ब्लॉग: यूपीएससी परीक्षा में दिखने लगी है हिंदी की बढ़ती ताकत
By आरके सिन्हा | Published: May 26, 2023 02:37 PM2023-05-26T14:37:12+5:302023-05-26T14:38:46+5:30
ऐसा कहा जाने लगा था कि हिंदी माध्यम से देश की इस सबसे खास परीक्षा को उत्तीर्ण करना लगभग असंभव है. लेकिन साल 2022 के परिणाम बेहतर भविष्य की उम्मीद पैदा कर रहे हैं.

ब्लॉग: यूपीएससी परीक्षा में दिखने लगी है हिंदी की बढ़ती ताकत
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की साल 2022 की परीक्षा के नतीजों का गहराई से विश्लेषण हो रहा है. यह हर साल होता ही है नतीजे आने के बाद. पर इस तरफ कोई चर्चा नहीं हो रही कि इस बार सफल हुए अभ्यर्थियों में हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वालों का आंकड़ा शानदार रहा है. यह पिछले 20-25 वर्षों का सर्वश्रेष्ठ परिणाम है. इस बार हिंदी माध्यम से कुल 54 उम्मीदवारों का चयन हुआ है, जिनमें रैंक - 66, 85, 89, 105 और 120 प्रमुख हैं.
यूपीएससी द्वारा आयोजित इस परीक्षा में हिंदी माध्यम के विद्यार्थी पिछले कुछ सालों से लगातार अपेक्षित नतीजे नहीं दे पा रहे थे. चाहे बात चयनित विद्यार्थियों की हो या टॉप रैंक की, हिंदी माध्यम हमेशा से संघर्ष करता रहा है. इसलिए कहा जाने लगा था कि हिंदी माध्यम से देश की इस सबसे खास परीक्षा को उत्तीर्ण करना लगभग असंभव है. लेकिन साल 2022 के परिणाम बेहतर भविष्य की उम्मीद पैदा कर रहे हैं.
पिछले साल आए 2021 के परिणाम में हिंदी माध्यम वाले 24 उम्मीदवार सफल हुए थे. यानी हिंदी का ग्राफ धीरे-धीरे सुधर रहा है. हिंदी माध्यम की टॉपर 66वीं रैंक हासिल करने वाली कृतिका मिश्रा कानपुर की रहने वाली हैं. दिव्या तंवर ने इस बार 105वीं रैंक हासिल की है. 2021 बैच में भी दिव्या ने 438वीं रैंक हासिल की थी और सबसे कम उम्र (22 साल) की आईपीएस चुनी गई थीं. अब वह आईएएस हो गई हैं.
दरअसल इस बार के नतीजों में सबसे खास बात यह है कि हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वाले 54 उम्मीदवारों में से 29 ने वैकल्पिक विषय के रूप में हिंदी साहित्य लेकर यह कामयाबी हासिल की है. पांच-पांच उम्मीदवार ऐसे भी सफल हुए जिन्होंने इतिहास, भूगोल व राजनीति विज्ञान विषय लिया था. दो छात्रों ने गणित विषय लेकर हिंदी माध्यम से सफलता हासिल की, जिनमें से एक ने 120वीं रैंक हासिल की है.
अगर बात पिछले साल की जारी रखें तो राजस्थान के रवि कुमार सिहाग 18वीं रैंक के साथ हिंदी मीडियम से परीक्षा देने वालों में टॉपर बने थे. सात साल के बाद हिंदी माध्यम का कोई छात्र यूपीएससी पास करने वाले शीर्ष 25 उम्मीदवारों में जगह बना पाया था. इससे पहले सिविल सेवा की 2014 की परीक्षा में निशांत कुमार जैन 13वें स्थान पर रहे थे.
भारत के पूर्व विदेश सचिव शशांक संभवत: देश के हिंदी माध्यम से यूपीएससी की परीक्षा को क्लीयर करने वाले पहले उम्मीदवार थे. वे भारत के बहुत सफल विदेश सचिव के रूप में याद किए जाते हैं. इसी तरह से दिल्ली पुलिस के आला अफसर अजय चौधरी ने भी हिंदी को यूपीएससी में परीक्षा देने का माध्यम बनाया था. वे दिल्ली पुलिस के धाकड़ अधिकारी रहे हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि इस साल के परिणामों से हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों का मनोबल और बढ़ेगा.