हरीश गुप्ता का ब्लॉग: 2024 के लिए कांग्रेस का दलित कार्ड...मल्लिकार्जुन खड़गे होंगे प्रधानमंत्री पद का चेहरा! गांधी परिवार भी इसके लिए तैयार
By हरीश गुप्ता | Published: April 6, 2023 08:06 AM2023-04-06T08:06:17+5:302023-04-06T08:06:17+5:30
मल्लिकार्जुन खड़गे को पिछले साल गांधी परिवार ही कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में लेकर सामने आई उन्हें राज्यसभा में विपक्ष का नेता बने रहने की अनुमति भी दी. माना जा रहा है कि अगर खड़गे का नाम आगे बढ़ता है तो विपक्षी दलों के लिए उनका विरोध करना मुश्किल हो सकता है.
कांग्रेस का सुपर हाईकमान 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान दलित कार्ड खेलने पर विचार कर रहा है. तीन गांधी वाला सुपर हाईकमान (जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी शामिल हैं) मल्लिकार्जुन खड़गे को प्रधानमंत्री पद के संभावित चेहरे के रूप में देखता है. यह शायद इसी रणनीति का हिस्सा था कि खड़गे को सबसे पहले गांधी परिवार ने पिछले साल कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में लाया और उन्हें राज्यसभा में विपक्ष का नेता बने रहने की अनुमति भी दी.
खड़गे साधारण परिवार से आते हैं और एक मिलनसार व्यक्ति है. कांग्रेस के रणनीतिकारों का कहना है कि 90 के दशक तक दलित पार्टी की रीढ़ थे. धीरे-धीरे, दिवंगत कांशीराम के नेतृत्व वाली बसपा और क्षेत्रीय दलों ने चुनाव दर चुनाव कांग्रेस के दलित वोट बैंक को निगल लिया. चूंकि 2024 के लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए वाटरलू होंगे क्योंकि वह अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है, खड़गे इसके तारणहार बन सकते हैं.
गांधी परिवार को अदालतों में कई मामलों का सामना करना पड़ रहा है और भाजपा उनको निशाना बना रही है, इसलिए यह महसूस किया जा रहा है कि खड़गे कांग्रेस का सबसे अच्छा दांव होंगे. मौजूदा परिदृश्य में, कांग्रेस 2024 में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने की उम्मीद नहीं कर सकती है, जैसा कि 20 साल पहले 2004 में हुआ था. अगर गांधी परिवार दलित कार्ड खेलता है, तो विपक्षी दलों के लिए खड़गे का विरोध करना मुश्किल हो सकता है. वे वर्तमान राजनीतिक स्थिति को देखते हुए एकजुट करने वाली शक्ति के रूप में भी उभर सकते हैं.
बी.एल. संतोष को लेकर भाजपा में बेचैनी
भाजपा के सबसे शक्तिशाली महासचिव (संगठन) बी.एल. संतोष के बारे में सुना है? शायद न सुना हो. संगठन मंत्री से संगठन के लिए चुपचाप काम करने और देश भर में पार्टी को मजबूत करने के लिए रणनीति तैयार करने की अपेक्षा की जाती है. वह पार्टी अध्यक्ष के बाद दूसरे सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हैं. संगठन मंत्री आरएसएस और भाजपा के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी होता है और संगठनात्मक मामलों से संबंधित सभी निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
परंपरागत रूप से, एक पूर्णकालिक आरएसएस ‘प्रचारक’ को इस पद पर नियुक्त किया जाता है और वह प्रतिनियुक्ति पर काम करता है. संतोष को जुलाई 2019 में कर्नाटक से रामलाल की जगह दिल्ली लाया गया था, जो रिकॉर्ड 13 साल तक पद पर रहे थे, जो शायद भाजपा के इतिहास में सबसे लंबा है. रामलाल के अधीन चार संयुक्त महासचिवों (संगठन) में से संतोष एक थे. अन्य तीन संयुक्त महासचिव वी. सतीश, सौदान सिंह और शिव प्रकाश थे.
