डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: साइबर आतंकवाद की उपेक्षा करना हो सकता है घातक
By डॉ एसएस मंठा | Published: May 26, 2019 02:41 PM2019-05-26T14:41:12+5:302019-05-26T14:41:12+5:30
न्यूजीलैंड में मस्जिद के भीतर गोलीबारी करते समय हमलावर ने उसकी फेसबुक पर लाइव स्ट्रीमिंग की थी. इसी तरह श्रीलंका में विगत दिनों हुए आतंकवादी हमलों में भी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया था. इसलिए ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उपाय किए जाने जरूरी हैं.
दे शों के बीच संबंध प्राय: ‘शांति’ और ‘युद्ध’ की परिस्थिति से प्रभावित होते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि ‘शांति’ के दिनों में कोई संघर्ष ही नहीं होता. युद्ध का अर्थ सिर्फ ‘पारंपरिक युद्ध’ या ‘परमाणु युद्ध’ ही नहीं होता. युद्ध में हमेशा पारंपरिक हथियारों का ही इस्तेमाल नहीं किया जाता. प्रतिद्वंद्वी देश को कमजोर करने के लिए कई बार आर्थिक युद्ध किया जाता है, उसके साथ व्यापार पर प्रतिबंध लगाया जाता है, बहिष्कार किया जाता है और उसके यहां पूंजी निवेश पर रोक लगाई जाती है.
प्रत्यक्ष युद्ध की घोषणा या युद्ध की परिस्थिति के बिना भी देशों के बीच इस तरह की अनेक गतिविधियां हो सकती हैं जिन्हें शांति की अवस्था के अंतर्गत नहीं माना जा सकता. इसमें गुरिल्ला युद्ध और आतंकवाद का भी समावेश है. कई प्रकार के समूह सरकार पर दबाव बनाने के लिए इस तरह की नीति अपनाते हैं. यह संघर्ष आमतौर पर देश की सीमाओं के भीतर ही होता है, हालांकि बाहरी सरकारों का इस संघर्ष को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष समर्थन भी हासिल हो सकता है. लेकिन ऑनलाइन अपराधों ने इन सभी चीजों को पीछे छोड़ दिया है. वास्तव में अब सबसे ज्यादा आशंका ऑनलाइन तरीकों से होने वाली लड़ाइयों की ही है. इंटरनेट और सोशल मीडिया इस युद्ध के प्रभावी हथियार हो सकते हैं.
साइबर आतंकवाद क्या है, इसकी गहराई से समझ शायद कम ही लोगों को है. सोशल मीडिया के माध्यम से दुष्प्रचार करने, हैकिंग, संवेदनशील बुनियादी ढांचों को निशाना बनाने को क्या साइबर आतंकवाद माना जा सकता है? या वे सिर्फ साइबर अपराध हैं? न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में विगत दिनों हुए हमले के बाद हाल ही में 15 मई को तकनीकी क्षेत्र के दिग्गजों ने इकट्ठा होकर इंटरनेट पर हिंसक गतिविधियों को रोकने के उपायों के बारे में विचार-विमर्श किया.
न्यूजीलैंड में मस्जिद के भीतर गोलीबारी करते समय हमलावर ने उसकी फेसबुक पर लाइव स्ट्रीमिंग की थी. इसी तरह श्रीलंका में विगत दिनों हुए आतंकवादी हमलों में भी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया था. इसलिए ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उपाय किए जाने जरूरी हैं.
आतंकवादी वारदातों से प्रत्यक्ष नुकसान जितना होता है, उसकी तुलना में अप्रत्यक्ष नुकसान बहुत अधिक होता है. ऑनलाइन माध्यमों में इस तरह के कृत्यों के वीडियो देखकर लोगों के बीच भय का वातारण बन जाता है. प्रचार के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन जब साइबर स्पेस और आतंकवाद मिलते हैं तो साइबर आतंकवाद का जन्म होता है. इसलिए सोशल मीडिया पर हिंसक सामग्री डालने वालों के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है.