कोरोना संकट से उबर सकता है भारत, पर्यावरण-प्रोडक्शन समेत इन उपायों से मिलेगी मदद

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 5, 2020 05:02 PM2020-06-05T17:02:51+5:302020-06-05T17:08:19+5:30

कोरोना संकट से चलते इस वक्त पूरा विश्व आर्थिक संकट झेल रहा है। भारत पर भी इसका असर साफ देखने को मिला है...

India can recover from Corona crisis, these measures will help | कोरोना संकट से उबर सकता है भारत, पर्यावरण-प्रोडक्शन समेत इन उपायों से मिलेगी मदद

कोरोना संकट से उबर सकता है भारत, पर्यावरण-प्रोडक्शन समेत इन उपायों से मिलेगी मदद

Highlightsकोरोना वायरस से अब तक 3 लाख 90 हजार लोगों की मौत।इस महामारी ने किया सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यमों को सबसे अधिक प्रभावित।

(प्रहलाद तिवारी और निलय श्रीवास्तव)

दुनिया COVID-19 के खिलाफ एक अभूतपूर्व लड़ाई लड़ रही है। एक ऐसी लड़ाई जिसमें लगभग 3 लाख 90 हजार लोग अपना जान गंवा चुके हैं, जबकि अब तक लगभग 67 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं। मानव जाति पर ना सिर्फ वायरस का खतरा मंडरा रहा है बल्कि इसकी वजह से बंद हुई आर्थिक गतिविधियों ने भी उसको संकट में डाल दिया है। 

भारत में इस महामारी ने श्रम आधारित सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यमों को सबसे अधिक प्रभावित किया है जो लगभग 120 मिलियन लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं। इसमें ऑटोमोबाइल, स्मार्ट फोन निर्माता, सौर उद्योग, टेक्सटाइल, इस्पात निर्माण इत्यादि शामिल हैं। आर्थिक मंदी से निपटने और उद्योगों के सामान्य संचालन के लिए, भारत सरकार ने 20 लाख-करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है। 

यह आर्थिक पैकेज उद्यमों के लिए बहुत जरूरी भी था। इससे आवश्यक लिक्विडिटी बनाए रखने के लिए उद्यम व्यावसायिक कार्यों के लिए संपार्श्विक मुक्त ऋण यानी कोलेटरल फ्री लोन प्राप्त कर सकेंगे। उद्योगों को अगले चरण में धीरे-धीरे यह सुनिश्चित करते हुए परिचालन शुरू करना है कि कर्मचारी कोरोना वायरस मुक्त वातावरण में काम कर सकें और साथ-साथ रिसोर्स एफिशिएंसी क्लीनर प्रोडक्शन (आरईसीपी) को अपनाया जा सके। इन कदमों से उत्पादन में लगने वाले संसाधनों को संतुलित किया जा सकता है।  

फैक्ट्री परिसर में कोरोना मुक्त वातावरण बनाने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। परिसर को निसंक्रामक करने के लिए 1% सोडियम हाइपोक्लोराइट (अधिकांश भीतरी सतहों) और 70% अल्कोहल-आधारित सैनिटाइजर (धातु सतहों) के संयोजन का इस्तेमाल करें। श्रमिकों की सुरक्षा भी इंफ्रा रेड थर्मामीटर वाली नॉन कॉन्टेक्ट थर्मल स्क्रीनिंग करते हुए और उन्हें एल्कोहल वाले सैनिटाइजर देकर सुनिश्चित की जा सकती है। 

फैक्ट्री परिसर में प्रवेश करने वाले श्रमिकों के कोरोना संक्रमण की स्थिति जांचने के लिए उनके मोबाइल फोन में आरोग्य सेतु एप को अपडेट किया जा सकता है। ऐसा करते हुए एक सैनिटाइजेशन टनल बनाई जा सकती है जिसमें से श्रमिक गुज़रे। उन्हें आवश्यक व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) आवंटित करें और यह सुनिश्चित करें कि वे उन्हें पहने। इसके साथ-साथ ही उन्हें स्वच्छ शौचालय सुविधाएं प्रदान करना भी उतना ही आवश्यक है। 

कार्यस्थल पर शारीरिक दूरी बनाने के लिए टुकड़ों में कई शिफ्ट संचालित की जा सकती हैं। साथ ही कुछ हाउसकीपिंग की आदतों को अपनाना ज़रूरी है जैसे- मानव-मशीन पथों को चिन्हित करना, 1S & 2S उपायों को लागू करना जिसमें विभिन्न श्रेणियों के कचरे के लिए अलग-अलग डिब्बे प्रदान करके क्रमबद्ध और सेट-इन-ऑर्डर को लागू किया। इसमें कच्चे माल के भंडारण, अर्द्ध-निर्मित सामान और तैयार माल के साथ-साथ उपकरण और इन्वेंट्रीज़ के लिए स्थान निर्दिष्ट करना भी शामिल है। इसके अतिरिक्त उपकरणों में किसी तरह की अप्रत्याशित खराबी और उनके कार्य करने की अवधि को बढ़ाने के लिए उनमें ऑयलिंग करना, धूल साफ करने, बाहरी वस्तु को हटाने और तारों के ढीले कनेक्शन के लिए विभिन्न मशीनों का निरीक्षण किया जाना चाहिए। 

