जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: आजादी के 76 वर्षों का गौरवपूर्ण है आर्थिक अध्याय

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: August 15, 2023 10:09 AM2023-08-15T10:09:42+5:302023-08-15T10:11:07+5:30

जहां 76 वर्ष पहले आजादी के समय दुनिया में भारत को सांप-संपेरों के देश की पिछड़ी हुई अर्थव्यवस्था के रूप में पहचाना जाता था, वहीं आजादी के बाद 76 वर्षों में भारत ने आर्थिक क्षेत्र के विभिन्न मोर्चों पर कदम-कदम आगे बढ़कर विकास के इतिहास रच दिए हैं. 

Economic chapter is proud of 76 years of independence | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: आजादी के 76 वर्षों का गौरवपूर्ण है आर्थिक अध्याय

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Highlights15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ तब देश का आर्थिक परिदृश्य निराशाजनक स्थिति में था.अंग्रेजों द्वारा किए गए आर्थिक शोषण से देश बुरी तरह से आर्थिक रूप से ध्वस्त हो गया था.बीते 76 साल में भारत की जीडीपी में लंबी अवधि के दौरान अच्छी बढ़त का रुख रहा है.

15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ तब देश का आर्थिक परिदृश्य निराशाजनक स्थिति में था. अंग्रेजों द्वारा किए गए आर्थिक शोषण से देश बुरी तरह से आर्थिक रूप से ध्वस्त हो गया था. जहां 76 वर्ष पहले आजादी के समय दुनिया में भारत को सांप-संपेरों के देश की पिछड़ी हुई अर्थव्यवस्था के रूप में पहचाना जाता था, वहीं आजादी के बाद 76 वर्षों में भारत ने आर्थिक क्षेत्र के विभिन्न मोर्चों पर कदम-कदम आगे बढ़कर विकास के इतिहास रच दिए हैं. 

आज दुनिया के विकसित और विकासशील देशों का कोई भी समूह, चाहे वह समूह जी-7 हो जी-20 हो या अन्य कोई भी हो, उन सभी वैश्विक संगठनों का मंच भारत के बिना अधूरा माना जाता है. आजादी के समय जिस भारत की अर्थव्यवस्था दयनीय स्थिति में थी, वही भारत इस समय दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का मुकुट पहनकर अब 2027 तक दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है.

वर्ष 1947 में जब भारत आजाद हुआ था तो देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) सिर्फ 2.7 लाख करोड़ रुपए था और जनसंख्या 34 करोड़ थी. वर्ष 2022-23 में भारत की जीडीपी 272 लाख करोड़ रुपए के करीब है और 1.42 अरब जनसंख्या के साथ भारत दुनिया की सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है. बीते 76 साल में भारत की जीडीपी में लंबी अवधि के दौरान अच्छी बढ़त का रुख रहा है. 

लेकिन तीन मौके ऐसे आए हैं जब अर्थव्यवस्था की विकास दर शून्य से नीचे रही है- पहली बार 1965 के दौरान, दूसरी बार 1979 के दौरान और तीसरी बार 2020 में कोरोना महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था में गिरावट देखने को मिली. इसमें कोई दो मत नहीं है कि सरकार के द्वारा अपनाई गई आर्थिक और वित्तीय रणनीति से अर्थव्यवस्था चुनौतियों को पार करते हुए तेजी से आगे बढ़ी है. 

पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में देश की विकास दर अनुमानों से अधिक 7.2 फीसदी रही है. दुनियाभर के वित्तीय संगठनों और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के द्वारा वर्ष 2023-24 में भारत की विकास दर के 6 से 6.5 फीसदी रहने की उम्मीदें प्रस्तुत की जा रही हैं. जब देश आजाद हुआ था उस समय देश की करीब 70 प्रतिशत जनसंख्या बेहद गरीबी में जी रही थी. 

लेकिन देश में पंचवर्षीय योजनाओं और विभिन्न गरीबी उन्मूलन योजनाओं से देश के गरीबों का लगातार उत्थान होता गया और लोग गरीबी के दुष्चक्र से बाहर आने लगे. गौरतलब है कि नीति आयोग के द्वारा जारी राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में बहुआयामी गरीब लोगों की हिस्सेदारी वर्ष 2015-16 के 24.85 फीसदी से घटकर वर्ष 2019-21 में 14.96 फीसदी हो गई है.

Web Title: Economic chapter is proud of 76 years of independence

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