धरती के थरथराने का तेज होता सिलसिला, अनिल जैन का ब्लॉग

By अनिल जैन | Published: February 15, 2021 11:34 AM2021-02-15T11:34:12+5:302021-02-26T15:36:13+5:30

ताजिकिस्तान में शक्तिशाली भूकंप आया, जिसके झटके दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र समेत उत्तर भारत के अनेक हिस्सों में महसूस किए गए. उत्तर भारत में लगातार झटके महसूस हो रहा है.

Earthquake Delhi-NCR north india east pace of the earth's tremor is increasing Anil Jain's blog  | धरती के थरथराने का तेज होता सिलसिला, अनिल जैन का ब्लॉग

जोन-5 को सबसे ज्यादा संवेदनशील माना जाता है. (file photo)

Highlightsराष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) ने बताया कि भूकंप की तीव्रता 6.3 मापी गई थी.भूकंप का केंद्र ताजिकिस्तान था, शुरुआती जांच में पता चला था कि केंद्र अमृतसर था.भूकंप की अधिक तीव्रता के लिहाज से देश को चार अलग-अलग जोन में बांट रखा है.

उत्तर भारत और पूर्वोत्तर के इलाके में भूकंप यानी धरती के डोलने-थरथराने का सिलसिला नया नहीं है. लेकिन पिछले कुछ समय से यह सिलसिला बेहद तेज हो गया है.

इस इलाके के किसी-न-किसी हिस्से में आए दिन भूकंप के झटके लग रहे हैं. पिछले साल मई और जून के महीने में कुल 14 मर्तबा भूकंप के झटकों ने दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एनसीआर के साथ ही हरियाणा और पंजाब के एक बड़े हिस्से को भयाक्रांत किया था.

समूचा उत्तर भारत कांप उठा

हालांकि उन सभी झटकों की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 2.0 से 4.5 तक थी, लेकिन इस बार 12 फरवरी की रात 6.3 की तीव्रता वाले भूकंप के झटकों से दिल्ली-एनसीआर समेत समूचा उत्तर भारत कांप उठा. भूकंप के ये झटके रात 10 बजकर 34 मिनट पर दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर समेत समूचे उत्तर भारत में महसूस किए गए.

हालांकि भूकंप से किसी भी तरह के जान-माल का नुकसान नहीं हुआ लेकिन झटके इतने तेज थे कि घबराकर कई इलाकों में लोग घरों से बाहर निकल आए. भूकंप का केंद्र ताजिकिस्तान में था जो जमीन से 74 किलोमीटर नीचे था. भूकंप के झटके सिर्फ भारत में नहीं बल्कि पड़ोसी देशों पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भी महसूस किए गए.

दिल्ली को हमेशा ही संवेदनशील इलाका माना जाता है

उल्लेखनीय है कि भूकंप के लिहाज से दिल्ली को हमेशा ही संवेदनशील इलाका माना जाता है. भू-वैज्ञानिकों ने भूकंप की अधिक तीव्रता के लिहाज से देश को चार अलग-अलग जोन में बांट रखा है. मैक्रो सेस्मिक जोनिंग मैपिंग के अनुसार, इसमें जोन-5 से जोन-2 तक शामिल हैं.  

जोन-5 को सबसे ज्यादा संवेदनशील माना जाता है. उत्तर-पूर्व के सभी राज्य, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से तथा गुजरात का कच्छ इलाका जोन-5 में आते हैं. भूकंप के लिहाज से ये सबसे खतरनाक जोन है. इसी तरह जोन-2 सबसे कम संवेदनशील माना जाता है. इसमें तमिलनाडु, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और हरियाणा का कुछ हिस्सा आता है.

7.9 की तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है

यहां भूकंप आने की संभावना बनी रहती है. जोन-3 में केरल, बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र, पश्चिमी राजस्थान, पूर्वी गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश का कुछ हिस्सा आता है. इस जोन में भूकंप के झटके आते रहते हैं. जोन-4 में वे इलाके आते हैं, जहां रिक्टर स्केल पर 7.9 की तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है.

इस जोन में मुंबई, दिल्ली जैसे महानगर, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी गुजरात, उत्तराखंड के कम ऊंचाई वाले हिस्सों से लेकर उत्तर प्रदेश के पहाड़ी इलाके और बिहार-नेपाल सीमा के इलाके शामिल हैं. यहां भूकंप का खतरा लगातार बना रहता है और रुक-रुक कर भूकंप आते रहते हैं.

हर साल लगभग पांच लाख भूकंप आते हैं

भू-गर्भशास्त्रियों के मुताबिक, धरती की गहराइयों में स्थित प्लेटों के आपस में टकराने से धरती में कंपन पैदा होता है. इस कंपन या कुदरती हलचल का सिलसिला लगातार चलता रहता है. वैज्ञानिकों ने भूकंप नापने के आधुनिक उपकरणों के जरिए यह भी पता लगा लिया है कि हर साल लगभग पांच लाख भूकंप आते हैं यानी करीब हर एक मिनट में एक भूकंप.

 इन पांच लाख भूकंपों में से लगभग एक लाख ऐसे होते हैं, जो धरती के अलग-अलग भागों में महसूस किए जाते हैं. राहत की बात यही है कि ज्यादातर भूकंप हानिरहित होते हैं.  भूकंप जैसी कुदरती आफत के सामने हम बिल्कुल असहाय हैं. लेकिन मानव मस्तिष्क इतना जरूर कर सकता है कि जब भी इस तरह का कोई कहर टूटे तो हमें कम-से-कम नुकसान हो. इस सिलसिले में हम जापान जैसे देशों से सीख ले सकते हैं जिनके यहां भूकंप बार-बार अप्रिय अतिथि की तरह आ धमकता है. 

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