ब्लॉग: जीवन के हर क्षेत्र में इतिहास रच रही हैं महिलाएं
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: May 25, 2024 10:25 AM2024-05-25T10:25:43+5:302024-05-25T10:29:52+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2020 में अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान कहा था कि काम्या कार्तिकेयन सभी के लिए प्रेरणाास्रोत हैं। काम्या प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित की जा चुकी हैं, जो बच्चों को उनकी असाधारण उपलब्धि के लिए दिया जाता है।
दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट को मात्र 16 साल की उम्र में फतह करके काम्या कार्तिकेयन ने एक नया इतिहास रच दिया है। यह सफलता हासिल करने वाली वे दुनिया की दूसरी सबसे कम उम्र की लड़की और पहली भारतीय पर्वतारोही बन गई हैं। अपने पिता एवं भारतीय नौसेना के कमांडर एस। कार्तिकेयन के साथ एवरेस्ट की चोटी को फतह करने वाली काम्या का लक्ष्य अब इस दिसंबर में अंटार्कटिका में माउंट विंसन मैसिफ पर चढ़ने का है, ताकि वह '7 समिट्स चैलेंज' को पूरा करने वाली सबसे कम उम्र की लड़की बन सकें। काम्या प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित की जा चुकी हैं, जो बच्चों को उनकी असाधारण उपलब्धि के लिए दिया जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2020 में अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान कहा था कि काम्या कार्तिकेयन सभी के लिए प्रेरणाास्रोत हैं। उधर बिहार के मुजफ्फरपुर की महज 17 साल की जाह्नवी को हाल ही में बुसान यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज साउथ कोरिया ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा है। जाह्नवी को ये उपाधि समाजसेवा के क्षेत्र में मिली है। जाह्नवी को संयुक्त राष्ट्र फाउंडेशन ने भी लगातार तीन बार अवार्ड दिया है। वस्तुत: लड़कियां जिस तरह से जीवन के हर क्षेत्र में अपनी सफलता के झंडे गाड़ती जा रही हैं, वह उनकी अदम्य जिजीविषा का परिचायक है और साबित करता है कि अगर मौका मिले तो पुरुष प्रधान समाज को दिखा सकती हैं कि लड़कों से वे किसी भी मामले में कम नहीं हैं।
दसवीं-बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं से लेकर आईएएस जैसी परीक्षाओं तक के रिजल्ट में आज लड़कियों के ही अव्वल आने की खबरें सामने आती हैं। संघ लोक सेवा आयोग ने यूपीएससी सिविल सर्विस एग्जाम 2022 का रिजल्ट 2023 में जारी किया था, जिसमें इशिता किशोर ने टॉप किया। डॉ. ऋतु करिधल श्रीवास्तव भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की एक वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं, जो चंद्रयान-3 मिशन की प्रमुख थीं। बिजनेस के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अपनी छाप छोड़ने वालों में इंद्रा नूई, किरण मजूमदार, वंदना लूथरा, राधिका अग्रवाल, फाल्गुनी नायर, रोशनी नादर जैसे नाम किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।
जनजातीय समुदाय से संबंधित द्रौपदी मुर्मु आज देश की राष्ट्रपति हैं। कहने का मतलब यह है कि आज जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां महिलाएं अपनी प्रतिभा का लोहा न मनवा रही हों। विडंबना लेकिन यह है कि इसके बावजूद महिलाओं को दोयम दर्जे का मानने की प्रवृत्ति समाज से पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है, जिसकी झलक महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों में दिखाई दे जाती है। पाशविक बल में महिलाएं भले ही पुरुषों से आगे न बढ़ पाई हों, लेकिन सृजनात्मक कार्यों में वे निश्चित रूप से पुरुषों से बहुत आगे हैं और इस सच्चाई को स्वीकार करके ही हम समाज के लिए उनकी प्रतिभा का पूरा लाभ उठा सकते हैं।