डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: दम तोड़ देगी बुलेट ट्रेन परियोजना?

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: December 18, 2019 12:01 IST2019-12-18T12:01:16+5:302019-12-18T12:01:16+5:30

आखिर राज्य पर 6.70 लाख करोड़ रु. के कर्ज को देखते हुए, मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना की समीक्षा करने का महाराष्ट्र सरकार का हालिया निर्णय कितना विवेकसम्मत है?

Dr. S.S. Mantha blog: Bullet train project will die? | डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: दम तोड़ देगी बुलेट ट्रेन परियोजना?

डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: दम तोड़ देगी बुलेट ट्रेन परियोजना?

किसी परियोजना की व्यवहार्यता कई वित्तीय कारकों के जरिये समझी जा सकती है. व्यवहार्यता का अर्थ है किसी परियोजना की कुल लागत उससे होने वाले कुल लाभ से कम होनी चाहिए. इसका एक सरल तरीका यह होगा कि कुल लागत को जोड़ लिया जाए और फिर परियोजना की कालावधि के दौरान अजिर्त होने वाले अपेक्षित राजस्व को जोड़ा जाए.

महाराष्ट्र सरकार को भी बुलेट ट्रेन परियोजना को ठंडे बस्ते में डालने के पूर्व इसी तरीके से मूल्यांकन करना चाहिए. आखिर राज्य पर 6.70 लाख करोड़ रु. के कर्ज को देखते हुए, मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना की समीक्षा करने का महाराष्ट्र सरकार का हालिया निर्णय कितना विवेकसम्मत है?

ऐसे निर्णय जो राष्ट्र की विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकते हों, अधिक संवेदनशीलता के साथ लिए जाने चाहिए. बुलेट ट्रेन देश की साहसिक निर्णय लेने की क्षमता का प्रतीक है जिससे आर्थिक प्रगति होगी. हालांकि यह भी एक तथ्य है कि इसकी अधिकांश लागत शुरुआत में ही वहन करनी पड़ती है और राजस्व बाद के वर्षो में धीरे-धीरे अजिर्त होता है. देश में सड़कों का पचास लाख किमी से अधिक लंबा नेटवर्क है, जिससे 65 प्रतिशत माल और 80 प्रतिशत यात्री परिवहन होता है.

पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) के अनुसार भारत ने वर्ष 2018-19 में तेल आयात पर 111.9 अरब डॉलर खर्च किए, जबकि इससे पिछले वित्तीय वर्ष में भारत का तेल आयात बिल 87.8 अरब डॉलर और वर्ष 2015-16 में 64 अरब डॉलर था. यह आयात निर्भरता का 84 प्रतिशत हिस्सा है और अगर आर्थिक प्रगति करनी है तो निश्चित रूप से इसे नीचे लाया जाना चाहिए, खासकर तब जब खपत बढ़ रही हो और घरेलू उत्पादन स्थिर हो.

हाई स्पीड रेल पर्यटकों, व्यवसायियों और नौकरीपेशा लोगों को आकर्षित करने में अधिक प्रतिस्पर्धी और बेहतर स्थिति में होगी, ताकि वे सभी मौसमों में तेजी के साथ कुशलतापूर्वक यात्र कर सकें. जहां तक लागत की बात है तो हाई-स्पीड रेल परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 1.1 लाख करोड़ रु. है, जिसका 80 प्रतिशत हिस्सा जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी दे रही है.

यह राशि भारत को 50 साल के लिए लोन के रूप में दी जा रही है, जिस पर  मामूली ब्याज लगेगा और इसकी देयता 20 साल बाद शुरू होगी. शेष राशि का भुगतान महाराष्ट्र और गुजरात को करना है, जिसमें महाराष्ट्र को सिर्फ पांच हजार करोड़ रु. ही देने हैं.

Web Title: Dr. S.S. Mantha blog: Bullet train project will die?

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