ब्लॉग: झारखंड का झंझट, क्या चली जाएगी हेमंत सोरेन की कुर्सी?

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: August 29, 2022 11:36 AM2022-08-29T11:36:26+5:302022-08-29T11:38:55+5:30

झारखंड में पिछले दिनों सत्ताधारी गठबंधन में शामिल कांग्रेस के तीन विधायक रुपए के लेन-देन में पकड़े गए थे. जाहिर है विश्वास और अविश्वास के बीच अंतर कम है. भाजपा की तरफ से भी प्रयास जारी हैं.

Jharkhand political trouble, will Hemant Soren loose Chief Mninister post | ब्लॉग: झारखंड का झंझट, क्या चली जाएगी हेमंत सोरेन की कुर्सी?

हेमंत सोरेन की कुर्सी खतरे में? (फाइल फोटो)

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद को एक खनन पट्टा आवंटित कर चुनावी मानदंडों का उल्लंघन करने के मामले में फंस गए हैं, जिसको लेकर झारखंड में राज्य की गठबंधन सरकार की स्थिरता पर सवाल खड़े हो गए हैं. हालांकि सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस किसी भी किस्म के डर से इंकार कर रहे हैं. 

कुछ इसी चिंता को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री 45 विधायकों के साथ पिकनिक पर भी निकले और शाम तक लौट भी आए. यह भी माना जा रहा है कि यदि राज्य में राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति पैदा हुई तो ऐसे में समर्थक विधायकों को पहुंचाने के ठिकाने की खोज पूरी हो गई है. 

आंकड़ों के अनुसार झारखंड में सत्ताधारी गठबंधन के पास 81 सदस्यीय विधानसभा में कुल 49 विधायकों का समर्थन है. उसे कुछ अन्य विधायकों का भी साथ मिल हुआ है. राज्य विधानसभा में झामुमो के 30, कांग्रेस के 18 और राजद के एक विधायक हैं. वहीं मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुल 26 विधायक हैं और उसके सहयोगी आजसू के दो विधायक हैं और उन्हें सदन में दो अन्य विधायकों का समर्थन प्राप्त है. 

कुल जमा भाजपा को सरकार बनाने के लिए करीब 12 विधायकों की न्यूनतम आवश्यकता है, जबकि झामुमो के पास बहुमत के जादुई आंकड़े 41 से काफी अधिक विधायक हैं. अब निर्वाचन आयोग की 25 अगस्त को राज्यपाल रमेश बैस के पास भेजी गई राय से स्पष्ट है कि चुनावी मानदंडों का उल्लंघन करने पर विधायक को अयोग्य घोषित किया जा सकता है. 

इससे पहले संविधान के अनुच्छेद-192 के मुताबिक एक विधायक की अयोग्यता पर फैसला करने संबंधी मामला पहले राज्यपाल को भेजा गया, जिस पर निर्वाचन आयोग की राय ली गई और जिसके अनुसार कार्रवाई तय की गई. इसलिए अब कोई शक की गुंजाइश नहीं रह गई है. फिलहाल चिंताएं मुख्यमंत्री से अधिक सरकार के भविष्य को लेकर हैं. राज्य में अभी तक किसी नए चेहरे का नाम सामने नहीं आया है. 

पिछले दिनों सत्ताधारी गठबंधन में शामिल कांग्रेस के तीन विधायक रुपए के लेन-देन में पकड़े गए थे. इसलिए विश्वास और अविश्वास के बीच अंतर कम है. भाजपा की तरफ से परदे के आगे और परदे के पीछे दोनों तरफ प्रयास जारी हैं. लेकिन उसके सामने मध्यप्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे अलग-अलग उदाहरण हैं. फिलहाल मामला पहली नजर में भ्रष्टाचार का है, जो झारखंड में परंपरा बनता जा रहा है. उसी से राज्य हमेशा झंझट में फंसता है. 

ताजा स्थिति में भ्रष्टाचार पर कार्रवाई के बाद राज्य में स्थिर सरकार की जरूरत पर भी चिंता होनी चाहिए. बिहार से अलग होकर बने एक छोटे राज्य में प्रगति का सफर स्पष्ट दिखाई देना चाहिए. उसे केवल राजनीति का अखाड़ा बनकर नहीं रहना चाहिए.  

Web Title: Jharkhand political trouble, will Hemant Soren loose Chief Mninister post

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