ब्लॉग: समान चिंताओं के बीच अमेरिका से बढ़ती नजदीकियां
By शोभना जैन | Published: June 23, 2023 11:17 AM2023-06-23T11:17:06+5:302023-06-23T11:21:06+5:30
पीएम नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा को अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देखें तो रूस-यूक्रेन युद्ध में एक तरफ अमेरिका नीत नाटो गठबंधन है और उसके सामने रूस के साथ चीन खड़ा है.
भारत और अमेरिका के बीच नजदीकियां बढ़ रही हैं, प्रधानमंत्री का वर्तमान अमेरिका दौरा खासा सुर्खियों में है. ऐसे में अगर दोनों देशों के वर्तमान रिश्तों का आकलन किया जाए तो माना जा सकता है कि असहमति के कुछ मुद्दों के बावजूद साझी भू राजनैतिक चिंताओं के बीच दोनों देशों के रिश्ते आपसी हित, एक-दूसरे के मुद्दों को लेकर संवेदनशीलता बरतने और बढ़ते आपसी भरोसे की डोर से प्रगाढ़ता के नए दौर की ओर बढ़ रहे हैं. इस दौरे के अंतरराष्ट्रीय पहलुओं को लेकर भी अनेक सवाल पूछे जा रहे हैं.
इसकी यही सही व्याख्या होगी कि यूक्रेन युद्ध को लेकर बदले हुए अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य को देखें तो पीएम मोदी का यह दौरा ऐसे वक्त हो रहा है जब खास तौर पर यूक्रेन युद्ध को लेकर विश्व व्यवस्था तेजी से बदल रही है, नए रणनीतिक गठबंधन बन रहे हैं. ऐसे में भारत अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता और भू राजनैतिक संतुलन व अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए महाशक्तियों के साथ रिश्तों में निष्पक्ष नजरिये से संतुलन साधने की रणनीति अपना रहा है. साथ ही अमेरिका के साथ रक्षा, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर जैसे परस्पर हित वाले संवेदनशील मुद्दों सहित अनेक अहम क्षेत्रों में आपसी सहमति से द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की कवायद कर रहा है.
पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा को अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देखें तो रूस-यूक्रेन युद्ध में एक तरफ अमेरिका नीत नाटो गठबंधन है और उसके सामने रूस के साथ चीन खड़ा है. चीन की भारत विरोधी आक्रामकता के चलते भारत और चीन के रिश्ते 36 के आंकड़े पर जमे हुए हैं.
प्रधानमंत्री की अमेरिका की पहली स्टेट विजिट में दोनों देशों के शीर्ष नेताओं द्वारा अपनी-अपनी संस्कृति से जुड़े तोहफों के आदान-प्रदान, भोज में भारतीय शैली की साज-सज्जा के मद्देनजर उम्मीद की जानी चहिए कि पीएम मोदी की यह यात्रा वर्ष 2005 में दोनों देशों के बीच सिविल न्यूक्लियर समझौते और रक्षा क्षेत्र में सहयोग की एक नई पारी की जो शुरुआत हुई थी, कुछ वर्षों के ठहराव के बाद अब संबंधों को नए ठोस धरातल पर पहुंचाने का काम करेगी.
रक्षा सौदे, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर जैसे अहम मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने के प्रस्तावों पर मुहर लगने की संभावनाओं के साथ ही दौरे की प्रारंभिक सफलता इसे माना जा सकता है कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय एच1बी वीसा के आधार पर जल्द ही अमेरिका में मौजूद कुछ भारतीय और अन्य विदेशी कामगारों के लिए अब तक अनिवार्य विदेश यात्रा किए बिना ही अमेरिका में वीसा के नवीनीकरण की घोषणा कर सकता है. प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती रणनीतिक और सामरिक साझेदारी के रूप में भी देखा जा रहा है.