हरीश गुप्ता का ब्लॉग: प्रधानमंत्री कार्यालय पर कोविड की छाया

By हरीश गुप्ता | Published: January 13, 2022 09:28 AM2022-01-13T09:28:16+5:302022-01-13T09:28:16+5:30

देश में कोरोना की तीसरी लहर के बीच प्रधानमंत्री कार्यालय में भी महामारी से संक्रमण का मामला सामने आया है. एक आला अधिकारी कोविड से संक्रमित कैसे हो गए, इसकी अलग से जांच की जा रही है

Harish Gupta's blog: Shadow of covid 19 on Prime Minister Office | हरीश गुप्ता का ब्लॉग: प्रधानमंत्री कार्यालय पर कोविड की छाया

हरीश गुप्ता का ब्लॉग: प्रधानमंत्री कार्यालय पर कोविड की छाया

पिछले हफ्ते जब प्रधानमंत्री कार्यालय के एक शीर्ष अधिकारी को कोविड पॉजिटिव पाया गया तो सरकार वास्तव में परेशान हो गई थी. जब शीर्ष अधिकारी के होम क्वारंटाइन में जाने की खबर सामने आई तो सारी हदें पार हो गईं. उनके सीधे संपर्क में आने वालों में से कई को खुद को अनिवार्य रूप से सेल्फ क्वारंटाइन करना पड़ा. 

सौभाग्य से, प्रधानमंत्री स्वयं अत्यधिक सावधानी बरत रहे थे और अपने अधिकारियों से भी दूरी रख रहे थे तथा अधिकांश काम इंटरकॉम पर या सुरक्षित दूरी रखते हुए कर रहे थे. इसलिए चिंता की कोई बात नहीं थी. पीएमओ काफी सख्त कोविड प्रोटोकॉल का पालन कर रहा है और अधिकारी समूहों में या भीड़ के साथ घुलने-मिलने से बच रहे हैं. 

ऐसे में यह चौंकाने वाली बात है कि कैसे आला अधिकारी कोविड से संक्रमित हो गया. इसकी अलग से जांच की जा रही है. लेकिन अधिकांश पीएमओ कर्मचारियों को कोविड परीक्षण से गुजरना पड़ा क्योंकि पीएमओ वायरस के प्रसार की अनुमति नहीं दे सकता. संबंधित अधिकारी एक सप्ताह से अधिक समय से काम पर नहीं हैं और बैठकों में भी भाग नहीं ले रहे हैं. वे उस महत्वपूर्ण बैठक में भी मौजूद नहीं थे, जिसे पीएम ने पिछले रविवार को देश में कोविड की स्थिति पर चर्चा करने के लिए बुलाया था. 

अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि वे अगले कुछ दिनों में एक्शन में नजर आ सकते हैं. दो शीर्ष अधिकारियों अमरजीत सिन्हा और पी.के. सिन्हा की विदाई के साथ सरकार में वरिष्ठतम अधिकारियों की अनुपस्थिति महसूस की जा रही है. बात सिर्फ इतनी ही नहीं है. अनेक मंत्रियों के वरिष्ठ निजी सचिव भी कोविड से संक्रमित हैं. कहा जाता है कि केंद्रीय गृह मंत्री के निजी सचिव संक्रमित हुए और अन्य मंत्रियों के भी. 

कोरोना के कारण 15 प्रतिशत संसदीय कर्मचारी काम पर नहीं हैं और जनवरी के अंत से संसद का बजट सत्न शुरू होने वाला है. सरकार को बस यही उम्मीद है कि ओमिक्र ॉन उम्मीद से कहीं जल्दी खत्म हो जाएगा.

ओमिक्रॉन कब चरम पर होगा?

शीर्ष आईआईटी प्रोफेसरों द्वारा हाल के दो अध्ययनों के अनुसार, ओमिक्रॉन जनवरी के अंत तक मुंबई और दिल्ली में समाप्त हो जाएगा, जबकि एक अन्य प्रोफेसर का दावा है कि यह फरवरी के अंत में होगा. हालांकि सरकार इस तरह के अध्ययनों पर प्रतिक्रिया नहीं दे रही है और अधिक संकेतों की प्रतीक्षा कर रही है. कारण यह कि ऐसी भविष्यवाणी करने वालों में से किसी ने भी अपनी रिपोर्ट सरकार को नहीं भेजी है और दूसरी बात यह कि अभी भी पैटर्न का अध्ययन करने के लिए वैश्विक एजेंसियों से डाटा प्राप्त करने की प्रक्रिया जारी है. 

हालांकि ओमिक्रॉन घातक नहीं है, लेकिन इसके अस्तित्व ने नीति निर्माताओं की नींद उड़ा रखी है.  सरकार इसे हर्ड इम्युनिटी सिंड्रोम भी कहने को तैयार नहीं है. यह अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी कि वायरस कब खत्म होगा.

राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा की राह आसान

इस साल जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा की राह आसान होगी. पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के नतीजों से किसी उथल-पुथल की संभावना नहीं है. सत्तारूढ़ गठबंधन के उम्मीदवार के सामने कोई बड़ी बाधा पैदा होने की संभावना नहीं है. 31 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के 4120 विधायकों में से, जो अगले राष्ट्रपति का चुनाव करेंगे, केवल 690 सीटों पर मतदान हो रहा है. 

पंजाब को छोड़कर बाकी जगह भाजपा को आरामदायक स्थिति में माना जा रहा है, हालांकि यूपी और उत्तराखंड में उसके विधायकों की संख्या घट सकती है. राष्ट्रपति चुनाव पर नजर रखने वालों का कहना है कि भाजपा कुल 10.98 लाख वोटों के इलेक्टोरल वोटों में एक लाख वोटों से आगे चल रही है. 

राकांपा प्रमुख शरद पवार, जो संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में उभरने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, केवल तभी पांसा पलट सकते हैं जब भाजपा को यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भारी झटका लगे. पंजाब में भाजपा अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही है क्योंकि निवर्तमान विधानसभा में उसके केवल तीन विधायक हैं. 

राष्ट्रपति पद के चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 1.40 लाख वोट से कम होने की संभावना है, जबकि भाजपा के अपने वोट शेयर 4.70 लाख वोट होने की संभावना है. मौजूदा सहयोगियों के साथ, भाजपा को 5 लाख वोटों का आंकड़ा पार करने की उम्मीद है. 

वह बीजद, वाईएसआर-कांग्रेस, टीआरएस और गठबंधन के बाहर के अन्य दलों से समर्थन पाने की उम्मीद कर सकती है. राष्ट्रपति का चयन एक जटिल प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है जिसके तहत 4120 विधायकों वाली 31 राज्य विधान सभाओं के विधायक वोट डालते हैं और प्रत्येक विधानसभा में राज्य की आबादी के आधार पर अलग निर्वाचक मंडल होता है. 

उदाहरण के लिए यूपी के एक विधायक के वोट की कीमत 408 वोट के बराबर होती है जबकि महाराष्ट्र के एक विधायक के वोट की कीमत 175 वोट के बराबर. भाजपा के पास संसद के दोनों सदनों के 776 सांसदों में से 400 से अधिक सांसद हैं, जो उसे बड़ी बढ़त देते हैं.

Web Title: Harish Gupta's blog: Shadow of covid 19 on Prime Minister Office

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे