किसान आंदोलन और टीवी बहस का नया युग, पीयूष पांडे का ब्लॉग

By पीयूष पाण्डेय | Updated: December 12, 2020 17:25 IST2020-12-12T17:22:49+5:302020-12-12T17:25:06+5:30

न्यूज चैनलों के गिरते स्तर का रोना रोते हुए भारतीय दर्शक बहस कार्यक्रमों का आनंद लेते हैं. बहस कार्यक्रम में किसान छाए हुए हैं.

farmer protest delhi chalo haryana punjab  TV Debate Piyush Pandey's blog | किसान आंदोलन और टीवी बहस का नया युग, पीयूष पांडे का ब्लॉग

टीवी बहस का नया युग हमारी अपेक्षाओं से अधिक रोमांचकारी होगा. (file photo)

Highlightsअखाड़े में रोजाना शाम एक कुश्ती होगी.बहस सिर्फ गाली-गलौज या कुश्ती पर निर्भर रही तो चाव खत्म हो सकता है.

जिस तरह मनुष्य को जीने के लिए सांसों की आवश्यकता पड़ती है, समाचार चैनलों को टीआरपी रूपी सांसों के लिए बहस कार्यक्रमों की जरूरत होती है.

इन बहस कार्यक्रमों की सबसे मजेदार बात यह है कि इनमें बहस के अतिरिक्त सब होता है. चीख-चिल्लाहट, गाली-गलौज, यदा-कदा थप्पड़बाजी और ब्रेक. जिस तरह लोग भ्रष्टाचार विरोधी होते हुए भी मौका पड़ने पर रिश्वत लेने-देने में नहीं हिचकते, उसी तरह न्यूज चैनलों के गिरते स्तर का रोना रोते हुए भारतीय दर्शक बहस कार्यक्रमों का आनंद लेते हैं.  

इन दिनों बहस कार्यक्रम में किसान छाए हुए हैं. लेकिन, आंदोलन जारी रहने के बीच अब न एंकर, न मेहमान, न प्रोड्यूसर और न दर्शक, किसी को समझ नहीं आ रहा कि रोज-रोज बहस करें तो करें क्या? सारे सवाल दर्जनों बार पूछे जा चुके हैं. उधर, आंदोलनकारी किसान परेशान हैं कि रोज-रोज टीवी वाले एक जैसे सवाल करते हैं.

मैंने एक टीआरपी एक्सपर्ट से पूछा कि बहस में एकरूपता आ रही है, क्या किया जाना चाहिए? एक्सपर्ट ने कहा- ‘‘बहुत आसान है. किसान आंदोलन के बीच भूतों की एंट्री कराई जाए. राखी सावंतजी भी आ जाएं तो मामला और दिलचस्प हो सकता है. बॉक्सिंग रिंग में सरकार व किसान के प्रतिनिधि आपस में लाइव लड़ें तो मामला जम सकता है. होने को बहुत कुछ हो सकता है, लेकिन कोई नया सोच नहीं रहा.’’  

मुझे टीवी बहस का आधुनिक युग बेहद संभावनाशील दिख रहा है. मसलन आने वाले दिनों में बहस में आने वाले सभी मेहमानों, प्रवक्ताओं और एंकरों के लिए हिंदी-अंग्रेजी गालियों का सर्टिफाइड कोर्स अनिवार्य होगा ताकि कोई इस मामले में कमतर न दिखाई पड़े. कुछ दिन बाद न्यूज चैनलों के स्टूडियो में एक स्थायी सेट अखाड़े का लगेगा.

अखाड़े में रोजाना शाम एक कुश्ती होगी. एंकर भी पहलवान प्रवक्ताओं के बीच रेफरी की भूमिका निभाएगा, इसलिए चैनल में नौकरी आरंभ करने के शुरुआती दो हफ्ते उसे अखाड़े में दांव-पेंच सीखने भेजा जाएगा. बहस सिर्फ गाली-गलौज या कुश्ती पर निर्भर रही तो चाव खत्म हो सकता है.

इसे और अधिक रोमांचक बनाने के लिए राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय का क्रैश कोर्स आरंभ होगा, जिसमें चैनल के एंकर, पार्टी प्रवक्ता और संभावित मेहमान प्रशिक्षण लिया करेंगे. आश्वस्त हूं कि टीवी बहस का नया युग हमारी अपेक्षाओं से अधिक रोमांचकारी होगा.

Web Title: farmer protest delhi chalo haryana punjab  TV Debate Piyush Pandey's blog

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