ब्लॉग: दुर्घटना के लिए सड़कों से अधिक वाहनधारकों को दोष देना जरूरी

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: July 3, 2023 16:44 IST2023-07-03T16:42:26+5:302023-07-03T16:44:11+5:30

जनता के लिए चलाए जाने वाले वाहनों को लेकर लापरवाही आम बात है, जिन पर परिवहन विभाग आंखें मूंद लेता है. यदि वाहनों के सड़क पर उतरने और समय पर जांच कराने में सख्ती लाई जाए तो काफी हद तक दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है.

It is necessary to blame vehicle owners more than the roads for accidents | ब्लॉग: दुर्घटना के लिए सड़कों से अधिक वाहनधारकों को दोष देना जरूरी

फाइल फोटो

नागपुर से मुंबई के बीच वाया छत्रपति संभाजीनगर बना समृद्धि मार्ग लगातार दुर्घटनाओं के लिए चर्चा के केंद्र में है. अभी मार्ग का करीब छह सौ किलोमीटर का भाग तैयार हुआ है, लेकिन उसकी हर दुर्घटना की चर्चा मार्ग पर सवाल खड़े कर देती है. शनिवार को महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के सिंदखेड़राजा क्षेत्र में हुए बस हादसे में पच्चीस लोगों ने जान गंवा दी. जिसके बाद सड़क से लेकर वाहन चालक और बस से लेकर वाहनों की गति पर सवाल उठ रहे हैं. 

नागपुर से मुंबई के बीच समृद्धि सड़क सीधी और वह अधिक गति से वाहनों को चलाने के लिए बनी है. उसकी आधिकारिक गति सीमा 120 किलोमीटर प्रति घंटा है. इससे तय है कि वाहन धीमे नहीं चलेंगे और मार्ग पर वैसी व्यवस्था भी है. किंतु वाहन चालकों की नासमझी और अति उत्साह में बढ़ाई गति, जो अक्सर नियंत्रण के बाहर होती है, दुर्घटनाओं का बड़ा कारण है. 

यूं देखा जाए तो हर राजमार्ग पर दुर्घटनाएं आम हैं और उनके अपने कारण हैं. लेकिन समृद्धि मार्ग की दुर्घटनाएं भी केवल हादसा नहीं, बल्कि राजनीति का साधन बन चुकी हैं. कोई किसानों की जमीन से जोड़ रहा, कोई सीधी सड़क क्यों बनाई, तो कोई कहता है कि खाली सड़क में नींद आ जाती है. किंतु ऐसा कोई राजनेता नहीं है, जो नए मार्ग का इस्तेमाल न करता हो. सभी शौक और आराम से अपने वाहनों को दौड़ाते हैं और वीडियो बना कर भी सोशल मीडिया पर डालते हैं. उस समय उन्हें न तो नींद आती है और न ही सड़क पर खामी नजर आती है. उस समय उन्हें उद्घाटन की जल्दबाजी और देरी भी नहीं दिखती है. 

स्पष्ट है कि राजनीति और दुर्घटनाएं बेमेल हैं. शनिवार की बस दुर्घटना में टायर फूटने की बात को किनारे कर सरकारी तौर पर चालक को झपकी लगना बताया जा रहा है. हालांकि अब तक की दुर्घटनाओं में कारण वाहनों की गति, गलत जगह वाहन खड़े करने और वाहनों की तंदुरुस्ती ठीक न होना माने गए हैं. ये तीनों बातें हर मार्ग पर लागू हैं. मगर उन पर ध्यान नहीं दिया जाता है. 

पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाहन, चाहे वे माल या यात्रियों के लिए उपयोग में लाए जाते हों, की जांच सही तरह से नहीं होती है और वे बताए नियमों का पालन नहीं करते हैं. देश में ऑटोमोबाइल क्षेत्र में हर दिन कुछ न कुछ सुधार हो रहा है. वाहनों में ब्रेक से लेकर अनेक प्रकार के परिवर्तन किए गए हैं. किंतु उनका इस्तेमाल और जांच हर स्तर पर नहीं हो रही है. 

जनता के लिए चलाए जाने वाले वाहनों को लेकर लापरवाही आम बात है, जिन पर परिवहन विभाग आंखें मूंद लेता है. यदि वाहनों के सड़क पर उतरने और समय पर जांच कराने में सख्ती लाई जाए तो काफी हद तक दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है. फिलहाल तो चर्चाएं ही होती हैं, जो दुर्घटना के बाद ही सुनी जाती हैं. ऐसे में वाहनों की सुरक्षा की ठोस नीति होनी चाहिए, जो सुरक्षा को वास्तविकता में बदले और किसी की तो जवाबदेही तय करे.

Web Title: It is necessary to blame vehicle owners more than the roads for accidents

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