अवधेश कुमार का ब्लॉग: आर्य और द्रविड़ के बीच एकता की पहल है काशी तमिल संगमम, मजबूत होगी इससे भारतीय परंपरा

By अवधेश कुमार | Published: November 26, 2022 02:30 PM2022-11-26T14:30:49+5:302022-11-26T14:43:47+5:30

गौरतलब है कि ऐसा एक भी प्राचीन संस्कृत या तमिल ग्रंथ नहीं है जिनमें आर्य और द्रविड़ जातिसूचक हो या इनके संघर्षों का विवरण किया गया हो।

Kashi Tamil Sangamam initiative of unity between Arya Dravid will strengthen Indian tradition tamil nadu | अवधेश कुमार का ब्लॉग: आर्य और द्रविड़ के बीच एकता की पहल है काशी तमिल संगमम, मजबूत होगी इससे भारतीय परंपरा

फोटो सोर्स: ANI फाइल फोटो

Highlightsउद्देश्यों एवं कार्यक्रमों की दृष्टि से काशी तमिल संगमम को ऐतिहासिक माना जाएगा। बताया जाता है कि आर्य और द्रविड़ के बीच अंग्रेजों ने खाई पैदा की है। यही कारण है कि आज भी तमिलनाडु में एक बहुत बड़ा वर्ग स्वयं को आम भारतीय से अलग संस्कृति मानता है।

लखनऊ: वाराणसी में आयोजित काशी तमिल संगमम उद्देश्यों एवं कार्यक्रमों की दृष्टि से ऐतिहासिक माना जाएगा। उत्तर एवं दक्षिण विशेषकर तमिलनाडु को संपूर्ण भारतीय संस्कृति और सभ्यता के साथ एकता के सूत्र में जोड़ने का जो कार्य पहले होना चाहिए था वह अब हो रहा है। 

अंग्रेजों ने पैदा की है आर्य द्रविड़ की खाई

मानव समाज के बीच भौगोलिक दूरियां चाहे जितनी बड़ी हों, संस्कृति, सभ्यता और धर्म जुड़े हों तो उनमें परस्पर एकता का भाव अटूट रहता है। काशी तमिल संगमम को इसी उद्देश्य का आयोजन कहा जा सकता है।  

तमिलनाडु निस्संदेह भारत का एक राज्य है किंतु आज भी बहुत बड़ा वर्ग स्वयं को आम भारतीय से अलग संस्कृति यानी द्रविड़ संस्कृति का भाग मानता है। अंग्रेजों ने आर्य द्रविड़ खाई पैदा की है। लेकिन ऐसा कोई प्रामाणिक ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक तथ्य नहीं जिनके आधार पर मान लिया जाए कि आर्य और द्रविड़ संस्कृतियों में संघर्ष था। आर्य और द्रविड़ दोनों जातिसूचक शब्द नहीं थे लेकिन बना दिए गए। 

नहीं है ऐसा कोई तमिल ग्रंथ जिसमें आर्य और द्रविड़ के जातिसूचक का जिक्र हो

ऐसा एक भी प्राचीन संस्कृत या तमिल ग्रंथ नहीं जिनमें आर्य और द्रविड़ जातिसूचक हो या इनके संघर्षों का विवरण हो। इसके विपरीत दक्षिण और उत्तर के देवस्थानों को जोड़ने के अनेक कर्मकांड और तथ्य मौजूद हैं। उन तथ्यों को साकार रूप में सामने लाने तथा लोगों के बीच इसके आधार पर समागम कराने से बड़ा प्रयास एकता की दृष्टि से कुछ हो नहीं सकता। 

क्या कहा था पीएम मोदी ने

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एम्फीथिएटर ग्राउंड पर संगमम का उद्घाटन करते हुए ठीक ही कहा कि हमें आजादी के बाद हजारों वर्षों की परंपरा और इस विरासत को मजबूत करना था, इस देश की एकता का सूत्र बनाना था लेकिन दुर्भाग्य से इसके लिए बहुत प्रयास नहीं किए गए। हमें आजादी के बाद हजारों वर्षों की परंपरा, विरासत को मजबूत करना है और संगमम इस संकल्प को ऊर्जा देगा।

Web Title: Kashi Tamil Sangamam initiative of unity between Arya Dravid will strengthen Indian tradition tamil nadu

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