ब्लॉग: दोधारी तलवार है गिग अर्थव्यवस्था?

By अभिषेक कुमार सिंह | Published: July 27, 2023 01:41 PM2023-07-27T13:41:03+5:302023-07-27T13:41:16+5:30

इसके साथ जुड़ी अहम समस्या सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल की है, जिसके बारे में जी-20 की बैठक में विचार किया गया।

Is the Gig Economy a Double-Edged Sword? What is gig economy and know its problem | ब्लॉग: दोधारी तलवार है गिग अर्थव्यवस्था?

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो

भारत में गिग इकोनॉमी की एक बार फिर चर्चा है. हाल में इसकी चर्चा जी-20 देशों के श्रम और रोजगार मंत्रियों की इंदौर (मध्य प्रदेश) में एक बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश के माध्यम से उठी है।

अपने संदेश में मोदी ने दावा किया कि गिग अर्थव्यवस्था और गिग प्लेटफार्म में युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने की अभूतपूर्व क्षमता है. उल्लेखनीय है कि जी-20 की इस बैठक में गिग श्रेणी के कर्मचारियों को पर्याप्त और टिकाऊ सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ उचित रोजगार देने पर जोर दिया गया है. इस तरह यह देश में पहला मौका बना।

 जब गिग कर्मचारियों के रोजगार हितों की तरफ सरकार का ध्यान जाता दिखा है. गिग अर्थव्यवस्था यूं तो काफी समय से चर्चा में रही है, लेकिन इसकी ओर उल्लेखनीय ध्यान कोविड-19 महामारी के दौर में गया, जब इस अर्थव्यवस्था से जुड़े कर्मचारियों ने एक थमी हुई दुनिया को चलाए रखने का जिम्मा उठाया।

असल में स्वतंत्र रूप से अस्थायी कार्य और ऑनलाइन मंचों पर काम करने वाले लोगों को ‘गिग प्लेटफॉर्म’ कर्मचारी कहा जाता है. हालांकि स्वतंत्र रूप से कुछ पेशे काफी पहले से अस्तित्व में है. इनमें लेखन से लेकर फोटोग्राफी आदि दर्जनों कामकाज फ्रीलांसिंग शब्द के तहत आते हैं और इनके जरिये लोग काफी धन, सम्मान और सामाजिक सुरक्षा-प्रतिष्ठा आदि हासिल करते रहे हैं।

 लेकिन गिग कर्मचारियों वाली रोजगार की यह अपेक्षाकृत एक नई व्यवस्था है जो दुनिया में पिछले एक दशक के दौरान ज्यादा तेजी के साथ उभरी है।

वित्तीय सेवा देने वाले प्लेटफार्म ‘स्ट्राइडवन’ ने 2023 में जारी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि भारत में पक्की नौकरी की बजाय ठेके (संविदा) आधारित, फ्रीलांस और अंशकालिक सेवाओं वाले बाजार यानी गिग इकोनॉमी में साल 2020-21 में सिर्फ 80 लाख लोग कार्यरत थे.

यह संख्या देश के कुल कार्यबल का डेढ़ फीसदी बैठती है. पर अब इस संख्या में अगले साल यानी 2024 तक 2.35 करोड़ श्रमिकों (कर्मचारियों) को गिग इकोनॉमी से संबंधित कामकाज मिलने की सूरत में यह प्रतिशत बढ़कर 4 तक पहुंच सकता है.
 

युवाओं को फ्रीलांसिंग वाली अस्थायी नौकरियां देने वाली गिग अर्थव्यवस्था ज्यादा रास आ सकती है क्योंकि इसमें काम, छुट्टी और वर्क-लाइफ बैलेंस का फैसला खुद उनके हाथ में होता है.

इसके साथ जुड़ी अहम समस्या सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल की है, जिसके बारे में जी-20 की बैठक में विचार किया गया. यदि गिग नौकरियों में सामाजिक सुरक्षा आदि लाभ मिलने लगेंगे, तो नियोक्ता और कर्मचारी-दोनों के लिए स्थिति सोने में सुहागे वाली होगी।

Web Title: Is the Gig Economy a Double-Edged Sword? What is gig economy and know its problem

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