International Nurses Day: रोगी के लिए देवदूत के समान होती हैं नर्सें
By ललित गर्ग | Published: May 12, 2023 11:43 AM2023-05-12T11:43:57+5:302023-05-12T11:45:53+5:30
स्वास्थ्य क्षेत्र में नर्सों के योगदान को सम्मानित करने एवं उनके कार्यों की सराहना करने के लिए हर साल 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है.
एक डॉक्टर और रोगी के बीच में सूत्रधार की भूमिका निभाते हुए एक नर्स उसे स्वस्थ ही नहीं करती बल्कि तमाम तरह की असुविधाओं में रहकर, खुद को अपने परिवार से अलग रखकर, निरंतर अपनी सेवाएं देती है और यह करते हुए वह कोई शिकायत नहीं करती एवं आशा नहीं खोती-हर चुनौती का जोरदार मुस्कान के साथ सामना करती है, चाहे परेशानी एवं बीमारी कितनी भी गंभीर क्यों न हो.
वास्तव में उनकी निःस्वार्थता एवं सेवाभावना उन्हें रोगियों के लिए स्वर्गदूत बनाती है. एक फरिश्ते के रूप में वे जीवन का आश्वासन बनती हैं और उनका बलिदान-योगदान उन्हें मानवीय सेवा का योद्धा बनाता है. यदि चिकित्सक किसी रोगी के रोग को ठीक करता है तो उसके दर्द को कम एक नर्स करती है. जो अपना जीवन मरीजों की प्यार से देखरेख में व्यतीत करती है. एक नर्स न केवल अपना व्यवसाय समझ रोगी की सेवा करती है बल्कि वो उससे भावनात्मक रूप से जुड़ जाती है और उसे ठीक करने में जी-जान लगा देती है.
नर्सों के इसी योगदान को सम्मानित करने एवं उनके कार्यों की सराहना करने हेतु प्रतिवर्ष 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है. यह दिन नर्सों की नि:स्वार्थ सेवा को प्रदर्शित करते हुए आधुनिक नर्सिंग दिवस की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल की जयंती को भी चिह्नित करता है.
नर्सों की सेवाएं जितनी महत्वपूर्ण हैं, उतनी ही विश्वस्तर पर उनकी जरूरत है. अपेक्षित नर्सों की उपलब्धता न होना चिंतनीय विषय है. विश्व बैंक की एक ताजा रिपोर्ट में भी कहा गया है कि अच्छे वेतनमान और सुविधाओं के कारण आज भी विकासशील देशों से बड़ी संख्या में नर्सें विकसित देशों में नौकरी के लिए जाती हैं जिससे विकासशील देशों को प्रशिक्षित नर्सों की भारी कमी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
इस समस्या से निपटने के लिए एवं नर्सों की सराहनीय सेवा को मान्यता प्रदान करने के लिए भारत सरकार के परिवार एवं कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार की शुरुआत की. पुरस्कार प्रत्येक वर्ष 12 मई को दिए जाते हैं. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 1973 से अभी तक कुल 237 नर्सों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया है.