अवधेश कुमार का ब्लॉग: जनरल रावत का जाना संपूर्ण देश के लिए शोक की घड़ी

By अवधेश कुमार | Published: December 10, 2021 09:27 AM2021-12-10T09:27:18+5:302021-12-10T09:27:18+5:30

जनरल रावत की भाषा सैनिकों में जोश और उत्साह भरती थी। उन्हें देश के लिए मर मिटने को संकल्पित करती थी। बाहरी और देश के अंदर के दुश्मनों को लेकर उनकी दृष्टि बिल्कुल साफ थी तथा इन्हें खत्म करने को लेकर सेना के कर्तव्यों के प्रति वे पूरी तरह दृढ़ संकल्पित थे। ऐसे वीर सपूत को खोकर कौन देश दुखी नहीं होगा।

India will never forget exceptional service of CDS Gen Rawat, his passing away is a time of mourning for the entire country | अवधेश कुमार का ब्लॉग: जनरल रावत का जाना संपूर्ण देश के लिए शोक की घड़ी

भारत के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत

निश्चित रूप से यह पूरे देश के लिए अत्यंत दुख की घड़ी है। पूरा देश स्तब्ध है। हमने भारत के प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी प्रधान सेनापति को दुर्भाग्यपूर्ण हेलिकॉप्टर दुर्घटना में खो दिया. यह सामान्य क्षति नहीं है। जनरल बिपिन रावत को पाकिस्तान, चीन जैसी संवेदनशील सीमाओं के अलावा हर भौगोलिक क्षेत्र व परिस्थितियों में संघर्ष तथा चुनौतियों का व्यावहारिक अनुभव था। वे भारत के इर्द-गिर्द तथा विश्व की बदलती सामरिक परिस्थितियों का गहराई से अन्वेषण करते थे। जाहिर है, हमारी सैन्य और विदेश नीति निर्धारित करने में उनके सुझावों एवं विचारों का गहरा योगदान था।

भारतीय सेना का एमआई 17-वी5 सबसे सुरक्षित हेलिकॉप्टरों में से एक है। वीवीआईपी दौरे में इसका उपयोग किया जाता है। इस हेलिकॉप्टर में बैकअप इंजन और ईंधन, दोनों की सुविधा रहती है। यह डबल इंजन का हेलिकॉप्टर है, जिससे एक इंजन में खराबी आने पर दूसरे इंजन के सहारे सुरक्षित लैंडिंग कराई जा सके. सेना को इस हेलिकॉप्टर की तकनीक पर भरोसा रहा है, सबसे अनुभवी पायलटों को इन हेलिकॉप्टर को उड़ाने का मौका दिया जाता है।

इसमें सामान्य परिस्थिति में ऐसी दुर्घटना हो नहीं सकती है। तो क्या परिस्थिति रही होगी, इसका कुछ अंदाजा ब्लैक बॉक्स से लगेगा तथा जांच कमेटी इसके बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकती है। केवल हेलिकॉप्टर के और उसके उड़ाने वालों एवं क्रूमेंबरों के ही विशिष्ट होने का विषय नहीं है। जनरल रावत भारतीय सेना के सबसे बड़े सुरक्षा अधिकारी थे। उनके लिए बहुत सख्त प्रोटोकॉल का पालन किया जाता था। वे कहीं भी जाते थे तो इसकी सूचना पहले रक्षा मंत्रालय को दी जाती थी।

जब कोई भी वीवीआईपी जैसे प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री या सीडीएस हेलिकॉप्टर से यात्रा करते हैं तो वायुसेना सुरक्षा के मापदंडों का कड़ाई से पालन किया जाता है। कई विशेष प्रक्रियाओं का पालन किया जाता है। तो फिर दुर्घटना का कारण क्या है? कारण खराब मौसम को माना जा रहा है। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि हो सकता है खराब मौसम में हेलिकॉप्टर फंस गया हो।

अगर कोई दूसरी बात नहीं है तो फिर विशेषज्ञों की यह बात माननी पड़ेगी कि घने जंगल, पहाड़ी इलाका और लो विजिबिलिटी की वजह से ही हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ। वेलिंगटन का हेलिपैड जंगल और पहाड़ी इलाके के तुरंत बाद पड़ता है। इसलिए पायलट के लिए इसे दूर से देख पाना मुश्किल होता है। वेलिंगटन का हेलिपैड लैंडिंग के लिए आसान नहीं है।

