डॉ एस एस मंठा का ब्लॉग: धर्मस्थलों के मूल उद्देश्य को समझों

By डॉ एसएस मंठा | Published: February 28, 2020 02:06 AM2020-02-28T02:06:26+5:302020-02-28T02:06:26+5:30

इस प्रक्रिया में कुछ मंदिर बहुत धनवान हो गए, जिन्होंने जमीन खरीदने में भी निवेश किया. शीघ्र ही इन धनवान मंदिरों में राजनीति ने भी प्रवेश कर लिया.

Dr. S.S. Mantha Blog: Understand the basic purpose of the shrine | डॉ एस एस मंठा का ब्लॉग: धर्मस्थलों के मूल उद्देश्य को समझों

डॉ एस एस मंठा का ब्लॉग: धर्मस्थलों के मूल उद्देश्य को समझों

क्या ईश्वर का अस्तित्व है? क्या मंदिर भगवान के निवास स्थान हैं? क्या भगवान तर्कसंगत और तर्कहीनता के बीच कहीं स्थित हैं? क्या अध्यात्मविज्ञान  अमूर्त से संबंधित है? ये हमेशा आस्तिकों और नास्तिकों के बीच चर्चा का विषय रहेंगे. एक तनावग्रस्त दुनिया में, इसके निवासी शांति से जीवनयापन की इच्छा रखते हैं और अपने जीवन को अर्थपूर्ण बनाना चाहते हैं. क्या इसका व्यवसायीकरण किया जाना उचित है?

कई लोगों के लिए विज्ञान और धर्म ज्ञान के भंडार हैं. हममें से कुछ लोग मानते हैं कि विज्ञान के पास ब्रांड के निर्माण की तर्कसंगत व्याख्या है. अधिक भौतिक अर्थो में, अपने स्वयं के अस्तित्वगत विरोधाभासों को युक्तिसंगत बनाने की आवश्यकता है,  जो अज्ञात पर निर्भर करता है. इस अज्ञात को नाना प्रकार से भगवान के रूप में वर्णित किया गया है. 

प्राचीन काल में, मंदिर शिव के लिए बनाए गए थे, जो निर्माता, संरक्षक और विध्वंसक थे. बाद में और भी मंदिर निर्मित हुए. पिछले 11 सौ या 12 सौ वर्षो में अलग-अलग देवताओं के मंदिर निर्मित हुए. ऐसे देवता जो हमें धन प्रदान कर सकते थे, जो हमारे भय दूर कर सकते थे, सफलता दिला सकते थे अर्थात हम जो भी चाहते वह हमें प्रदान कर सकते थे.

पुराने जमाने में मंदिरों या किसी भी धर्मस्थल के निर्माण का उद्देश्य मूलत: शांति प्राप्त करना और ध्यान लगाना होता था. लेकिन आज हम उन्हें कांक्रीट और स्टील से किसी शॉपिंग मॉल या कॉप्लेक्स की तरह बनाते हैं क्योंकि अब सब कुछ वाणिज्यिक है. शाही संरक्षण और लोगों द्वारा निजी तौर पर दिए जाने वाले दान के माध्यम से मंदिरों को बनाए रखा गया था. उन्हें पैसा, सोना, चांदी, पशुधन सहित पूरा गांव आय के स्नेत के रूप में दे दिया जाता था. यह सब पुण्य कमाने के उद्देश्य से दिया जाता था. 

इस प्रक्रिया में कुछ मंदिर बहुत धनवान हो गए, जिन्होंने जमीन खरीदने में भी निवेश किया. शीघ्र ही इन धनवान मंदिरों में राजनीति ने भी प्रवेश कर लिया.

मंदिरों और देवताओं को नागरिकों को राह दिखाने वाला होना चाहिए कि क्या सत्य और क्या असत्य है. उन्हें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला होना चाहिए. मंदिर ऐसा स्थान होते हैं जहां भगवान से संपर्क स्थापित किया जा सकता है और दिव्य ज्ञान की खोज की जा सकती है. उन्हें धन और राजनीति से प्रदूषित नहीं किया जाना चाहिए.

Web Title: Dr. S.S. Mantha Blog: Understand the basic purpose of the shrine

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