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ब्लॉग: जलवायु परिवर्तन के कारण जुलाई में दुनिया ने झेली भीषण गर्मी

By निशांत | Updated: August 3, 2023 14:44 IST

लगभग 2 अरब लोगों ने जुलाई के 31 दिनों में से प्रत्येक दिन जलवायु परिवर्तन का बहुत तीव्र प्रभाव महसूस किया जो समस्या की भयावहता को उजागर करता है.

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एक के बाद एक वैज्ञानिक सबूत हमारे सामने आते जा रहे हैं जो साफ कर रहे हैं कि बीती जुलाई मानव इतिहास या उससे पहले के कालखंड की भी सबसे अधिक गर्म जुलाई थी. इस बार क्लाइमेट सेंट्रल द्वारा जारी एक अभूतपूर्व रिपोर्ट में यह पुष्टि की गई है कि जुलाई 2023 ने पृथ्वी के अब तक के सबसे गर्म महीने का खिताब हासिल किया है. मानव-जनित जलवायु परिवर्तन ने दुनिया भर में तापमान में अभूतपूर्व वृद्धि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.  

एक बेहद ताकतवर एट्रिब्यूशन टूल, क्लाइमेट शिफ्ट इंडेक्स (सीएसआई) का उपयोग करते हुए क्लाइमेट सेंट्रल के इस विश्लेषण से चौंकाने वाले आंकड़ों का पता चलता है. इसकी मानें तो दुनिया के 6.5 अरब से अधिक लोगों (वैश्विक आबादी का 81%) ने जुलाई में कम से कम एक दिन ऐसे तापमान का अनुभव किया जिसके उस स्तर तक होने की संभावना जलवायु कारणों से तीन गुना थी.  

यह निष्कर्ष हमारे दैनिक जीवन पर जलवायु परिवर्तन के व्यापक प्रभाव की एक गंभीर तस्वीर पेश करते हैं. लगभग 2 अरब लोगों ने जुलाई के 31 दिनों में से प्रत्येक दिन जलवायु परिवर्तन का बहुत तीव्र प्रभाव महसूस किया जो समस्या की भयावहता को उजागर करता है. 10 जुलाई, 2023 को अत्यधिक गर्मी का वैश्विक जोखिम अपने चरम पर पहुंच गया, जिससे दुनिया भर में 3.5 अरब लोग प्रभावित हुए. इन निष्कर्षों के चिंताजनक निहितार्थ वैश्विक कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करते हैं.

क्लाइमेट सेंट्रल के विश्लेषण में 200 देशों में फैले ऐसे 4700 शहरों को शामिल किया गया जहां जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप जुलाई में अत्यधिक गर्मी का अनुभव हुआ. मेक्सिको, अमेरिका, दक्षिणी यूरोप, फ्लोरिडा, कैरेबियन, मध्य अमेरिका, उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ देश तापमान वृद्धि से सबसे अधिक प्रभावित हुए. 

वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि एमिशन का वर्तमान प्रक्षेप पथ जारी रहता है तो भविष्य में और अधिक रिकॉर्ड टूटेंगे और जलवायु संबंधी चुनौतियां बढ़ेंगी. यह सरकारों, उद्योगों और व्यक्तियों को तेजी से बदलती जलवायु को कम करने और उसके अनुकूल ढालने के लिए नीतियों और प्रथाओं को लागू करने के लिए एक साथ आने का आह्वान है. ऐसा करने में विफलता मानव जीवन, जैव विविधता और समग्र रूप से ग्रह पर प्रभाव को बढ़ा देगी.

हमें पृथ्वी पर एक टिकाऊ और लचीले भविष्य की ओर जाने के लिए ठोस और तत्काल प्रयासों की आवश्यकता है. केवल सामूहिक रूप से कार्य करके ही हम इस वैश्विक चुनौती का समाधान करने और वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों की भलाई करने की आशा कर सकते हैं.

टॅग्स :Environment Department
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