मैंने नरेंद्र मोदी से कह दिया था कि मैं भाजपा छोड़ रहा हूँ और जहाँ भी जाऊँगा RSS का साथ मुझे मिलता रहेगा: सुब्रमण्यम स्वामी

By शरद गुप्ता | Published: November 9, 2022 08:37 AM2022-11-09T08:37:35+5:302022-11-09T18:04:37+5:30

भाजपा नेता डॉ सुब्रमण्यम स्वामी अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। पढ़ें लोकमत के साथ उनका ताजा साक्षात्कर जिसमें उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के साथ अपने सम्बन्धों पर खुलकर बात की है।

India's becoming a Hindu state is inevitable Dr. Subrahmanyam Swamy said conversation Lokmat group | मैंने नरेंद्र मोदी से कह दिया था कि मैं भाजपा छोड़ रहा हूँ और जहाँ भी जाऊँगा RSS का साथ मुझे मिलता रहेगा: सुब्रमण्यम स्वामी

सुब्रमण्यम स्वामी की फाइल फोटो (स्रोत: ANI)

Highlights'ऊँची ब्याज दर के कारण छोटे और मझोले उद्योग ऋण लेने में असमर्थ हैं इसलिए अर्तव्यवस्था नीचे जा रही है'"भारतीय अर्थव्यवस्था श्रीलंका की तरह कभी भी ढह सकती है इसे बस एक ट्रिगर की आवश्यक्ता है।""भारत का हिन्दू राष्ट्र में बदलना अपरिहार्य है। हिन्दू कभी ऐसे व्यक्ति के खिलाफ नहीं रहा जो उसके खिलाफ न हो।"

नई दिल्ली: दो बार कैबिनेट मंत्री, छह बार सांसद और दो दशकों से अधिक समय तक जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी अनुभवी नेता हैं. प्रतिष्ठित हार्वर्ड विश्वविद्यालय में कई वर्षों तक अर्थशास्त्र पढ़ा चुके हैं और अर्थव्यवस्था को गहराई से जानते हैं. उन्होंने लोकमत समूह के वरिष्ठ संपादक (बिजनेस एवं पॉलिटिक्स) शरद गुप्ता से मौजूदा राजनीतिक-आर्थिक स्थिति पर बात की...

देश की हालत कैसी है?

अर्थव्यवस्था को आंकने के आंकड़े हैं. पहला भारत की जीडीपी विकास दर है जो 2015 से घट रही है. निवेश की दर गिर रही है, इसके और नीचे जाने की संभावना है. कोरोना से ठीक पहले की तिमाही - 1 जनवरी से 31 मार्च 2020 - में विकास दर घटकर 3.1 प्रतिशत हो गई थी जो जवाहरलाल नेहरू की 3.5 प्रतिशत की ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ से भी नीचे थी. 

दूसरा संकेत लघु और मध्यम उद्योगों का विकास है. वे बदहाल हैं और बेरोजगारी बढ़ रही है.

लेकिन यह क्यों हुआ?

ब्याज दरें ऊपर, और ऊपर जा रही हैं. गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के साथ-साथ छोटे उद्योग इतनी ऊंची दरों पर ऋण लेने में असमर्थ हैं और इसीलिए विकास दर में गिरावट आ रही है.

ऐसी स्थिति में जीएसटी संग्रह कैसे बढ़ सकता है?

ये आसान काम है. गद्दाफी को भी काफी राजस्व मिलता था. मैंने 2019 में देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति पर ‘रीसेट’ नाम की किताब लिखी थी और जो कुछ भी लिखा था वह सच निकला है.

अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का कोई रास्ता है?

बेशक, अगर अच्छी तरह से संभाला जाए तो अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाया जा सकता है.

वरना क्या होगा?

यह कभी भी ढह सकती है. श्रीलंका एक उदाहरण है. आपको केवल एक ट्रिगर की आवश्यकता है. श्रीलंका की अर्थव्यवस्था चावल और चाय के निर्यात के अलावा पर्यटन पर बहुत अधिक निर्भर थी. श्रीलंका के मामले में ट्रिगर चावल पर कीटनाशकों का उपयोग नहीं करने का फैसला था. 

परिणामस्वरूप पूरी फसल कीड़ों ने खा ली. लोगों के पास खाने के लिए चावल नहीं था और उन्होंने सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया.

भारत के मामले में ट्रिगर क्या हो सकता है?

इस तरह के किसी भी विकास का पतन हो सकता है. मुझे नहीं पता कि यह कैसे होगा. मैं 2016 से 2019 तक पीएम मोदी को लिखता रहा लेकिन जब उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया तो मैंने हार मान ली.

लेकिन आपको राज्यसभा के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने ही मनोनीत किया था?

मैं पूरी तरह से यह स्पष्ट कर दूं कि मुझे राज्यसभा के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इशारे पर मनोनीत किया गया था, न कि भाजपा द्वारा. मैं भारतीय जनसंघ के शुरुआती नेताओं में से था. लेकिन मैंने जनता पार्टी में बने रहने का फैसला किया जब वाजपेयी और आडवाणी ने गांधीवादी समाजवाद के साथ भाजपा का गठन किया. 

