ब्लॉग: संसद सत्र के दौरान एक नए राहुल गांधी का उदय

By हरीश गुप्ता | Published: August 12, 2021 10:54 AM2021-08-12T10:54:41+5:302021-08-12T11:20:37+5:30

राहुल गांधी इन दिनों बदले-बदले नजर आ रहे हैं. वे व्यक्तिगत रूप से नेताओं से बातचीत कर रहे हैं. वे लॉबी में उनसे मिलते हैं, उनके आवास पर जाते हैं और उन्हें अपने घर पर आमंत्रित करते हैं.

Harish Gupta's blog Rise of new Rahul Gandhi in Parliament Monsoon session | ब्लॉग: संसद सत्र के दौरान एक नए राहुल गांधी का उदय

बदले-बदले नजर आ रहे हैं राहुल गांधी (फाइल फोटो)

अभूतपूर्व विपक्षी एकता के बीच 19 जुलाई से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र में भले ही हंगामा देखने को मिल रहा हो, लेकिन सत्र ने एक नए राहुल के उदय को देखा है. हालांकि गांधी परिवार के वारिस लगभग दो दशकों से राजनीति में और 2004 से लोकसभा में हैं लेकिन सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. 

उनकी सोच और हकीकत में जो हो रहा था, उसके बीच पूरी तरह से अलगाव था. उनकी छवि को भी धक्का लगा जब उन्होंने अपनी ही सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए अपराधियों से संबंधित विधेयक की प्रति को फाड़ दिया. परिणाम यह था कि 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस 44 सीटों के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गई. 

भाजपा के स्टार प्रचारक रहे नवजोत सिंह सिद्धू ने उनके नाम की खिल्ली उड़ाई और चुनाव प्रचार के दौरान यह लोगों की जुबान पर चढ़ गया. सबसे बुरा 2019 में हुआ जब वे अपनी पारंपरिक अमेठी लोकसभा सीट हार गए. लेकिन जुलाई 2021 में एक नए राहुल गांधी का उदय हुआ. 

राजनीतिक विश्लेषक मानसून सत्र के दौरान उनकी ‘छवि में बदलाव’ से हैरान हैं. यह मेकओवर इतना चुपचाप हुआ है कि सिर्फ करीबी लोगों ने ही इस पर ध्यान दिया है. 

पहला संकेत तब मिला जब राहुल गांधी ने उस बस के कंडक्टर की भूमिका निभाई जो आंदोलनकारी किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए विपक्षी दलों के नेताओं को संसद भवन से जंतर-मंतर तक ले गई थी. राहुल उन्हें रिसीव करने के लिए प्रवेश द्वार पर खड़े थे और खुद सबसे आखिरी में चढ़े थे. 

बस के जंतर मंतर पहुंचने के बाद सबसे पहले उतरे और यह सुनिश्चित करने के लिए गेट पर खड़े रहे कि हर नेता शामिल हो. संसद भवन वापस जाते समय भी यही देखने को मिला. इससे पहले उन्होंने विपक्षी नेताओं के लिए नाश्ते की मेजबानी की, जो उनके द्वारा ऐसा करने का पहला ही अवसर था. 

बदलाव यह भी दिखा कि राहुल गांधी ने अकेले बात करने के बजाय उनकी बात सुनी. राहुल गांधी मोबाइल फोन के साथ हमेशा व्यस्त रहने के अपने पहले के दिनों की तुलना में पेगासस हैकिंग कांड पर विरोध कर रहे विपक्षी सांसदों के साथ एकजुटता से खड़े थे. ऐसा लग रहा है कि पुराने दिन गए.

जब संजय राऊत से मिले राहुल

राहुल गांधी इन दिनों एक नए कार्यक्षेत्र में हैं और व्यक्तिगत रूप से नेताओं से बातचीत कर रहे हैं. वे लॉबी में उनसे मिलते हैं, उनके आवास पर जाते हैं और उन्हें अपने घर पर आमंत्रित करते हैं. उन्होंने शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राऊत को अपने 12 तुगलक रोड स्थित आवास पर आमंत्रित किया और पूरे 110 मिनट तक बातचीत की. 

महाराष्ट्र सरकार का कामकाज, शिवसेना और समसामयिक घटनाएं बातचीत के एजेंडे में थीं, वहीं दोनों ने विपक्षी राजनीति के भविष्य के प्रति अपना दृष्टिकोण भी साझा किया. बाद में भी दोनों नेताओं की दो बार मुलाकात हुई. संजय राऊत के लिए भी यह एक नया अनुभव था. विपक्षी नेताओं ने भी इन दिनों राहुल गांधी में एक और बदलाव देखा है; वे सचेत रहते हैं और खुद में ही व्यस्त रहने के बजाय ग्रुप मीटिंग्स में ध्यान देते हैं.

पीके की योजना पर एंटनी की आपत्ति

कांग्रेस कार्यसमिति के सभी सदस्यों ने छोटे समूहों में चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर द्वारा प्रस्तुत विस्तृत कार्य योजना पर विस्तार से चर्चा की है. सोनिया गांधी सीडब्ल्यूसी के प्रत्येक सदस्य से पीके की कार्ययोजना के बारे में राय लेना चाहती थीं. के. सी. वेणुगोपाल नोट्स लेने और सोनिया गांधी को इसे देने के लिए सभी बैठकों में मौजूद थे. 

पीके ने सुझाव दिया कि कांग्रेस के पास संसदीय बोर्ड की तरह निर्णय लेने वाला एक छोटा निकाय होना चाहिए ताकि सीडब्ल्यूसी निकाय की वृहद बैठक के बजाय अल्प सूचना पर त्वरित निर्णय लिया जा सके. कांग्रेस को चुनावी रणनीति तैयार करने के लिए एक स्थायी ढांचा तैयार करना चाहिए जो एक राज्य से दूसरे राज्य में भिन्न हो और यह 2024 के लोकसभा चुनावों तक चले. 

पता चला है कि ए.के. एंटनी सहित कुछ वरिष्ठों को पीके को 136 साल पुरानी पार्टी के आधिकारिक चुनावी रणनीतिकार के रूप में नामित किए जाने पर आपत्ति है. कई लोगों का मानना है कि किसी एक व्यक्ति को ‘सुपर मैन’ की भूमिका निभाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. लेकिन एंटनी एक निराशाजनक अल्पमत में हैं क्योंकि कोई भी पार्टी बिना कुछ हासिल किए, सिर्फ अपने पुराने वैभव को याद कर आनंद उठाते नहीं रह सकती. दिलचस्प बात यह है कि गुलाम नबी आजाद पीके की योजना के पक्ष में हैं.

कमलनाथ को नई जिम्मेदारी!

यदि सब कुछ कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा अंतिम रूप दी जा रही योजनाओं के अनुसार होता है तो पूरे संगठनात्मक ढांचे में उम्मीद से कहीं जल्दी बदलाव हो सकता है. कहा जा रहा है कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया जा सकता है. 

वे पार्टी में सबसे वरिष्ठ हैं और ऐसा लगता है कि सोनिया गांधी ने  परिवार के वफादार का साथ देने का फैसला किया है. अहमद पटेल के असामयिक निधन के बाद उन्हें मदद के लिए किसी की सख्त जरूरत है. कांग्रेस में प्रियंका गांधी वाड्रा समेत चार उपाध्यक्ष हो सकते हैं. यह फेरबदल मिशन-2024 का हिस्सा है.

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