शरद जोशी का ब्लॉग: रेलियारा, गलियारे की नई संकल्पना
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 8, 2018 08:54 PM2018-12-08T20:54:35+5:302018-12-08T20:54:35+5:30
अब रेल में एक गलियारा बनाने की योजना चल रही है- जिससे आप रेल के एक कोने से दूसरे कोने तक आसानी से चले जाएंगे। अर्थात् किसी ‘डिब्बे-विशेष’ के सामने से बार-बार निकलने की जो अंतर इच्छा होती है-वह इच्छा चलती रेल में भी पूरी की जा सकती है।
रेलों के, पटरियों के मंत्री ने डिब्बों को घर से अधिक सुंदर बनाने की एक तस्वीर यात्रियों के सामने रखी है। भारत में रेल चलता-फिरता किला है, जिसमें प्रत्येक स्टेशन पर यात्रियों की फौज को अंदर प्रवेश न करने देने के लिए अंदर बैठे यात्री प्रयत्न करते रहते हैं- और करीब वैसा ही नजारा दिखाई देता है, जो पहले किसी गढ़ी पर आक्रमण करते समय रहता होगा।
अब रेल में एक गलियारा बनाने की योजना चल रही है- जिससे आप रेल के एक कोने से दूसरे कोने तक आसानी से चले जाएंगे। अर्थात् किसी ‘डिब्बे-विशेष’ के सामने से बार-बार निकलने की जो अंतर इच्छा होती है-वह इच्छा चलती रेल में भी पूरी की जा सकती है। स्टेशन पर डिब्बे में नए यात्रियों के प्रवेश की लड़ाई और फिर चलती रेल में अन्य गलियारे में खड़े तथा पास के डिब्बों के यात्रियों को प्रवेश से रोकने में सारा समय बीतेगा। तीसरे, संतरेवाले, भिखारी व मीठी गोली बेचनेवाले जो अभी केवल प्लेटफार्मो पर ही चीखते हैं, चलती रेल में आपके डिब्बे के पास आवाजें लगाया करेंगे। गलियारा बिना टिकटवालों के लिए अत्यंत सुविधाजनक होगा। वे आसानी से डिब्बा बदल सकते हैं।
पास के डिब्बे से चोरी करके इस डिब्बे में दूसरों का सामान भी छुपाकर रखा जा सकता है। पतिदेव इस भ्रम में होंगे कि उनकी पत्नी गलियारे में ही कहीं घूम रही है जबकि वह किसी स्टेशन पर किसी के साथ उतर चुकी होगी। अभी तक रेल के डिब्बे सिर्फ छोटी कहानी के बनाने में ही योग देते हैं- गलियारे के बाद उपन्यास तैयार हो जाएंगे। प्लेटफार्मी नजारे पीछे व अधिक आगे के डिब्बेवालों को उपलब्ध नहीं होते पर गलियारे की वजह से यह भेद समाप्त हो जाएगा।
तीसरे दज्रे के आजकल दो भाग हैं- सीटवालों का और खड़े हुए लोगों का। गलियारा एक नया क्लास है। गलियारा वर्गभेदों की तरफ सरकारी रुख का प्रतीक है। यह भेद हमारे हैं और गलियारा सरकार की नीति है। गलियारा भारतीय परंपरा का वाहक है। अंग्रेजी साम्राज्य ने जिनको बांटना चाहा था, वे आजादी के बाद मिल रहे हैं। गलियारा राम के नाम और प्रभु की शक्ति की तरह है-जो हर एक की संपत्ति है व सबके लिए है। गलियारे के लिए सब समान हैं, जैसे ईश्वर के लिए हम प्राणी। गलियारे की ध्वनियां ही जनमत होंगी। वही प्रजातंत्र की आत्मा है। हमारे भविष्य के सूत्र और हमारी भावनाएं।
क्षमा कीजिए, यह गलियारा एक मधुर कल्पना की तरह काफी स्थान खा गया है- यों रेल और पटरी के मंत्री ने काफी दूसरी बातें भी कही थीं-सिनेमा आदि की- पर इस गली व गलियारे अथवा जिसे रेलियारा कहें, इसकी बात ही ऐसी है-और ‘हम भारतीय तो मरना तेरी गली में, जीना तेरी गली में’ मानते हैं, अत: इस संकीर्णता से आगे किसी प्लेटफार्म पर मैं नहीं आ सका।