लेकिन, इसके हिंदुत्व के एजेंडे पर लौटने का फैसला करने के बाद मैंने अपनी पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया.

तो, फिर क्या गलत हुआ?

2013 में मुझे मुंबई से लोकसभा सीट से लड़ने के लिए कहा गया था. मैंने वहां प्रचार करना भी शुरू कर दिया था लेकिन 2014 में तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने मुझे फोन किया और नई दिल्ली से चुनाव लड़ने का अनुरोध किया क्योंकि पार्टी को लगा कि 2जी और राम सेतु पर मेरे काम से उन्हें यह सीट जीतने में मदद मिलेगी. 

मैं अनिच्छा से सहमत हो गया. लेकिन नामांकन से एक रात पहले, राजनाथ सिंह ने मुझे यह बताने के लिए फोन किया कि अरुण जेटली ने बैठक में मेरे नाम का विरोध किया और मोदी सहित बाकी सभी चुप रहे. लेकिन उन्होंने वादा किया कि मैं चुनाव के बाद राज्यसभा में भेजा जाने वाला पहला व्यक्ति बनूंगा. लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ.

तो फिर आपने क्या किया?

तीन राज्यसभा चुनाव होने के बाद मैं 2015 में प्रधानमंत्री मोदी से मिलने गया और उनसे कहा कि मैं भाजपा छोड़ रहा हूं और मैं जहां भी जाऊंगा, मुझे आरएसएस का समर्थन मिलता रहेगा. 

विहिप प्रमुख अशोक सिंघल और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी उन्हें यही बात बताई. तब उन्होंने मुझे राज्यसभा भेजा और वह भी भाजपा के टिकट पर नहीं बल्कि मनोनीत सदस्य के रूप में. उन्होंने मुझे भाजपा संसदीय दल में शामिल करने से भी मना किया.

लेकिन वे ऐसा क्यों करेंगे?

अरुण जेटली को डर था कि मैं वित्त मंत्री के रूप में उनकी जगह ले लूंगा. मोदी उन पर बहुत अधिक निर्भर थे और इसीलिए मुझे राज्यसभा में तब तक नहीं बैठाया जब तक कि आरएसएस का दबाव नहीं पड़ा.

भाजपा के आपको दोबारा राज्यसभा में नहीं भेजने से क्या अब आप जनता पार्टी को फिर से जीवित करेंगे?

नहीं, मैं तब तक भाजपा में रहूंगा जब तक वे मुझे बाहर निकालने का फैसला नहीं कर लेते.

लेकिन, आपको पहले ही सरकारी बंगले से निकाल दिया गया है?

यह उनके द्वारा फैलाई गई मिथ्या धारणा है. मैं उस आवास को कभी भी बरकरार नहीं रखना चाहता था. लेकिन चूंकि उन्होंने मुझे दी गई जेड-श्रेणी की सुरक्षा वापस नहीं ली थी, इसलिए मैं अपने निजी घर में नहीं जा सका, क्योंकि उसमें इतनी जगह नहीं है.

हाल ही में आपने अपनी तुलना हरेन पंड्या से की, जो मॉर्निंग वॉक के दौरान मारे गए थे. क्या आपको अपने जीवन के लिए खतरा महसूस होता है?

पंड्या की हत्या कोई रहस्य नहीं थी. मैं छह बार संसद सदस्य रहा हूं और दो बार कैबिनेट मंत्री रहा हूं. 

लंबे समय से हिंदू हितों के लिए लड़ रहा हूं. लेकिन मैं अपने जीवन के लिए नहीं डरता. इस सरकार ने खुद मुझे सुरक्षा कारणों से अकबर रोड के एक विशाल आवास में जाने के लिए कहा था. लेकिन, मेरी पत्नी ने मना कर दिया.

क्या भारत को हिंदू राज्य में बदला जा सकता है?

यह अपरिहार्य है. हिंदू कभी किसी ऐसे व्यक्ति के खिलाफ नहीं रहे जो उनके खिलाफ न रहा हो. पारसी, सिख, बौद्ध, जैन - वे सभी हमारे लिए अच्छे रहे हैं और हम उनके लिए अच्छे रहे हैं. हम दुनिया के इकलौते देश हैं, जिसने यहूदियों को सताया नहीं है. 

अगर सांस्कृतिक रूप से मुसलमान भी हिंदुओं की तरह हो जाते - विभाजन के बाद हम उनसे जैसी उम्मीद करते थे - तो चीजें आसान होतीं.

क्या अभी भी कुछ अधूरा हिंदुत्व एजेंडा है?

हां, दो ही चीजें बची हैं. एक है सभी भारतीय भाषाओं के बीच की कड़ी के रूप में संस्कृत का प्रचार. 

दूसरी बात एक आधिकारिक घोषणा है कि वर्ण जन्म से नहीं बल्कि गुणों और कर्म (पेशे) से होता है. एक व्यापारी वैश्य होगा और एक शिक्षक ब्राह्मण होगा. इस तरह डॉ. बाबासाहब आंबेडकर दलित नहीं ब्राह्मण होंगे.

Web Title: India's becoming a Hindu state is inevitable Dr. Subrahmanyam Swamy said conversation Lokmat group

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे