नेपाल को अपनी तरफ क्यों खींच रहा है चीन, क्या भारत के लिए है खतरे की घंटी

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: June 30, 2018 08:57 AM2018-06-30T08:57:12+5:302018-06-30T08:57:12+5:30

नेपाल पीएम ओली ने दोनों देशों के साथ रिश्तों में संतुलन पर जोर देते हुए कहा कि नेपाल ने जो विदेश और वैश्विक नीतियां बनाई हैं, वह न तो किसी देश के खिलाफ हैं और न ही किसी भी प्रकार से वैश्विक शांति को खतरा पहुंचाने वाली हैं।

India china Nepal relationship KP Oli | नेपाल को अपनी तरफ क्यों खींच रहा है चीन, क्या भारत के लिए है खतरे की घंटी

नेपाल को अपनी तरफ क्यों खींच रहा है चीन, क्या भारत के लिए है खतरे की घंटी

-शोभना जैन  
चीन के प्रति अपेक्षाकृत नरम रुख रखने वाले नेपाल के प्रधानमंत्नी केपी शर्मा ओली ने पिछले सप्ताह चीन की अहम यात्रा से लौटने के बाद कहा कि वह भारत और चीन दोनों के साथ मैत्नीपूर्ण संबंध बनाए रखना चाहते हैं और कहा कि नेपाल अल्पकालिक लाभ के लिए दोनों देशों के साथ ताश का खेल नहीं खेलना चाहता है। निश्चय ही भारत  के साथ रोटी-बेटी के रिश्तों वाले नेपाल के साथ पिछले कुछ समय से हमारी दूरियां बढ़ी हैं, ऐसे में चीन के साथ नजदीकियां बढ़ा रहे नेपाल के प्रधानमंत्नी का यह बयान महत्वपूर्ण है। सवाल है कि आखिर आज के संदर्भ में  नेपाल के भारत और चीन के साथ त्रिकोणीय रिश्तों की गुत्थी क्या रूप ले रही है? सच्चाई यही है कि नेपाल भारत के मुकाबले चीन की तरफ बढ़ रहा है, दूसरी ओर भारत चीन के साथ अपने रिश्तों को नए सिरे से परिभाषित करने का प्रयास कर रहा है। साथ ही भारत तीन वर्ष पूर्व नेपाल के साथ रिश्तों में आई खटास के बाद संबंधों को फिर से पटरी पर लाने का प्रयास कर रहा है, ऐसे में इस त्रिकोण की गुत्थी कैसे सुलझेगी?

ओली के अनुसार उनकी सरकार देश के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और यह तभी संभव होगा, जब भारत और चीन दोनों से नेपाल के दोस्ताना रिश्ते बने रहें। चीन की इस यात्ना में जहां उन्होंने अपने देश में रेल संरचना को विकसित करने सहित आधारभूत ढांचा विकसित करने को लेकर कई अहम समझौते किए वहीं इसके साथ ही नेपाल ने चीन की विवादास्पद वन बेल्ट-वन रोड परियोजना पर भारत की आपत्ति के बावजूद सहमति जाहिर की, जिस पर भारत में सवाल उठने स्वाभाविक थे। ओली ने दोनों देशों के साथ रिश्तों में संतुलन पर जोर देते हुए कहा कि नेपाल ने जो विदेश और वैश्विक नीतियां बनाई हैं, वह न तो किसी देश के खिलाफ हैं और न ही किसी भी प्रकार से वैश्विक शांति को खतरा पहुंचाने वाली हैं।

गौरतलब है कि ओली ने अपने इस नए कार्यकाल में चीन के प्रति अपने झुकाव के बावजूद नेपाल की परंपरा को जारी रखते हुए प्रधानमंत्नी के रूप में पहला दौरा भारत का ही किया और उसके बाद अपनी दूसरी विदेश यात्ना चीन की की। वर्ष 2015 की नेपाल की आर्थिक नाकेबंदी के बाद भारत-नेपाल रिश्तों में आई खटास के बाद रिश्तों को सामान्य बनाने के प्रयास के रूप में प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने पिछले माह ही नेपाल की यात्ना की, जिसमें  दोनों देशों के बीच प्राचीन सामाजिक और सांस्कृतिक रिश्तों पर जोर दिया गया। प्रधानमंत्नी मोदी ने हालांकि कहा कि भारत की नेबरहुड फस्र्ट पॉलिसी में नेपाल सबसे पहले आता है लेकिन चीन और नेपाल के बीच बढ़ती नजदीकियों को इसी बात से समझा जा सकता है कि ओली की चीन यात्ना के दौरान उन्होंने चीन के साथ 2.4 अरब डॉलर के आठ अहम समझौते किए। इसी संदर्भ में यह भी खास है कि भारत के साथ मैत्नी पूर्ण संबंधों के बावजूद नेपाल ने चीन की महत्वाकांक्षी ओबोर परियोजना में उसका साथ दिया, जबकि भारत इस परियोजना के पाक अधिकृत कश्मीर से गुजरने की वजह से इसे अपने देश की संप्रभुता के खिलाफ बता कर इससे जुड़ने से इंकार कर चुका है।

चीन ने जिस तरह से हिमालय क्षेत्न में विमान परिवहन, सड़क मार्ग और  दूरसंचार का जाल बिछाने का प्रस्ताव किया है और नेपाल इस समय कनेक्टिविटी नेटवर्क पर सबसे ज्याद जोर दे रहा है, ऐसे में ये प्रस्ताव उसके लिए बहुत अहम है। सामरिक दृष्टि से अहम इस कनेक्टिविटी  के साथ-साथ यह बात भी है कि चीन नेपाल के साथ आर्थिक रिश्ते तेजी से बढ़ा रहा है और नेपाल को अपने आर्थिक विकास की बहुत जरूरत है। पिछले कुछ वर्षो में नेपाल और चीन के बीच व्यापार नाटकीय रूप से बढ़ा है। चीन नेपाल का सबसे बड़ा निवेशक है। वहां पिछले साल की दूसरी छमाही में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में चीन की हिस्सेदारी 58 प्रतिशत थी जो कि भारत के निवेश के मुकाबले दुगुनी थी। दरअसल इन तमाम हालात में भारत को नेपाल के साथ अपने रिश्ते को नए सिरे से परिभाषित करना होगा, खास कर ऐसे में जबकि दोनों के बीच प्राचीन सांस्कृतिक और सामाजिक रिश्तों की कड़ी का मजबूत पुल है। ऐसे में एक बार भारत को नेपाल के साथ फिर से भरोसा बहाल करना होगा। द्विपक्षीय सहयोग से चलने वाली विकास परियोजनाएं समय से पूरी करनी होंगी, रोटी-बेटी के रिश्ते को मजबूत करने के लिए जनता के बीच रिश्ते मजबूत करने होंगे खास कर ऐसे में जबकि ओली का कहना है कि भारत और चीन दोनों के ही साथ नेपाल रिश्तों में संतुलन बनाना चाहता है। तभी इस त्रिकोण की गुत्थी सुलझ सकेगी।

Web Title: India china Nepal relationship KP Oli

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