रामलाल के कार्यकाल को आरएसएस और भाजपा के बीच सुचारु समन्वय द्वारा चिह्नित किया गया था. उन्होंने प्रचार से किनारा कर रखा था और उनकी शांत कार्य शैली उनके दो पूर्ववर्तियों, संजय जोशी और के.एन. गोविंदाचार्य के कामकाज के ठीक विपरीत थी. जोशी को 2005 में पार्टी के भीतर उनके प्रतिद्वंद्वियों द्वारा एक आपत्तिजनक सीडी का हवाला देने के बाद समय से पहले हटा दिया गया था, जबकि गोविंदाचार्य को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के विरुद्ध उनकी कथित टिप्पणियों के बाद हटा दिया गया था.
भाजपा में सत्ता के गलियारों में फुसफुसाहट है कि बी.एल. संतोष की कार्यशैली से जबरदस्त बेचैनी है. भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इससे असहज बताया जा रहा है. चूंकि संतोष कर्नाटक से हैं और समझा जाता है कि उन्हें बी.एस. येदियुरप्पा के विरोधियों ने आगे बढ़ाया है, इसलिए गुटबाजी से ग्रस्त पार्टी को राज्य की सत्ता बरकरार रखना कठिन कार्य लग रहा है.
शराब घोटाला : केजरीवाल के खिलाफ सबूत नहीं
खबर है कि सीबीआई ने बड़ी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अमित अरोड़ा को दिल्ली शराब घोटाले में इकबालिया गवाह बनाने का फैसला किया है. इससे पहले एजेंसियां दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के भरोसेमंद सिपहसालार मनीष सिसोदिया को सरकारी गवाह बनाने की योजना बना रही थीं. लेकिन रिकॉर्ड पर दस्तावेजों की बारीकी से जांच और अभियुक्तों की गहन पूछताछ के बाद यह तय किया गया कि अमित अरोड़ा एक सुरक्षित दांव होंगे.
चूंकि शराब घोटाले में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कोई दस्तावेजी सबूत नहीं हैं और उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता है इसलिए सिसोदिया को सरकारी गवाह बनाने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा. बल्कि सिसोदिया को आरोपी बनाकर घोटाले के पोस्टर ब्वॉय के तौर पर पेश किया जाएगा. सिसोदिया के सबसे भरोसेमंद निजी सचिव ने एक दस्तावेज सौंपा था जिसमें सिसोदिया ने नई शराब नीति को हरी झंडी दी थी. इसलिए उनके नंबर 2 को पकड़ना बेहतर होगा.
इस घटनाक्रम के चलते अमित अरोड़ा को इकबालिया गवाह बनाया जाएगा और सिसोदिया के निजी सचिव को अभियोजन पक्ष का गवाह बनाया जाएगा. दिलचस्प बात यह है कि हाल ही में जब अमित अरोड़ा ने अपने 15 दिन के पैरोल की अवधि बढ़ाने की मांग की तो अभियोजन पक्ष ने अदालत में इसका विरोध नहीं किया. सीबीआई मामले में अलग से पूरक आरोपपत्र दाखिल करने पर विचार कर रही है. अरोड़ा दो महीने से अधिक समय से पैरोल पर हैं, जबकि अन्य सभी आरोपी बिना किसी राहत के जेल में हैं.
मीडिया को मोदी का सुझाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में सुझाव दिया कि मीडिया घरानों को ‘बैलेंसिंग एक्ट’ (संतुलनकारी तरीका) छोड़ देना चाहिए और भारत की निखरती छवि का लाभ उठाना चाहिए. पीएम ने उन्हें वैश्विक बनने के लिए प्रेरित किया. हालांकि उन्होंने ‘बैलेंसिंग एक्ट’ से क्या मतलब है, इसका विस्तार से वर्णन नहीं किया.
सूत्रों का कहना है कि वह प्रमुख मीडिया घरानों को अप्रत्यक्ष रूप से विपक्ष को भी खुश रखने के बजाय भारत की बेहतरी में शामिल होने के लिए एक रास्ता चुनने को प्रेरित कर रहे थे. वे चाहते थे कि वह विश्व स्तर पर अपने नेटवर्क का विस्तार करें. प्रधानमंत्री चाहते हैं कि भारतीय मीडिया घराने वैश्विक हों. अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री अपनी सरकार के खिलाफ पश्चिमी मीडिया द्वारा लगातार की जा रही आलोचनाओं से अप्रसन्न हैं और उन्हें उन्हीं की भाषा में जवाब देना चाहते हैं.