आर्थिक मंदी के बीच उत्पादन शुरू करने के लिए उद्यमों को संचालन लागत में कटौती करने, उत्पादन अक्षमताओं को कम करने और अपशिष्ट उत्पादन को कम करने की आवश्यकता है। आरईसीपी (RECP) रणनीतियों को अपनाने से उद्यमों को लागत कम करने और पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ तरीके से आर्थिक विकास में योगदान करते हुए उनकी लाभप्रदता बढ़ाने में मदद मिलेगी। 

आरईसीपी रणनीतियों को अपनाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अधिकांश उपाय कम लागत के हैं और साथ ही ऊर्जा, पानी, कच्चे माल को सस्टेनेबल तरीके से इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी और इसके चलते अपशिष्ट तथा अपशिष्ट जल कम पैदा होगा। प्रकाश का अनुकूलन कर बिजली बचाई जा सकती है, जैसे- खिड़कियों की सफाई करके, उपयोग की जगह पर प्रकाश प्रदान करके, अनावश्यक रोशनी बंद करके और ऊंची छतों पर लाइटें लगाने से बचकर। दोपहर के भोजन और चाय के ब्रेक के दौरान कम अहमियत वाली रोशनी को बंद करने के प्रावधान बनाने से भी बिजली बच सकती है। कंप्रेस्ड वायु प्रणालियों, पानी और भाप पाइपलाइनों में लीकेज को ठीक करके भी बचत की जा सकती है। उदाहरण के लिए, डिलीवरी एयर में एक बार प्रेशर की कमी से कंप्रेसर में बिजली की खपत में लगभग 6-10% की कमी आएगी।

इसके अलावा कई अन्य अतिरिक्त उपाय करके भी ऊर्जा बचाई जा सकती है। पावर फैक्टर में सुधार (बिजली के बिलों में कम जुर्माना के लिए कैपेसिटर ऑप्टिमाइज़ेशन द्वारा), मोटर ऑप्टिमाइज़ेशन (जैसे हवादार, धूल रहित वातावरण प्रदान करके, फ्लैट बैल्ट के स्थान पर कोग्गड (cogged) बैल्ट का प्रतिस्थापन और टर्मिनलों के ताप से बचने के लिए विद्युत कनेक्शन की जांच करने जैसी सुविधाएं देकर), कंप्रेसर अनुकूलन (स्वच्छ और ठंडा वातावरण प्रदान करके, कंप्रेसर और उपयोग के बीच की दूरी को कम और क्लोज्ड-लूप स्थापित करके, कम घर्षण और न्यूनतम बेन्डिंग पाइपलाइन, फ्री एयर डिलीवरी यानी एफएडी और रिसाव परीक्षण का संचालन करके) एयर गन का उपयोग करके, (केवल हाई प्रेशर आवश्यकताओं के लिए ही कंप्रेस्ड हवा का उपयोग करना) और बॉयलर और भट्टियों में गर्मी के नुकसान का अनुकूलन करके (पर्याप्त इन्सुलेशन प्रदान करके, पर्याप्त रूप से दरवाजा बंद करके और ईंधन - वायु अनुपात में समायोजित करके)।

इसी तरह कई उपायों से पानी की भी बचत की जा सकती है। अपशिष्ट जल को कम करने के लिए एरेटर्स और सेंसर लगाया जा सकता है जिससे पानी के बहाव को कम किया जा सकता है। प्रति फ्लश पानी की मात्रा को कम करने के लिए वॉटर-फिल्ड बोतलों को हाई वॉल्यूम शौचालय के टैंकों में रखकर और पुनर्चक्रण और आरओ के बेकार पानी का उपयोग फर्श की सफाई और धोने के लिए किया जा सकता है। सफाई के लिए प्रभावी तरीकों जैसे कि झाङू और सूखे तरीकों से सफ़ाई  को बढ़ावा देकर और वर्षा जल संचयन जैसे तरीकों से भी पानी की ख़पत कम की जा सकती है।

‘’आत्मनिर्भर भारत अभियान” की महत्वाकांक्षा को समझते हुए और सरकार के आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज का सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए, उद्योगों को आरईसीपी (RECP) अपनाने की ज़रूरत है। इससे लागत कम होगी और लाभ भी मिलेंगे और साथ ही यह पर्यावरण की दृष्टि से सस्टेनेबल भी होगा। हमारे उद्योगों को सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) 2030 को पूरा करने और COID-19 के कारण होने वाली आर्थिक मंदी से निपटने के लिए राष्ट्रीय रूप से निर्धारित योगदान (NDCs) को प्राप्त करने के लिए स्थायी तरीके से प्रतिस्पर्धी बने रहने की आवश्यकता है।

(प्रहलाद तिवारी टेरी (द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट) में फेलो हैं और निलय श्रीवास्तव रिसर्च एसोसिएट। इस ओपिनियन लेख में सीनियर फेलो मालिनी बालाकृष्णन और विद्या बत्रा के इनपुट शामिल हैं)

Web Title: India can recover from Corona crisis, these measures will help

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