वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: अब किसान-शासन संवाद जरूरी
By वेद प्रताप वैदिक | Published: November 22, 2021 01:13 PM2021-11-22T13:13:19+5:302021-11-22T13:13:19+5:30
किसान नेताओं को चाहिए कि वे इस सरकार का मार्गदर्शन करें और इसके साथ सहयोग करें ताकि भारत के किसानों को सदियों से चली आ रही उनकी दुर्दशा से मुक्त किया जा सके।
सरकार ने तीनों कृषि-कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी, फिर भी आंदोलनकारी किसान नेता अपनी टेक पर अड़े हुए हैं। वे कह रहे हैं कि जब तक संसद स्वयं इस कानून को रद्द नहीं करेगी, यह आंदोलन या धरना चलता रहेगा। उनकी दूसरी मांग है कि सरकार उपज के सरकारी मूल्य (एमएसपी) को कानूनी मान्यता दे। मैं समझता हूं कि इन दोनों बातों का हल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा में उपस्थित है।
यदि अब भी सरकार संसद के अगले सत्र में कुछ दांव-पेंच दिखाएगी और कृषि-कानूनों को बनाए रखेगी तो सरकार की प्रतिष्ठा पेंदे में बैठ जाएगी। किसानों को संदेह है और उन्होंने उसे खुलेआम कहा भी है कि सरकार ने कुछ बड़े पूंजीपतियों के फायदे के लिए ये कानून बनाए हैं। क्या इन पूंजीपतियों की इतनी हिम्मत होगी कि वे मोदी को राष्ट्र के खिलाफ वादाखिलाफी के लिए मजबूर कर सकें?
इस कानून-वापसी का सभी विपक्षी दलों ने भी स्वागत किया है। आमतौर से सभी लोग मान रहे हैं कि इन कानूनों को वापस लेने का फैसला साहसिक और उत्तम है। इस फैसले के बावजूद किसान आंदोलन को जारी रखने का तर्क यह है कि सरकार ने अभी तक खाद्यान्न के सरकारी मूल्यों को कानूनी रूप नहीं दिया है। यह बड़ा पेचीदा मामला है।
सरकार ने यह बिल्कुल ठीक किया कि इस मुद्दे पर विचार करने के लिए एक विशेष कमेटी बना दी है। किसान नेता यदि यह मांग करते कि उनसे परामर्श किए बिना यह कमेटी अपनी रपट पेश न करे तो यह सही मांग होती लेकिन उन्होंने आंदोलन जारी रखने की जो घोषणा की है, वह नेताओं के लिए तो स्वाभाविक है लेकिन क्या अब साधारण किसान इतनी कड़ाके की ठंड में अपने नेताओं का साथ देगा?
किसान नेताओं को अपने अनुयायियों और हितैषियों से सलाह-मशविरा करने के बाद ही ऐसी घोषणा करनी चाहिए। किसानों ने अपनी मांग के लिए जितनी कुर्बानियां दी हैं और जितना अहिंसक आंदोलन चलाया है, उसकी तुलना में पिछले सभी आंदोलन फीके पड़ जाते हैं।
किसान नेताओं को चाहिए कि वे इस सरकार का मार्गदर्शन करें और इसके साथ सहयोग करें ताकि भारत के किसानों को सदियों से चली आ रही उनकी दुर्दशा से मुक्त किया जा सके। यदि वे ऐसा करेंगे तो मुझे विश्वास है कि देश की जनता भी उनका पूरा समर्थन करेगी और विपक्षी दल भी उनका साथ देंगे।