घुसपैठियों और मतदाता सूची का बढ़ता विवाद
By शशिधर खान | Updated: September 4, 2025 07:46 IST2025-09-04T07:46:37+5:302025-09-04T07:46:40+5:30
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की सुप्रीम कोर्ट पीठ ने 29 अगस्त को केंद्र सरकार से कहा कि स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रक्रिया (एसओपी) अधिसूचना को स्पष्ट करें

घुसपैठियों और मतदाता सूची का बढ़ता विवाद
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने फिर दुहराया है कि असम के साथ पूरे देश को अवैध विदेशी घुसपैठियों से मुक्त कराने का वादा निभाएंगे. गुवाहाटी में एक कार्यक्रम को संबांधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमने असम से ही यह वादा किया था, जिसे 10 साल में पूरा नहीं कर पाए, लेकिन वादा निभाएंगे. अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस भाषण में घोषित केंद्र का उच्चस्तरीय जनसांख्यिकी मिशन घुसपैठियों की पहचान की दिशा में एक निर्णायक कदम है.
केंद्रीय गृह मंत्री उस समय यह बात कर रहे थे, जब सुप्रीम कोर्ट घुसपैठियों को निकाल बाहर करने के आधार और बांग्ला भाषा को इसका जरिया बनाने के आरोपों पर केंद्र सरकार से जवाब-तलब कर रहा था. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की सुप्रीम कोर्ट पीठ ने 29 अगस्त को केंद्र सरकार से कहा कि स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रक्रिया (एसओपी) अधिसूचना को स्पष्ट करें, जिसमें अधिकारियों को अवैध आप्रवासियों की देशव्यापी पहचान अभियान चलाने और उन्हें निकाल बाहर करने को अधिकृत किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट पीठ ने केंद्र से इन आरोपों पर भी जवाब मांगा कि बांग्ला-भाषी अल्पसंख्यकों को लक्ष्य करके यह अभियान चलाया जा रहा है. 29 अगस्त को ही अमित शाह असम के मतदाताओं से अपना वादा याद दिला रहे थे. उसी दिन चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत ‘संदिग्ध नागरिकता’ को लेकर लगभग 3 लाख मतदाताओं को नोटिस जारी किया गया है.
चुनाव अधिकारियों के अनुसार जिन लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं, उनके बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और यहां तक कि अफगानिस्तान से भी आने का संदेह है. ये मतदाता पश्चिम बंगाल और नेपाल की सीमा से सटे पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मधुबनी, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, अररिया, सुपौल के हैं. उनमें ज्यादातर बांग्लाभाषी अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हैं.
किशनगंज जिले से रिपोर्ट है कि नेपाल से आई बहुओं का नाम मतदाता सूची में नहीं जुड़ रहा है. बांग्लाभाषी अल्पसंख्यकों को लक्ष्य करके एसओपी अभियान चलाने का केंद्र सरकार पर आरोप पश्चिम बंगाल से निकलकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है और सबसे ज्यादा इसको लेकर विवाद पश्चिम बंगाल में ही तूल पकड़ रहा है.