंबर को ‘लोकमत पार्लियामेंटरी अवॉर्ड’ का भव्य समारोह

भारतDelhi: 18 दिसंबर से दिल्ली में इन गाड़ियों को नहीं मिलेगा पेट्रोल और डीजल, जानिए वजह

भारतYear Ender 2025: चक्रवात, भूकंप से लेकर भूस्खलन तक..., विश्व भर में आपदाओं ने इस साल मचाया कहर