रहीस सिंह का ब्लॉग: भारत को बदलना होगा अपना एटमी नजरिया
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: September 6, 2019 11:16 AM2019-09-06T11:16:00+5:302019-09-06T11:16:00+5:30
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार इस समय पाकिस्तान के पास 130 से 150 के आसपास परमाणु हथियार हैं, जबकि भारत के पास इनकी संख्या 110 से 130 हो सकती है.
पिछले दिनों कुछ ऐसे संकेत मिले हैं जिससे लगता है कि भारत अपनी न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन को बदल सकता है. दरअसल फ्रांस में जी-7 समिट के दौरान जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मुलाकात हुई तो उसके थोड़ी ही देर बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने देश की जनता को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने धमकी भरे लहजे में कहा कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ तो इसका प्रभाव विश्व स्तर पर महसूस किया जाएगा, परमाणु युद्ध में कोई नहीं जीतता.
सवाल यह उठता है कि परमाणु युद्ध की तैयारी में कौन है? अब तक परमाणु बम की धमकी कौन देता आया है? हां, भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अभी कुछ दिन पहले ही पोखरण में यह अवश्य कहा है कि भारत परमाणु हथियारों के ‘पहले इस्तेमाल न करने’ (नो फस्र्ट यूज) की नीति पर अभी भी कायम है लेकिन भविष्य में क्या होता है यह परिस्थितियों पर निर्भर करेगा. इसका मतलब यह हुआ कि रक्षा मंत्री यह संकेत दे रहे हैं कि परमाणु हथियारों के पहले इस्तेमाल न करने का भारत का प्रण स्थायी नहीं है और यदि भविष्य में कोई युद्ध छिड़ता है तो भारत अपने एटमी हथियारों के पहले इस्तेमाल न करने के अपने वादे पर कायम रहने को विवश नहीं होगा.
भारत का न केवल परमाणु कार्यक्रम बल्कि समग्र रक्षा कार्यक्रम रक्षा के लिए है, युद्ध के लिए नहीं, लेकिन पाकिस्तान का भारत के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए. यही वजह है कि पाकिस्तान ने भारत की तरह नो फस्र्ट यूज जैसी पॉलिसी नहीं बनाई. वर्ष 2016 में पाकिस्तान की स्ट्रैटेजिक प्लानिंग डिवीजन के लेफ्टिनेंट जनरल खालिद किदवई ने खुलासा किया था कि पाकिस्तान के सारे परमाणु हथियार भारत पर हमला करने के लिए फिक्स किए गए हैं. चूंकि पाकिस्तान भारत के साथ सतत युद्ध चाहता है इसलिए वह निरंतर अपने परमाणु हथियार भंडार में वृद्धि कर रहा है.
ध्यान रहे कि स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार इस समय पाकिस्तान के पास 130 से 150 के आसपास परमाणु हथियार हैं, जबकि भारत के पास इनकी संख्या 110 से 130 हो सकती है. तो क्या भारत को अपने मौलिक सिद्धांत में परिवर्तन करने के लिए विचार नहीं करना चाहिए? दरअसल भारत का न्यूक्लियर सिद्धांत आदर्शवादी अधिक है और आदर्शवाद केवल शांतिकाल के लिए व्यावहारिक होता है न कि उस काल के लिए जब युद्ध की स्थिति हो या पड़ोसी देश घेरने अथवा युद्ध जैसी व्यूहरचना के निर्माण का प्रयास कर रहे हों. इसलिए भारत को अपनी एटमी और रक्षा नीति को व्यावहारिक और परिस्थितिजन्य बनाना चाहिए.