ब्लॉग: गोवा का एक रूप ये भी...कभी सनातन संस्कृति की महान और प्रेरक विरासत समेटे हुई थी ये जगह

By विष्णु गुप्त | Published: March 23, 2023 12:35 PM2023-03-23T12:35:58+5:302023-03-23T14:28:41+5:30

गोवा मुक्ति आंदोलन के स्वतंत्रता सेनानियों की संघर्ष गाथाओं को समेटे हुए है. यहां के पौराणिक और ऐतिहासिक मंदिरों की छटा भी निराली है. गोवा कभी सनातन संस्कृति की महान और प्रेरक धरोहर व विरासत था. लेकिन आज ये छवि बदल गई है.

Goa, Once this place was covered with great and inspiring heritage of Sanatan culture | ब्लॉग: गोवा का एक रूप ये भी...कभी सनातन संस्कृति की महान और प्रेरक विरासत समेटे हुई थी ये जगह

ब्लॉग: गोवा का एक रूप ये भी...कभी सनातन संस्कृति की महान और प्रेरक विरासत समेटे हुई थी ये जगह

गोवा के प्रति वर्तमान आकर्षण क्या है? गोवा लोग क्यों जाते हैं? क्या गोवा के पुर्तगाली शासनकाल के प्रतीक चिह्नों और विरासत को देखने लोग जाते हैं? क्या गोवा मुक्ति आंदोलन के स्वतंत्रता सेनानियों की संघर्ष गाथाओं को लोग जानने जाते हैं? इन प्रश्नों का उत्तर नकारात्मक ही है. आज गोवा जाने वाले लोगों का गोवा के इतिहास और बलिदान तथा प्रेरक विरासत से कोई लेना-देना नहीं होता है. फिर गोवा लोग क्यों जाते हैं? 

समुद्र की अतुलनीय छटा तो एक बहाना मात्र होता है. गोवा का वर्तमान रूप भौतिकवादी है, महिला के शरीर को सिर्फ उपभोग की वस्तु समझने का है. खुलापन और सर्वसुलभ इच्छाओं के संसाधनों की उपलब्धता सहज और सर्वमान्य हो गया है.

राममनोहर लोहिया ने गोवा मुक्ति आंदोलन शुरू किया था. पुर्तगाली जेल में लोहिया डाल दिए गए. राजाभाऊ महाकाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक थे, जिन्होंने गोवा मुक्ति के लिए महाकाल की नगरी उज्जैन से एक जत्था लेकर 14 मार्च 1955 को गोवा मार्च किया था. राजाभाऊ के गोवा मुक्ति आंदोलन के मार्च में चार सौ से ज्यादा सत्याग्रही थे. मैंने उन स्थलों पर जाकर वर्तमान देखा जहां पर लोहिया और राजाभाऊ जैसे स्वतंत्रता सेनानी अपनी सभाएं कर पुर्तगाली दासता के खिलाफ जनता को वीरता दिखाने के लिए प्रेरित करते थे. 

आज के गोवा की जनता में गोवा मुक्ति आंदोलन के जनक राममनोहर लोहिया और राजाभाऊ तथा मोहन रानाडे जैसे बलिदानियों की कोई प्रेरक जानकारियां नहीं हैं. मैंने अगौड़ा का किला भी देखा जिसका पुर्तगाली शासक गोवा की जनता की वीरता को कुचलने के लिए प्रयोग करते थे. पौराणिक और ऐतिहासिक मंदिरों की छटा निराली है. 
मारुति, श्रीकामाक्षी और रामनाथ जैसे मंदिरों की भव्यता और मान्यताएं गहरी हैं. 

कभी गोवा सनातन संस्कृति की महान और प्रेरक धरोहर व विरासत था. पुर्तगालियों ने सनातन संस्कृति के विध्वंस और विनाश के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी थी. हमें गोवा को भौतिक कुरीतियों का प्रतीक नहीं बल्कि पौराणिक विरासत का प्रतीक बनाना चाहिए. इसके लिए अनिवार्य शर्त गोवा मुक्ति आंदोलन के प्रतीकों को जीवंत रखना है.

Web Title: Goa, Once this place was covered with great and inspiring heritage of Sanatan culture

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे