Lionel Messi's India Tour 2025: राजनीति नहीं, समुचित उपाय से थमेंगे मैदानों पर हादसे और हंगामे
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: December 15, 2025 05:43 IST2025-12-15T05:43:53+5:302025-12-15T05:43:53+5:30
Lionel Messi's India Tour 2025:यूं तो अक्सर मैदानों पर होने वाले बड़े आयोजनों में अफरातफरी मच ही जाती है. कार्यक्रम खेल, राजनीतिक या फिर सांस्कृतिक हो, दर्शक संयम को भुला देते हैं.

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Lionel Messi's India Tour 2025: विश्व प्रसिद्ध फुटबाॅल खिलाड़ी अर्जेंटीना के लियोनेल मेसी भारत के दौरे पर आए. उनके कार्यक्रमों की शुरुआत शनिवार को कोलकाता से हुई, लेकिन सॉल्ट लेक स्टेडियम में हंगामे से उन्हें जल्दी निकलना पड़ा. दर्शकों ने स्टेडियम में बोतलें और कुर्सियां फेंकीं. ऐसी खबरें सामने आईं कि कार्यक्रम से जल्दी निकल जाने से मेसी के प्रशंसक नाराज थे और उन्हें ठीक ढंग से न देख पाने की वजह से जबर्दस्त हंगामा हुआ. कहा यह भी जा रहा है कि मेसी को देखने के लिए टिकट काफी महंगे थे, जिनको लेकर दूर-दूर से लोग वहां पहुंचे थे.
गड़बड़ी के बाद कोलकाता में राजनीति आरंभ हुई, लेकिन मामला जल्द पुलिस और प्रशासन ने संभाल लिया. प. बंगाल पुलिस ने हालात सामान्य बताकर मुख्य आयोजक को गिरफ्तार कर लिया. यूं तो अक्सर मैदानों पर होने वाले बड़े आयोजनों में अफरातफरी मच ही जाती है. कार्यक्रम खेल, राजनीतिक या फिर सांस्कृतिक हो, दर्शक संयम को भुला देते हैं.
इससे पहले, बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में ‘आईपीएल-2025’ की विजेता रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के सम्मान समारोह में भगदड़ मच गई थी, जिसमें दस लोगों की जान चली गई थी और कई घायल हो गए थे. उस समय भी स्टेडियम के बाहर हजारों प्रशंसक जमा थे. उधर, सितंबर माह में तमिलनाडु के करूर में अभिनेता विजय थलापति की रैली में भगदड़ मचने से 36 लोगों की मौत हो गई थी.
मेले, धार्मिक-सामाजिक आयोजनों में पुलिस-प्रशासन का अंदाज गलत हो सकता है, ऐन समय पर अपेक्षा से अधिक भीड़ आ सकती है, किंतु जिन कार्यक्रमों के लिए टिकट की व्यवस्था की गई हो, उनके बारे में अनुमान नहीं लगाना सरासर प्रशासनिक लापरवाही है. पहले से ही सब कुछ तय होने के बावजूद मंच पर लोगों का अधिक होना या फिर उपस्थित जनसमुदाय के लिए विधिवत व्यवस्था नहीं होना सहज स्वीकार नहीं किया जा सकता है. न ही उसे केवल आयोजकों के भरोसे छोड़ा जा सकता है. बाद में उन्हें गिरफ्तार कर प्रशासनिक जिम्मेदारी को पूरा ही माना जा सकता है.
पेशेवर रूप से होने वाले कार्यक्रमों में मंच की गतिविधियों से लेकर समय तक सब कुछ निर्धारित होता है. अंदर-बाहर की व्यवस्था को सुचारु बनाया जाता है. किंतु अति आत्मविश्वास और आयोजनकर्ताओं पर भरोसा महंगा साबित होता है. इसके लिए कोई राज्य अपवाद नहीं है. इसलिए किसी को भी गलतफहमी में रहकर राजनीति नहीं करनी चाहिए.
आवश्यक यह है कि सरकार के समक्ष बड़े आयोजनों को लेकर एक ठोस कार्ययोजना हो, जिसके आधार पर जवाबदेही तय रहे. व्यवस्था त्रुटिरहित बनाई जानी चाहिए. उसे श्रोता-दर्शकों की अपेक्षाओं पर खरा उतरना चाहिए. जिससे जन आक्रोश को स्थान न मिले. हर एक-दो महीने में सामने आने वाली घटनाएं आज यहां, कल वहां और कभी-भी हो सकती हैं. फिर सरकार को देखकर टिप्पणियां व्यर्थ हैं. हर एक राज्य की व्यवस्था को अपने गिरेबां में झांकना आवश्यक है. समुचित उपाय उसकी अपनी जरूरत है.