शोभना जैन का ब्लॉग: चीन की बढ़ती आक्रामकता से निपटने के लिए तैयारी जरूरी

By शोभना जैन | Published: January 8, 2022 08:43 AM2022-01-08T08:43:17+5:302022-01-08T08:48:35+5:30

चीन लगातार भारत पर अपना दबाव बना रहा है। वह हर तरीके से भारत को परेशान कर बड़ी योजना की तलाश में है।

india china relation Preparation necessary to deal with China increasing aggression | शोभना जैन का ब्लॉग: चीन की बढ़ती आक्रामकता से निपटने के लिए तैयारी जरूरी

शोभना जैन का ब्लॉग: चीन की बढ़ती आक्रामकता से निपटने के लिए तैयारी जरूरी

Highlightsचीन पर यह अरोप है कि वह अपने संसाधनों से मदद के जरिए या साम दाम, दंड, भेद के जरिये अपना प्रभाव क्षेत्न बढ़ाने की जुगत में लगा हुआ।इसके अलावा चीन पर हाल ही में अरुणाचल के 15 इलाकों का नामकरण चीनी भाषा में कर देने का भी मामला सामने आया है। पिछले बीस महीने से भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा पर सैन्य तनाव भी बढ़ा हुआ है।

हाल ही में भारत के खिलाफ चीन की बढ़ती सैन्य और डिप्लोमेटिक आक्रामकता एक बार फिर सुर्खियों में है. उसको लेकर घरेलू राजनीति भी गरमाई, विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा और भारत ने चीन की हाल में बढ़ी ऐसी हरकतों पर कड़े शब्दों में दोटूक प्रतिक्रिया दी है. लेकिन बीस माह पूर्व पूर्वी लद्दाख में सीमा पर सैन्य तनाव के बाद से चीन जिस तरह से सीमा पर तनाव बढ़ाने, आक्रामक तरीके से मनोवैज्ञानिक, डिप्लोमेटिक दबाव जैसे तमाम तरह के हथकंडों के जरिये क्षेत्न में अपना प्रभाव क्षेत्न बढ़ाने की जुगत में लगा हुआ है, निश्चय ही भारत भी उससे निबटने के लिए पूरी सतर्कता बरतते हुए समुचित तैयारी कर रहा है. 

चीन ने 2021 की समाप्ति और इस वर्ष की शुरुआत में ही कुछ ऐसे कदम उठाए हैं, जिससे यह बात जाहिर है कि वह रिश्तों को सामान्य बनाने की बात भले ही करे लेकिन उसकी कथनी और करनी में फर्कसाफ दिख रहा है. वैसे भी चीन जिस तरह से इस क्षेत्न के अधिकतर देशों में अपने संसाधनों से मदद के जरिये या साम दाम, दंड, भेद के जरिये अपना प्रभाव क्षेत्न बढ़ाने की जुगत में लगा हुआ है, और उधर वैश्विक सत्ता समीकरण, गुटबंदियां भी तेजी से बदल रही हैं, ऐसे में भारत के लिए सतर्कता और तैयारी बढ़ाना और भी जरूरी है.

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्नण रेखा के निकट चीन अपने विस्तारवादी सैन्य एजेंडे के तहत जिस तरह से आधारभूत ढांचे का जाल बिछा रहा है, उसी के तहत हाल ही में इस क्षेत्न में उसके द्वारा पैंगोंग त्सो झील पर सामरिक दृष्टि से संवेदनशील नया पुल बनाने की खबरें सामने आईं. हालांकि भारत सरकार ने देशवासियों को आश्वस्त किया कि उसकी इन गतिविधियों पर करीबी नजर है. चिंता की बात यह है कि इस पुल के बनने से चीन के लिए इस झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों के बीच सेना की आवाजाही और उपकरणों की ढुलाई के लिए अपेक्षाकृत वैकल्पिक मार्ग बन जाएगा. एक विशेषज्ञ के अनुसार इससे दूरी 140 से 150 किमी कम हो जाएगी. यह पुल वास्तविक नियंत्नण रेखा से 25 किमी पहले है. विदेश मंत्नालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस घटनाक्र म पर दोटूक शब्दों में कहा भी कि चीन जहां पर पुल बना रहा है, वह इलाका पिछले 60 सालों से चीन के अवैध कब्जे में है, भारत ने ऐसे अवैध कब्जे को कभी नहीं माना. गौरतलब है कि पैंगोंग त्सो झील क्षेत्न में ही भारत और चीन के बीच सैन्य टकराव हुआ था जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच हुई वार्ता के बाद दोनों की सेनाएं पीछे हटीं. लेकिन अब भी वहां कुछ ऐसे इलाके हैं जहां दोनों की सेनाएं आमने-सामने डटी हैं.

वैसे गलवान की हिंसक घटना के बाद से भारत भी इस क्षेत्न में अपने हिस्से में अपने आधारभूत ढांचे का फैलाव बढ़ा रहा है. पिछले वर्षो में सरकार ने इस बात का खयाल रखा है कि हमारी सुरक्षा जरूरतें पूरी तरह से ध्यान में रखी जाएं. साथ ही इस इलाके के लिए बजट में खासी बढ़ोत्तरी की गई. इलाके में इंफ्रास्ट्रक्चर- जैसे पहले से कहीं ज्यादा सड़कें, पुल वगैरह का निर्माण किया गया है. इससे यहां लोगों को काफी कनेक्टिविटी मिली है और सेना को भी मदद मिली.

हाल ही में चीन ने भारत के खिलाफ सैन्य, डिप्लोमेटिक और मनोवैज्ञानिक आक्रामकता जिस तरह से बढ़ाई, उस पर आगे बात करें तो चीन ने हाल ही में अरुणाचल के 15 इलाकों का नामकरण चीनी भाषा में कर दिया. तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा की 2017 की अरुणाचल प्रदेश के तवांग की यात्ना से भी कुढ़ कर चीन ने वहां की 7 जगहों का नामकरण चीनी भाषा में कर दिया था. भारत ने इस बार भी इस मामले पर अपनी दोटूक प्रतिक्रि या में ठीक ही कहा कि चीन की अपने निराधार दावों को बल देने की ये हास्यास्पद कोशिश है. टूटिंग को डोडेंग या सियोम नदी को शीयूमू या किबिथू या डाबा कहने से ये तथ्य बदल नहीं जाएगा कि अरुणाचल भारत का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा.

गौरतलब है कि पिछले बीस माह से दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा पर सैन्य तनाव है. एक मई 2020 को दोनों देशों के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो झील के नॉर्थ बैंक में झड़प हुई थी. इसमें दोनों ही पक्षों के दर्जनों सैनिक घायल हुए थे. इसके बाद 15 जून को गलवान घाटी में एक बार फिर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई. इसमें दोनों तरफ के कई सैनिकों की मौत हुई थी. पूर्वी लद्दाख में सैन्य तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के बीच 13 दौर की सैन्य वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई बड़ा नतीजा सामने नहीं आया है. इस समय लद्दाख सीमा के साथ दोनों देशों के 50000 से ज्यादा सैनिक आमने-सामने डटे हैं.
 

Web Title: india china relation Preparation necessary to deal with China increasing aggression

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे