ब्लॉग: भारतीय लोकतंत्र की मजबूती के लिए धर्म और तुष्टीकरण की राजनीति से बचना जरूरी

By शक्तिनन्दन भारती | Published: November 3, 2021 02:18 PM2021-11-03T14:18:52+5:302021-11-03T14:21:14+5:30

धार्मिक तुष्टीकरण की राजनीति करना तथा नृजातीय हिंसा को किसी भी रूप में समर्थन देना भारतीय लोकतंत्र और भारतीय संविधान दोनों के ही विपरीत है।

For strength of Indian democracy, necessary to avoid the politics of religion and appeasement | ब्लॉग: भारतीय लोकतंत्र की मजबूती के लिए धर्म और तुष्टीकरण की राजनीति से बचना जरूरी

धर्म और तुष्टीकरण की राजनीति से बचना जरूरी

भारतीय संविधान राज्य को धर्मनिरपेक्षता के लिए आदेशित करता है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है इसका तात्पर्य है कि भारत का कोई राष्ट्र धर्म नहीं है तथा यहां के निवासियों के धर्म और विश्वास से भारत को कोई लेना देना नहीं है सिवाय इस बात की कि यहां के निवासियों के धर्म और उनके विश्वास में बिना किसी हस्तक्षेप के उनकी स्वतंत्रता का भी पूरा ध्यान रखा जाए।

नृजातीय हिंसा के पीछे प्रमुख कारणों में धर्म मूल वंश जाति तथा क्षेत्रीयता के आधार पर विभेद की भावना के कारण उत्पन्न अविश्वास की स्थिति है जिसमें एक नृजातीय समूह दूसरे नृजातीय समूह के प्रति हिंसक हो उठता है।

राज्य में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार जब अपने राजनीतिक लाभ के लिए धर्म विशेष को लाभ पहुंचाने की चेष्टा करती हैं तो यह धर्म की राजनीति कहलाता है जो संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है। संक्षेप में इसे धर्म तुष्टिकरण की राजनीति भी कहा जाता है, यही स्थिति नृजातीय हिंसा के पीछे भी कमोबेश कारण बनती है। 
जब लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार क्षेत्र विशेष के नृजातीय समूह को दूसरे क्षेत्र विशेष के नृजातीय समूहों के प्रति गलत भावना भरती हैं तथा तुष्टिकरण की राजनीति प्रारंभ कर देती हैं।

हम कह सकते हैं कि धर्म की राजनीति करना धर्मनिरपेक्षता के विपरीत है तथा नृजातीय हिंसा की वकालत करना धर्मनिरपेक्षकरण के विपरीत है। धर्मनिरपेक्षता जो हमारे देश का मूल संवैधानिक तत्व है तथा भारतीयता का स्वभाव भी है के विपरीत जाकर धार्मिक तुष्टीकरण की राजनीति करना तथा नृजातीय हिंसा को किसी भी रूप में समर्थन देना भारतीय लोकतंत्र और भारतीय संविधान दोनों के ही विपरीत है।

धर्म और नृजातीय हिंसा की राजनीति भारत की एकता और अखंडता दोनों के लिए बहुत बड़ा खतरा है। धर्म और नृजातीय हिंसा की राजनीति हमारे विविधता में एकता वाले मूल स्वभाव को नष्ट करती है। धर्मनिरपेक्षीकरण एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से हम धर्मनिरपेक्षता की संवैधानिक स्थिति को उपलब्ध हो सकते हैं तथा इससे भारत के समस्त नागरिक भारत को एक सशक्त तथा अखंड भारत के रूप में देख सकते हैं। 

धर्मनिरपेक्षीकरण के कारण धर्मनिरपेक्षता जो हमारा संवैधानिक मूल्य है, भारत का सामाजिक सांस्कृतिक मूल्य बन जाएगा तथा इससे भारतीय लोकतंत्र और सुदृढ़ हो जाएगा।

Web Title: For strength of Indian democracy, necessary to avoid the politics of religion and appeasement

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