ब्लॉग: सूरज के आंगन में उतर कर भारत उठाएगा रहस्यों से पर्दा
By अभिषेक कुमार सिंह | Published: September 4, 2023 08:06 AM2023-09-04T08:06:17+5:302023-09-04T08:12:29+5:30
आदित्य-एल1 पर मौजूद इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और पार्टिकल फील्ड डिटेक्टरों की मदद से सूर्य की बाहरी सतह यानी फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर को जानने की कोशिश होगी और यह पता लगाया जाएगा कि इनकी पृथ्वी पर होने वाली ऊर्जा के संचरण तथा अंतरिक्ष की हलचलों में क्या भूमिका होती है।
आज से आठ साल पहले वर्ष 2015 में पेरिस के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में उल्लेखनीय पहल करते हुए भारत ने सूर्यपुत्र सौ देशों का एक सौर गठबंधन (सोलर अलायंस) बनाने की घोषणा की थी.
इस घोषणा की यह थी योजना
इसका उद्देश्य एक ओर सौर ऊर्जा के हिसाब से धनी (जिन देशों में ज्यादा धूप रहती है) 102 देशों को एक मंच पर लाना और अंतरराष्ट्रीय सौर बाजार को आगे बढ़ाना था, तो दूसरी तरफ भारत में भी सौर बिजली के उत्पादन में उल्लेखनीय इजाफा करना था. तब कहा गया था कि अगर यह गठजोड़ मुकम्मल रूप में सामने आता है तो दुनिया की काया पलटने के साथ-साथ भारत की तकदीर भी बदल सकता है.
भारत के पहले सोलर मिशन - ‘आदित्य-एल1’ हुआ लॉन्च
आठ साल बाद सूरज को लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन- इसरो की ओर से एक नई पहल के रूप में सौरमंडल के मुखिया के करीबी अध्ययन के लिए भारत के पहले सोलर मिशन - ‘आदित्य-एल1’ को शनिवार (2 सितंबर 2023) को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया.
क्या करेगा ‘आदित्य-एल1’
अगले करीब चार महीने की यात्रा के दौरान 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर यह अंतरिक्षयान जिस एल-1 पॉइंट तक पहुंचेगा, वहां से अपने तारे यानी सूर्य की तमाम बारीकियों का अध्ययन करेगा. चंद्रयान-3 की तरह आदित्य-एल1 मिशन से भी इसरो को तमाम वे जानकारियां मिलने की उम्मीद है, जिनके बल पर अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत खुद को मजबूती से स्थापित कर सकता है.
भारत के भविष्य की रखी गई है नई नींव
कह सकते हैं कि चंद्रमा के साथ-साथ सूरज के आंगन में इसरो की ये दस्तकें भारत के भविष्य की नई नींव रख रही हैं. इनके बल पर देश कुछ ऐसा अभूतपूर्व हासिल कर सकता है, जिसकी एक विकासशील या गरीब देश से प्रायः अपेक्षा नहीं रहती है.
आदित्य-एल1 ऐसे करेगा हमारी मदद
आदित्य-एल1 पर मौजूद इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और पार्टिकल फील्ड डिटेक्टरों की मदद से सूर्य की बाहरी सतह यानी फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर को जानने की कोशिश होगी और यह पता लगाया जाएगा कि इनकी पृथ्वी पर होने वाली ऊर्जा के संचरण तथा अंतरिक्ष की हलचलों में क्या भूमिका होती है.
सौर विकिरण की करीबी टोह लेने की कोशिश भी आदित्य एल-1 पर मौजूद सात पेलोड के जरिये होगी, जिससे यह पता चल सकेगा कि पृथ्वी तक आते आते इसके वातावरण की वजह से फिल्टर हो जाने वाला यह विकिरण आखिर कितना ताकतवर होता है और सौर ऊर्जा को अधिक क्षमता से अपने उपयोग में लेना हो तो इस विकिरण को कैसे सोखना चाहिए.
सूरज के कई रहस्यों को आदित्य-एल1 खोलने की करेगा कोशिश
सूर्य के कई अन्य रहस्य है जिन्हें आदित्य एल-1 से समझने के प्रयास होंगे. कोरोना हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, सोलर फ्लेयर और इनकी विशिष्टताओं के बारे में अगले पांच साल तक अंतरिक्ष में सक्रिय रहने के दौरान आदित्य एल-1 से कई अहम जानकारियां मिलने की उम्मीद इसरो कर रहा है.