डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: विश्व बंधुत्व की भावना पूरी दुनिया में फैलाएं

By डॉ एसएस मंठा | Published: September 11, 2020 02:04 PM2020-09-11T14:04:19+5:302020-09-11T14:04:19+5:30

यदि हम वैश्विक हिंसा के मूल कारणों को समझ लें और उन्हें गंभीरता के साथ खत्म करने के लिए कटिबद्ध हों तो अंतरराष्ट्रीय शांति प्राप्त की जा सकती है.

Dr SS Mantha's blog: Spread the spirit of world brotherhood all over the world | डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: विश्व बंधुत्व की भावना पूरी दुनिया में फैलाएं

डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: विश्व बंधुत्व की भावना पूरी दुनिया में फैलाएं

कन्याकुमारी स्थित विवेकानंद केंद्र 1893 में इस दिन शिकागो में दिए गए भाषण की याद में प्रत्येक वर्ष 11 सितंबर को ‘विश्व बंधुत्व’ दिवस के रूप में मनाता है. लगभग 125 साल पहले, स्वामीजी ने शिकागो की धर्म संसद में एक ऐतिहासिक भाषण दिया था. विश्व को हिंदू धर्म का परिचय देते हुए स्वामीजी ने असहिष्णुता और कट्टरता के सभी रूपों को समाप्त करने की आवश्यकता के बारे में बात करते हुए ‘विश्व बंधुत्व’ के मूल सिद्धांतों का प्रतिपादन किया था.
आज दुनिया में बहुत संघर्ष और हिंसा है, चाहे वह धन, राजनीति, संस्कृति, धर्म के नाम पर हो या साइबर दुनिया में सूचना के रूप में. यह लोगों और मानवता को विभाजित करती है. नतीजतन, हमारे पास कई असमान दुनियाएं हैं और शांति दुर्लभ हो गई है.

‘विश्व बंधुत्व’ का मतलब पूरी दुनिया को अपने परिवार के रूप में स्वीकार करना है. दूसरों की मदद करना, दूसरों से प्यार करना है, बिना यह सोचे कि बदले में हमें क्या मिलेगा. यदि हम वैश्विक हिंसा के मूल कारणों को समझ लें और उन्हें गंभीरता के साथ खत्म करने के लिए कटिबद्ध हों तो अंतरराष्ट्रीय शांति प्राप्त की जा सकती है. अहंकार, गलतफहमी, काम के दबाव और सहानुभूति की कमी के कारण लोग बेचैन, अधीर और असहिष्णु हो रहे हैं. इसलिए, वैश्विक मानसिकता के साथ वैश्विक नागरिकों का निर्माण करने की आवश्यकता है. वैश्विक शांति तभी प्राप्त होती है जब सर्वशक्तिमान ईश्वर की सभी कृतियों का सम्मान होता है. क्या उपनिषदों में भी ऐसा ही कुछ नहीं कहा गया है?

‘‘ओम द्यौ शांतिर-अंतरिक्षम शांति:/ पृथ्वी शांतिर-आप शांतिर-ओषधाय: शांति:/ वनस्पतय: शांतिर-विश्वेदेवा: शांतिर-ब्रह्म शांति:/ सर्वम शांति: शांतिर-इव शांति: सा मा शांतिर-एधि/ ओम शांति: शांति: शांति: ’’ अर्थात द्युलोक में शांति हो, अंतरिक्ष में शांति हो, पृथ्वी पर शांति हो, जल में शांति हो, औषधि में शांति हो, वनस्पतियों में शांति हो, विश्व में शांति हो, सभी देवतागणों में शांति हो, ब्रह्मांड में शांति हो, सब में शांति हो, चारों ओर शांति हो, चारों ओर शांति हो, शांति हो, शांति हो.

 कोविड के इस संत्रस भरे समय में, मानसिक शक्ति का निर्माण सर्वोपरि है. इसके लिए योग, प्राणायाम, एकाग्रता और ध्यान से बेहतर तरीका और क्या हो सकता है? इस प्रकार, आंतरिक शांति हासिल हुई तो हम वैश्विक शांति और वैश्विक भाईचारे की ओर बढ़ सकते हैं. आज के दिन जब हम ‘विश्व बंधुत्व’ दिवस मना रहे हैं, आइए हम इस सुंदर कविता को उद्धृत करते हुए अपनी बात को समाप्त करें जो ‘विश्व बंधुत्व’ का सार है-
‘‘ओम सव्रेषाम् स्वस्तिर्भवतु, सव्रेषाम् शांतिर्भवतु/ सव्रेषाम् पूर्णम् भवतु, सव्रेषाम् मंगलम् भवतु/ ओम शांति: शांति: शांति:’’ अर्थात सबका कल्याण हो, सबके मन शांत हों, सबका भला हो, सब हर्ष और संपन्नता का अनुभव करें और कोई भी दुखी न रहे.

Web Title: Dr SS Mantha's blog: Spread the spirit of world brotherhood all over the world

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