जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: नई पीढ़ी की मुट्ठियों में कौशल गुणवत्ता का होना आवश्यक
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: December 1, 2019 02:36 PM2019-12-01T14:36:25+5:302019-12-01T14:36:25+5:30
भारत की युवा आबादी ही जीवन गुणवत्ता के साथ कौशल प्रशिक्षित होकर मानव संसाधन के परिप्रेक्ष्य में दुनिया के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकती है
इस समय देश और दुनिया में भारत से संबंधित शैक्षणिक और प्रशिक्षण की विश्व रैंकिंग से संबंधित दो रिपोर्टो को गंभीरतापूर्वक पढ़ा जा रहा है. एक रिपोर्ट 26 नवंबर को प्रकाशित क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी एशिया रैंकिंग-2020 है. इसमें कहा गया है कि 2019 में भारत के अधिकांश प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थाओं की रैंकिंग में गिरावट आई है. देश का कोई भी शिक्षण संस्थान अन्य एशियाई संस्थाओं की तुलना में शीर्ष 30 में जगह नहीं बना सका है. आईआईटी मुंबई पिछले वर्ष के मुकाबले एक स्थान फिसलकर 34वें स्थान पर आ गया.
आईआईटी दिल्ली 43वें स्थान पर और आईआईटी मद्रास 48वें स्थान पर है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक शिक्षा अध्ययन के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी छात्नों की आबादी भारत में होगी. ऐसी नई आबादी को रोजगार योग्य बनाने के लिए भारत को अध्ययन तथा शोध कार्य में निवेश बढ़ाना होगा.
दूसरी रिपोर्ट भारतीय युवाओं की प्रतिभा, गुणवत्तापूर्ण जीवन और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से संबंधित है. पिछले दिनों 18 नवंबर को विश्व विख्यात आईएमडी बिजनेस स्कूल स्विट्जरलैंड के द्वारा प्रकाशित की गई ग्लोबल टैलेंट रैंकिंग 2019 को गंभीरतापूर्वक पढ़ा जा रहा है. भारत 63 देशों की सूची में पिछले वर्ष के 53वें स्थान से छह पायदान फिसलकर 59वें स्थान पर आ गया है. इस टैलेंट रैंकिंग में स्विट्जरलैंड लगातार छठे साल शीर्ष पर रहा है. डेनमार्क दूसरे और स्वीडन तीसरे स्थान पर है. चीन इस सूची में 42वें स्थान पर है. रूस 48वें तथा दक्षिण अफ्रीका 50वें स्थान पर है.
गौरतलब है कि टैलेंट रैंकिंग की इस वैश्विक सूची में प्रतिभाओं के विकास, उन्हें आकर्षित करने, उन्हें देश में ही जोड़े रखने तथा उनकी शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए किए जा रहे निवेश के आधार पर रैंकिंग दी गई है. इस टैलेंट रैंकिंग सूची के प्रकाशन के साथ सूची में शामिल विभिन्न देशों में टैलेंट की स्थिति के बारे में भी टिप्पणियां की गई हैं.
भारत के बारे में कहा गया है कि टैलेंट पूल की गुणवत्ता के मामले में भारत का प्रदर्शन औसत से बेहतर है. लेकिन अपनी शैक्षणिक प्रणाली की गुणवत्ता और सरकारी शिक्षा के क्षेत्न में निवेश की कमी, युवाओं के गुणवत्तापूर्ण जीवन की कमी, प्रतिभाओं को आकर्षित करने और उन्हें बनाए रखने की क्षमता में कमी, स्वास्थ्य व्यवस्था में कमी तथा श्रमबल में महिलाओं की पर्याप्त भागीदारी में कमी के कारण निवेश और विकास के मामले में भारत सूची में शामिल देशों में बहुत पीछे है.
निश्चित रूप से हमारा ग्लोबल टैलेंट रैंकिंग 2019 में बहुत पीछे रहने पर चिंतित होना और आगे बढ़ने की राह निकालना इसलिए जरूरी है, क्योंकि देश की नई पीढ़ी को टैलेंटेड बनाकर ही रोजगार की उजली संभावनाओं को साकार किया जा सकेगा और देश की तस्वीर को चमकीला बनाया जा सकेगा. भारत की जनसंख्या में पचास प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा उन लोगों का है, जिनकी उम्र पच्चीस साल से कम है.
भारत की 65 प्रतिशत आबादी 35 साल से कम आयु की है. चूंकि भारत के पास विकसित देशों की तरह रोजगार बढ़ाने के विभिन्न संसाधन और आर्थिक शक्तियां नहीं हैं, अतएव भारत की युवा आबादी ही जीवन गुणवत्ता के साथ कौशल प्रशिक्षित होकर मानव संसाधन के परिप्रेक्ष्य में दुनिया के लिए उपयोगी और भारत के लिए आर्थिक कमाई का प्रभावी साधन सिद्ध हो सकती है.
हम आशा करें कि सरकार ग्लोबल टैलेंट रैंकिंग 2019 के विभिन्न पहलुओं पर विचार मंथन करके देश की नई पीढ़ी को देश और दुनिया की रोजगार जरूरतों के मुताबिक जीवन गुणवत्ता, अच्छे और कौशल प्रशिक्षण से सुसज्जित करके प्रतिभाशाली बनाने की डगर पर आगे बढ़ाएगी. जिससे देश 2030 तक दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की डगर पर आगे बढ़ेगा.