वहां पहाड़ और जंगल दोनों हैं। इनकी वजह से पायलट को हेलिपैड दूर से दिखाई नहीं देता। काफी नजदीक आने पर ही हेलिपैड नजर आता है। ऐसे में जब खराब मौसम के दौरान पायलट ने लैंडिग की कोशिश की होगी तो बादलों की वजह से विजिबिलिटी कम हो गई होगी। उसे हेलिपैड सही तरह नजर नहीं आया होगा और हादसा हो गया।

खराब मौसम में हेलिकॉप्टर की लैंडिंग यहां हमेशा ही चुनौतीपूर्ण रहती है। यदि हेलिकॉप्टर ज्यादा ऊंचाई पर है और एकाएक मौसम खराब हो जाए तो भी चॉपर का संतुलन बिगड़ सकता है। तकनीकी खराबी भी हो सकती है। खराब मौसम के दौरान बादलों में विजिबिलिटी कम होने की वजह से हेलिकॉप्टर को कम ऊंचाई पर उड़ान भरनी पड़ी। लैंडिंग पॉइंट से दूरी कम होने की वजह से भी हेलिकॉप्टर काफी नीचे था।

नीचे घने जंगल थे, इसलिए क्रै श लैंडिंग भी फेल हो गई। जो भी हो, ऐसे कठिन समय में जब एक ओर चीन भारत को विदेश और रक्षा के स्तर पर हर दृष्टि से परेशान करने, तनाव में लाने की कोशिश कर रहा है तथा उसके उकसावे पर एवं स्वयं अपनी कठिनाइयों के कारण पाकिस्तान भी षडयंत्रों में लगा है, जनरल रावत का जाना कई प्रकार की चिंताएं पैदा करता है। हालांकि भारत में योग्यता, क्षमता की कमी नहीं है, लेकिन उनको तलाशना और फिर इस प्रकार का अनुभव होना निश्चय ही कठिन है। वैसे तो जनरल रावत के करियर में कई बड़ी उपलब्धियां हैं लेकिन दो बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक तथा पाकिस्तान के विरुद्ध एक बड़ी कार्रवाई का पूरा श्रेय उन्हें जाता है।

जून, 2015 में मणिपुर में एक आतंकी हमले में असम राइफल्स के 18 सैनिक शहीद हो गए थे। इसके बाद 21 पैरा कमांडो ने सीमा पार म्यांमार में प्रवेश किया और वहां जंगलों के बीच आतंकी संगठन एनएससीएन के आतंकियों को ढेर किया था। तब 21 पैरा थर्ड कॉर्प्स के अधीन थी जिसके कमांडर बिपिन रावत ही थे। यह एक ऐसा महत्वपूर्ण अभियान था जिसे इतिहास में जगह मिली। इसे भी तब सैनिक भाषा में सर्जिकल स्ट्राइक ही माना गया।

पूरी दुनिया जानती है कि 29 सितंबर, 2016 को भारतीय सेना के जवानों ने अंधेरी रात में सीमा पार कर पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक कर कई आतंकी शिविरों को ध्वस्त करते हुए भारी संख्या में आतंकियों को मार गिरा कर वापस सुरक्षित लौट आने का साहसिक कार्य किया था। यह विश्व के सैन्य इतिहास का एक प्रमुख अध्याय है। 

इसके बाद उरी में सेना के कैंप और पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए हमले में कई जवान शहीद हो जाने के बाद भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई की थी। उस समय भी पाकिस्तान के सैनिक भारी संख्या में मारे गए थे। जनरल रावत की भाषा सैनिकों में जोश और उत्साह भरती थी। उन्हें देश के लिए मर मिटने को संकल्पित करती थी। बाहरी और देश के अंदर के दुश्मनों को लेकर उनकी दृष्टि बिल्कुल साफ थी तथा इन्हें खत्म करने को लेकर सेना के कर्तव्यों के प्रति वे पूरी तरह दृढ़ संकल्पित थे। ऐसे वीर सपूत को खोकर कौन देश दुखी नहीं होगा।

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