Blog: आडवाणी के ‘मन की बात’ और सटीक निशाना..!
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: April 6, 2019 09:02 IST2019-04-06T09:02:50+5:302019-04-06T09:02:50+5:30
यह दीवार पर लिखी इबारत की तरह साफ है कि आडवाणी के कारण ही भाजपा संसद में ‘दो’ के आंकड़े से लेकर आज ‘सैकड़ों’ तक पहुंची है. भाजपा को फर्श से अर्श तक ले जाने में आडवाणी की बेहद अहम भूमिका रही है.

Blog: आडवाणी के ‘मन की बात’ और सटीक निशाना..!
बरसों तक भाजपा के शिखर पुरुष रहे पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने गुरुवार को एक ब्लॉग लिखकर अपने ‘मन की बात’ कही है. आज 91 वर्ष की उम्र में यदि आडवाणी ब्लॉग लिखकर कोई बात कह रहे हैं, तो यह उनकी बेबाकी की ही बानगी है. ऐसा हरगिज नहीं है कि जीवन के इस पड़ाव पर उन्हें चुनावी टिकट की दरकार हो या किसी पद की लालसा हो और ब्लॉग के जरिए वे अपना गुस्सा प्रकट कर रहे हों. लेकिन मौजूदा हालात पर ऐन लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने इशारों-इशारों में जो टिप्पणी की है, वह बड़ी सारगर्भित है.
‘नेशन फस्र्ट, पार्टी नेक्स्ट, सेल्फ लास्ट’ शीर्षक से लिखे ब्लॉग में जब आडवाणी कहते हैं कि ‘भारतीय लोकतंत्र का सार विविधता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए सम्मान है. अपनी स्थापना के समय से ही भाजपा ने राजनीतिक रूप से असहमत होने वालों को कभी दुश्मन नहीं माना, बल्कि प्रतिद्वंद्वी ही माना.’ तो इसका संदेश साफ है और निशाना भी सटीक. पिछले कुछ समय से राजनेताओं द्वारा विरोधियों पर निशाना साधने के लिए जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल हो रहा है, उससे आडवाणी आहत हुए हैं. राजनीतिक रूप से असहमत लोगों को ‘देशद्रोही’ करार दिए जाने का ‘चलन’ हाल के दिनों में तेजी से बढ़ा है.
दरअसल, भारतीय राजनीति में आडवाणी जैसे चिंतनशील लोग कम ही हुए हैं. विचारधारा को लेकर उनकी आलोचना की जा सकती है, लेकिन उनकी स्पष्टवादिता की मिसाल दी जाती है. बात चाहे जून, 2005 में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की मजार पर जाकर उन्हें धर्मनिरपेक्ष करार देने की हो, या फिर उसी दौर में पाकिस्तान के साथ वार्ता प्रक्रिया आगे बढ़ाने की मंशा जाहिर करने की हो, उनकी स्पष्टवादिता का हमेशा सम्मान हुआ है. इसमें कोई दो राय नहीं कि आडवाणी भाजपा के रचयिता हैं.
यह दीवार पर लिखी इबारत की तरह साफ है कि आडवाणी के कारण ही भाजपा संसद में ‘दो’ के आंकड़े से लेकर आज ‘सैकड़ों’ तक पहुंची है. भाजपा को फर्श से अर्श तक ले जाने में आडवाणी की बेहद अहम भूमिका रही है. आडवाणी ने ब्लॉग के रूप में यह संदेश अपनी उस पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं को दिया है, जिसे उन्होंने अपने खून-पसीने से सींचा है. उन्होंने इस ब्लॉग के जरिए देश को एक संदेश दिया है. आडवाणी का समग्र चिंतन हमेशा देश के लिए रहा है, स्वराज्य और सुराज्य के लिए रहा है. उन्होंने जो चिंता जाहिर की है, वह अकेले उनकी नहीं है.
यह चिंता एक बड़े वर्ग की है. लोगों को राष्ट्रवादी और राष्ट्रद्रोही के रूप में बांटने की कोशिश हो रही है और इससे भारतीय राजनीति के कलुषित हो जाने का डर पैदा हो गया है. आडवाणी ने इस समूचे विषय पर चिंतन कर अपनी बात सामने रखी है, जिस पर हर भारतीय को गौर करने की जरूरत है.